गोरखपुर। मनीष गुप्ता हत्याकांड कानपुर प्रशासन के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। परिजनों ने बुधवार को घर के बाहर शव रखकर प्रदर्शन किया। वे मुख्यमंत्री से मिलने की मांग पर अड़े रहे। गुरुवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच गोरखपुर में मनीष का अंतिम संस्कार किया गया।
मनीष के परिजनों का आरोप है कि 6 पुलिस वाले मनीष के कमरे में घुसे थे, उन्होंने उसकी जमकर पिटाई की। मनीष के शरीर पर चोट के निशान थे। 3 आरोपियों के नाम हटाने पर FIR दर्ज की गई। पुलिस ने अभी तक एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। उन्होंने हत्या की जांच सीबीआई से कराने की मांग की।
मीनाक्षी ने कहा कि उनकी मांग है कि मामला फिलहाल कानपुर ट्रांसफर कर दिया जाए क्योंकि वह बार-बार गोरखपुर भागकर नहीं जा सकती हैं। इसके अलावा वह चाहती है कि उन्हें सरकारी नौकरी दी जाए। 50 हजार रुपए हर्जाना दिया जाए।
बुधवार को शव घर पहुंचने के बाद पुलिस कमिश्नर असीम अरुण और एडीएम सिटी अतुल कुमार आर्थिक सहायता के तौर पर 10 लाख रुपये का चेक देने पहुंचे तो पत्नी मीनाक्षी का आक्रोश फूट पड़ा। उन्होंने चेक लेने से इनकार करते हुए कहा कि उसके बेगुनाह पति की पुलिस वालों ने पीट पीटकर निर्ममता से हत्या की है। दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई के बजाए हत्या का सौदा करने आए हैं।
आप नेता संजय सिंह ने भी इस मामले में ट्वीट कर कहा, ये आदित्यनाथ सरकार के अधिकारी हैं। कह रहे हैं 'FIR न लिखवाओ वरना सालों साल केस चलेगा।' SP महोदय खुद मान रहे हैं 'पुलिसवालों का पहले से कोई झगड़ा तो था नहीं' मतलब साफ़ है की एक निर्दोष व्यक्ति की बिना किसी जुर्म के हत्या कर दी गई। तो FIR क्यों नही? न्याय कैसे मिलेगा?
इस बीच सीएम योगी आदित्यनाथ आज गोरखपुर दौरे पर है। मृतक के परिजन आज इस मामले में उनसे मुलाकात कर सकते हैं।