इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश में एक शर्मसार कर देने वाले घटनाक्रम में चपरासी पद के लिए इंटरव्यू देने आए दिव्यांग से जबरदस्ती साइकिल चलवा दी। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने इस मामले में फटकार लगाते हुए कहा कि सरकारी अधिकारी न सिर्फ दिव्यांग के अधिकारों की रक्षा करने में असफल रहे बल्कि उसके सम्मान को भी ठेस पहुंचाई है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 3 माह में दिव्यांग को 5 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने सहारनपुर के प्रदीप कुमार गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारी मशीनरी ने न सिर्फ दिव्यांग को फेल कर दिया बल्कि उसके मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता का हनन भी किया है।
अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने उसे यह बताने की बजाय कि यह पद दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित नहीं है, उसे साइकिल चलाने के लिए कहा। विज्ञापन में इस बात का जिक्र नहीं था कि किस तरह की साइकिल चलानी है इसलिए याची से ट्राई साइकिल चलाई जा सकती थी। जो वह बड़ी कुशलता से चला सकता था।
प्रदीप ने राजकीय डिग्री कॉलेज देवबंद सहारनपुर में लाइब्रेरी चपरासी पद के लिए आवेदन किया था। इस पद के लिए योग्यता पांचवी पास और साइकिल चलाने की थी। कॉलेज के प्रिंसिपल ने जब साक्षात्कार लिया तो उन्होंने हाईस्कूल पास की योग्यता मांगी जो याची के पास नहीं थी। वह साइकिल भी नहीं चला सकता है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पद आरक्षित नहीं होने के कारण याची नियुक्ति का दावा नहीं कर सकता। अदालत ने इस बात पर भी हैरानी जताई की पद चिह्नित किए बगैर और बिना आरक्षण के विज्ञापन जारी किया गया।