झूला कावड़ में मां को बैठाकर हरिद्वार से पैदल निकले मल्लू, बने आज के श्रवण कुमार

श्रावण में मां के लिए ममता और भक्ति की मिसाल

हिमा अग्रवाल
शनिवार, 12 जुलाई 2025 (10:22 IST)
Mallu became today's Shravan Kumar : श्रावण (Shravan) मास में जहां एक तरफ शिवभक्तों की भक्ति, समर्पण और आस्था देखते ही बनती है, वहीं बागपत (Baghpat) जिले के एक बेटे ने मां की भक्ति, ममता को एक डोर में पिरोकर एक ऐसी मिसाल कायम की है, जो हर दिल को छू जाती है। दतिनगर के रहने वाले मल्लू इन दिनों कावड़ यात्रा पर हैं। लेकिन मल्लू के लिए यह कावड़ यात्रा (Kavad Yatra) कोई सामान्य यात्रा नहीं है, क्योंकि यह जन्म देने वाली मां की भक्ति में तल्लीन होकर एक बेटे के दिल की आवाज है जिसमें मां के लिए श्रद्धा, सम्मान और अपार प्रेम समाया हुआ है।ALSO READ: आज से उत्तर भारत में श्रावण मास प्रारंभ, दक्षिण भारत में होंगे 14 दिनों बाद, ऐसा क्यों?
 
एक तरफ मां और दूसरी तरफ गंगाजल : मल्लू की अनूठी कावड़ में एक तरफ उनकी 75 वर्षीय मां हैं और दूसरी तरफ मां के वजन बराबर गंगाजल से भरे कलश। मल्लू हरिद्वार से बागपत तक की यह कठिन यात्रा पैदल तय कर रहे हैं। यह नजारा हर किसी की आंखों को नम कर देता है। लोग रुककर उन्हें निहारते हैं, आशीर्वाद देते हैं और भावुक होकर कहते हैं- 'यह आज का श्रवण कुमार है।'
 
यह प्रेरणा श्रवण कुमार से ही मिली : मल्लू बताते हैं कि उन्हें यह प्रेरणा श्रवण कुमार से ही मिली। 7 जुलाई को हर की पौड़ी से गंगा जल उठाकर उन्होंने अपनी मां को साथ लेकर यह यात्रा शुरू की। उनका संकल्प है कि श्रावण मास की शिवरात्रि के दिन बागपत के पुरा महादेव मंदिर में भगवान शिव को मां की उपस्थिति में जल अर्पित करेंगे। इस यात्रा में उनकी पत्नी, 2 भानजे, 2 भाई और 1 मित्र भी साथ चल रहे हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा ही नहीं, बल्कि मां की सेवा और उनके प्रति प्रेम की पराकाष्ठा है।ALSO READ: 100 साल बाद श्रावण मास शुरू हो रहा है शुक्रवार से, जानिए क्या है खास
 
अपनी इस पैदल यात्रा में मां और गंगा जल को एक साथ लेकर वे करीब करीब 10 किलोमीटर चलते हैं और अपनी मां की तबीयत का पूरा ध्यान रखते हैं। अब तक वह हरिद्वार से मुजफ्फरनगर तक लगभग 75 किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं और आगामी 4 दिनों में वह बागपत पहुंचने की मंशा रखते हैं।ALSO READ: श्रावण माह में इस बार कितने सोमवार हैं और किस तारीख को, जानिए
 
मल्लू की यह पहली कावड़ यात्रा : मल्लू की यह पहली कावड़ यात्रा है, हालांकि लेकिन उन्होंने पहले भी मां को केदारनाथ और गोमुख जैसे दुर्गम तीर्थस्थलों की यात्रा करवाई है। मल्लू की यह 'सेवा कावड़' न केवल भक्ति की गहराई को दिखाती है, बल्कि मां-बेटे के रिश्ते की आत्मिक सुंदरता भी देखने को मिलती है। आधुनिक युग के श्रवण कुमार ने यह  सिद्ध कर दिया है कि जब भक्ति में सेवा और ममता जुड़ जाए तो वह ईश्वर की सच्ची आराधना बन जाती है। मल्लू की यह यात्रा लाखों दिलों को छू रही है।ALSO READ: श्रावण के साथ ही शुरू होगी कावड़ यात्रा, जानें क्या करें और क्या न करें
 
Edited by: Ravindra Gupta

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