मेरठ मेडिकल कॉलेज एक बार फिर सुर्खियों में है। मेडिकल कॉलेज की ICCU में भर्ती एक मरीज के तीमारदारों और जूनियर डाक्टरों के बीच हंगामा व मारपीट हो गई। हंगामे और मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। हंगामे की सूचना पर पुलिस मेडिकल कॉलेज पहुंची, तब तक पेशेंट दम तोड़ चुका था, जूनियर डॉक्टरों का वर्चस्व देखकर मृतक परिजन शव को छोड़कर भाग खड़े हुए।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने मृतक के परिजनों को बुलाकर शव उनके सुपुर्द किया। वही मेडिकल कॉलेज ने जूनियर महिला डॉक्टर से अभद्रता और मारपीट की तहरीर थाने में दी है।
मेरठ मेडिकल कालेज में बीती 30 नवंबर को राकेश नाम के पेशेंट को सांस की तकलीफ के चलते भर्ती कराया गया था। राकेश की गंभीर हालत के चलते उसे आईटी के lCCU में रखा गया। बुधवार की शाम उसकी तबीयत बिगड़ रही थी, उसने अपने परिजनों से पानी मांगा। पानी पीने के बाद उसकी हालत और बिगड़ गई। डाक्टर को बुलाया गया।
जूनियर डॉक्टर के मुताबिक मृतक राकेश के परिजनों ने बिना पूछे पानी पिला दिया। वही तीमारदारों कि कहना है कि नर्स से पूछकर पानी पिलाया गया था।
पानी पीने से हालत बिगड़ गयी। मरीज की हालत बिगड़ता देखकर परिजन आक्रोशित हो गए, तीमारदारों और डॉक्टरों में कहासुनी और धक्का मुक्की हुई, जो बाद में मारपीट में बदल गई।
जूनियर महिला डॉक्टर की चिल्लाने की आवाज सुनते ही आसपास के जूनियर डॉक्टर इकट्ठा हो गए। देखते ही देखते मेडिकल का ये वार्ड जंग का मैदान बन गया। मारपीट का एक वीडियो भी वायरल हो गया। वायरल वीडियो में जूनियर डाक्टर और तीमारदार आपस में भिडते नजर आ रहे हैं।
मामला मेरठ के थाना मेडिकल क्षेत्र के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज का है। जहां राकेश कुमार नाम के एक मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई। डॉक्टरों का आरोप है कि मरीज की मौत से गुस्साए परिजनों ने महिला डॉक्टर पर हमला कर दिया। जिसके बाद डाक्टरों और तीमारदारों के बीच जमकर मारपीट हुई।
मारपीट का वीडियो वहां मौजूद किसी ने रिकॉर्ड करके सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है। वहीं अस्पताल में हंगामे से गुस्साए डॉक्टरों ने पुलिस कार्रवाई का मन बना लिया है। जिसके बाद डॉक्टरों ने मारपीट करने वाले तीमारदारों के खिलाफ लिखित तहरीर भी दी है। हालांकि पुलिस अभी तक इस पूरे मामले की जांच में जुटी है।
हालांकि जूनियर डाक्टरों और तीमारदारों के बीच मारपीट का यह कोई पहला मामला नहीं है। आए दिन जूनियर डॉक्टरों के व्यवहार की शिकायत उच्चाधिकारियों और सीनियर डॉक्टरों से की जाती है।