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54 साल बाद खुलेगा बांकेबिहारी मंदिर का रहस्यमयी खजाना, शेषनाग करते हैं पहरेदारी!

हिमा अग्रवाल
रविवार, 14 सितम्बर 2025 (20:49 IST)
बृजभूमि का प्रसिद्ध बांकेबिहारी मंदिर अपनी अलौकिक भव्यता और दिव्य मूर्ति के लिए देश-विदेश में विख्यात है। यह मंदिर सिर्फ एक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि रहस्यों और मान्यताओं से जुड़ा एक अद्भुत तीर्थ है। मंदिर की मनमोहक मूर्ति में भक्तों को राधा और कृष्ण दोनों के दर्शन होते हैं, पर इस मंदिर की एक और गूढ़ पहचान है, गर्भगृह के नीचे छिपा खजाना, जिसे 'तोशखाना' या 'बिहारीजी का खजाना' कहा जाता है। इस खजाने को 54 साल बाद एक बार फिर खोले जाने की तैयारी है। इसे लेकर श्रद्धालु और स्थानीय लोग अत्यंत उत्साहित और जिज्ञासु हैं।
 
 माना जाता है कि इस तोशखाने की रक्षा स्वयं शेषनाग करते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे बुजुर्ग रूप में वहां वास करते हैं और उनकी लंबी-लंबी दाढ़ियां हैं। ऐसी मान्यता है कि कोई भी अज्ञानी या अपवित्र व्यक्ति यदि उस खजाने को छूने का प्रयास करे, तो उसका अनिष्ट हो सकता है। हालांकि यह धार्मिक आस्था है, लेकिन इसके पीछे की वास्तविकता जानने की उत्सुकता अब चरम पर है।
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क्या है इस रहस्यमयी खजाने की हकीकत?
मंदिर के सेवायत मोनू गोस्वामी बताते हैं कि बांकेबिहारी मंदिर का निर्माण वर्ष 1869 में ब्रिटिश काल के दौरान वैष्णव परंपरा के अनुसार किया गया था। मंदिर के गर्भगृह के नीचे 12 रहस्यमयी सीढ़ियां हैं, जो एक गुप्त कक्ष तक जाती हैं। इसी कक्ष में भगवान को अर्पित किए गए सोने, चांदी, हीरे-जवाहरात और अन्य बहुमूल्य धरोहरों को सुरक्षित रखा गया है। यही कक्ष तोशखाना कहलाता है।
 
यह खजाना आखिरी बार वर्ष 1970 में खोला गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक हाई पावर कमेटी बनाई गई है, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्य, मंदिर के तीन सेवायत और स्थानीय पुलिस अधिकारी शामिल हैं। खजाने की जांच और रिकॉर्डिंग पूरी पारदर्शिता के साथ की जाएगी।
 
मंदिर प्रशासन की बड़ी योजना
मंदिर प्रबंधन की योजना है कि तोशखाने में मौजूद बहुमूल्य वस्तुओं की सूची तैयार की जाए और आवश्यकता पड़ने पर इनका उपयोग मंदिर की मरम्मत, सेवा कार्यों और जनहित में किया जा सके। खजाना खोलने की प्रक्रिया जिला प्रशासन, पुलिस और न्यायिक निगरानी में संपन्न होगी ताकी उसकी पारदर्शिता बनी रहे।
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क्या मिलेगा खजाने में?
इस सवाल का जवाब अब बस कुछ ही समय में मिलने वाला है। क्या यह खजाना सदियों पुरानी धरोहरों से भरा होगा या इसमें छिपे होंगे इतिहास के अनसुने रहस्य? क्या शेषनाग की पहरेदारी सिर्फ लोककथा है या इसके पीछे है कोई गहरा संकेत?  वर्षों से बंद पड़े इस रहस्यमयी तोशखाने में क्या-क्या अनमोल धरोहरें सामने आती हैं, और क्या इससे जुड़ी सदियों पुरानी मान्यताएं किसी नई रोशनी में सामने आएंगी। जब यह खजाना खुलेगा तो न केवल मथुरा बल्कि पूरा देश अपनी निगाहें इस पर टिक जायेंगी, लोग सांसें थामकर उस ऐतिहासिक पल के गवाह बनेंगे। Edited by : Sudhir Sharma

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