भाजपा के फायरब्रांड नेता और सरधना के पूर्व विधायक संगीत सोम ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बुर्के की आड़ में आतंकवाद और फर्जीवाड़ा पनप रहा है। संगीत सोम ने नारी सशक्तिकरण के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने करीब 1000 महिलाओं को दिवाली उपहार वितरित किए। इस दौरान उन्होंने कई राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दों पर तीखे बयान दिए है।
संगीत सोम ने कहा कि बुर्के की आड़ में आतंकवाद और फर्जीवाड़ा पनप रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब मुस्लिम महिलाएं विदेश यात्रा या हज यात्रा के दौरान अपना चेहरा दिखा सकती हैं तो वोट देने के समय चेहरा क्यों छिपाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वे चुनाव आयोग से औपचारिक शिकायत दर्ज कराएंगे ताकि मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।
विपक्षी नेताओं पर हमला बोलते हुए सोम ने कहा कि तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव और राहुल गांधी को सिंदूर का सम्मान नहीं पता, इन्हें सिर्फ बुर्के की जानकारी है। वहीं ये नेता भारत देश की संस्कृति और महिलाओं के सम्मान को समझने में नाकाम हैं।
बिहार चुनाव को लेकर विपक्ष को घेरते हुए उन्होंने कि एनडीए की तरफ से नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री पद के चेहरा हैं। उन्होंने भरोसा है कि बिहार की जनता एनडीए की नीतियों पर विश्वास करती है, जिसके चलते वह एनडीए को बहुमत देगी।
संगीत सोम ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान पर भी पलटवार किया। आजम खान के हालिया बयान दिया था कि जो दीया जला सकते हैं वो कुछ भी जला सकते हैं, इस टिप्पणी संगुत सोम ने कटाक्ष करते हुए कहा कि आजम खान इस पर तो नहीं बोलेंगे कि जो बकरे की गर्दन काट सकता है, वो किस-किस की गर्दन काट सकता है।
हलाल सर्टिफिकेट के मुद्दे पर भी सोम ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हलाल सर्टिफिकेट से प्राप्त धनराशि आतंकवाद के वित्त पोषण में उपयोग की जाती है, इसलिए इस व्यवस्था को तुरंत बंद किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान संगीत सोम ने महिलाओं से अपील की है कि अपनी शक्ति को पहचानें और नारी सशक्तीकरण में महिलाएं अग्रणी हैं और राष्ट्र की असली शक्ति हैं। उन्होंने महिलाओं को भरोसा दिया है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिलाओं को समान अधिकार और सम्मान मिल सकता है, सरकार महिलाओं के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है, पूर्व की सरकारों में महिलाओं को उचित सम्मान नही मिला है, जिसकी वे असली हकदार थीं।