मथुरा। यम फांस से मुक्ति को यम द्वितीया पर यम फांस से मुक्ति पाने के लिए युमना में भाई-बहनों ने यमुना में साथ-साथ डुबकी लगाई। भाई-बहनों ने विश्राम घाट स्थित यमुनाजी-धर्मराजजी मंदिर में दर्शन भी किए।
इस अवसर पर बहनों ने भाइयों के लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए मंगल टीका लगाते हुए उन्हें श्रीफल भेंट किया, भाईयों ने भी बहनों को स्नेह स्वरूप उपहार दिए हैं। शनिवार तड़के से शुरू हुआ यह क्रम देर रात तक चलेगा।
यमुना में डुबकी लगाने के लिए देश विदेश से हजारों श्रद्धालु मथुरा पहुंचे है। यमुना में बहन-भाई यम फांस से मुक्त होने के लिए ने एक दूसरे का हाथ पकड़ कर यमुना में डुबकी लगाते नजर आ रहे हैं। यम फांस से मुक्ति को यमराज यमुनाजी मंदिर में पूजा करते हुए भाई-बहनों की लंबी उम्र की मन्नत मांग रहज है।
इस अवसर पर लगे मेले और भक्तों की युमना डुबकी से एक बार फिर से कोरोना फैलने की आशंका से इंकार नही किया जा सकता है।
यम फांस से मुक्ति पाने की परंपरा के निर्वहन करने के लिए शुक्रवार देररात से ही श्रद्धालु यमुना घाटों पर जुटने लगे थे। मौसम बदलाव के बाद ठंड बड़ गई है, लेकिन भाई बहनों की आस्था घाटों पर भारी दिख रही थी। विश्रामघाट पर श्रद्धा का मेला लगा है, वही यमुना घाट जाने वाले मार्गों पर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें दिखाई दे रही है।
हालांकि कोरोनाकाल के चलते विगत वर्ष यहां भीड़ कम थी, लेकिन इस बार भाई-बहनों में श्रृद्धालुओं में विशेष उत्साह दिखाई दे रहा है।
वृंदावन में यमुना के केशीघाट, श्रृंगारवटघाट, विहारघाट, सूरज घाट पर भोर की पहली किरण के साथ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने मंदिरों में दर्शन दीप-फूल और के दान करके पुण्य लाभ कमा रहें है।
दीप श्रृंखला के पांच दिवसीय त्योहारों की भैयादूज अंतिम पर्व है। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को भ्रातृ द्वितीया यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भाई-बहन मथुरा के यमुना स्थित विश्राम घाट पर एक-दूसरे की बांह पकड़कर स्नान करते हैं और बहन, भाई के मस्तक पर लंबी उम्र के लिए टीका लगाती है।
इस दिन यमुना स्नान करने वालों में अधिक संख्या गुजरात के श्रृद्धालुओं की होती है और यह लोग एक दिन टहले ही मथुरा नगरी में अपना डेरा जमा लेते है।
यम की फांस से मुक्ति की कामना को लेकर यम द्वितीया पर भक्तों की संख्या और पानी के बहाव को देखते हुए गोताखोर की टीमें लगाई है। विश्रामघाट सहित यमुना के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं के स्नान की व्यवस्थाएं की गई हैं।
मथुरा का स्थानीय प्रशासन और नगर निगम व्यवस्थाओं का जायजा ले रहा है। सफाई के साथ प्रकाश व्यवस्था के भी खास इंतजाम किए हैं। यमुना स्नान के मद्देनजर 20 गोताखोरों को अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तैनात किया गया है।
मेले के सफल आयोजन के लिए 4 कैंप कार्यालय बनाए गए हैं, जिसमें विश्राम घाट, आगरा होटल बंगाली घाट, स्वामी घाट एवं यमुना पार घाट शामिल हैं।
घाट पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, उनके कपड़े बदलने के लिए 6 चेजिंग रूम बने है। युमना स्नान में पानी के तेज बहाव को देखते हुए 40 नाव सक्रिय है रहेंगी। इसमें 4 नावों पर साउंड व माइक लगाकर लगातार अनाउंसमेंट भी करवाया जा रहा है।
भविष्य पुराण के अनुसार यम राजा लंबे समय बाद अपनी बहन यमुना के घर आए थे, यमुना जी ने स्नान कराया एवं नये वस्त्र पहनने को दिए।
बहन युमना ने स्वयं अपने हाथ से भोजन बनाकर भैया यमराजा को भोजन जिमाया औ उन्हें टीका, श्रीफल देते हुए पान खिलाया। यमराज ने वरदान दिया कि इस प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की शुक्ल द्वितीया को बहन के हाथ से भोजन करेंगे तो यम पास से मुक्त हो जाएंगे। इसी परंपरा को निभाते हुए लाखों की संख्या में बहन भाई मथुरा आते हैं और तीर्थराज विश्राम घाट पर स्नान एवं पूजा-पाठ दान दक्षिणा करते हैं।