UP : बहराइच में भेड़िया बच्चों को बना रहा है अपना शिकार, 9 बच्चों समेत 10 की मौत, ढूंढने में जुटी वन विभाग की 25 टीमें
भेड़िए की दहशत में 35 गांव
wolves continue to terrorise UPs Bahraich : उत्तरप्रदेश का बहराइच जिले में नरभक्षी भेड़ियों का आतंक मचा हुआ है। अब तक भेड़िए के हमले में 9 बच्चों समेत 10 की मौत हो चुकी है जबकि 40 से अधिक लोग घायल हैं। ये भेड़िए रात्रि में पैर दबाकर गांव में आते हैं और सोते हुए बच्चों को उठाकर ले जाते हैं। जब तक परिवार को पता चलता है तब तक बच्चे का जीवन समाप्त हो चुका होता है।
वन विभाग की 25 टीमें सघन भेड़िया सर्च ऑपरेशन चला रही है, जिसमें 4 भेड़िए पकड़े जा चुके हैं, लेकिन बहराइच जिले में भेड़ियों के हमले रुक नहीं रहे हैं। चतुर-चालाक भेड़िया वन विभाग की घेरा बंदी तोड़कर या तो स्थान बदल लेता है या चकमा देकर सोते हुए लोगों पर हमला बोल देता है।
इस समय बहराइच जिले के 35 गांव दहशत के साए में जी रहे हैं क्योंकि भेड़ियों के हमले में ग्रामीण अपने 9 बच्चों को खो चुके हैं। आदमखोर भेड़िए की धरपकड़ के लिए वृहद स्तर पर वन-विभाग और पुलिस महकमा योजना बनाकर सर्च ऑपरेशन चला रहा है। आधुनिक युक्तियों को धता बताते हुए चालाक भेड़िया सरकारी मशीनरी को बार-बार चुनौती देकर हमला कर रहा है। 4 भेडियों के पकड़े जाने के बाद वन विभाग ने सोचा था कि अब क्षेत्रवासियों को राहत मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
भेड़िए ने बीती रात अंधेरे में सोमवार की भोर होने से समय पहले गरेठी गुरुगुदत्त सिंह पुरवा गांव से तीन साल की मासूम को सोते हुए उसकी मां के पास से उठा लिया। मृतक बच्ची की मां घटना के समय 6 माह के बच्चे को दूध पिला रही थी, पास में बच्ची सो रही थी, जब मां ने करवट बदली तो देखा कि बच्ची चारपाई से गायब है, परिवार और गांव में हड़कंप मच गया। बच्ची घर से एक किलोमीटर दूर मृत पाई गई, उसके दोनों हाथ भेड़िया खा चुका था।
बहराइच जिले में आदमखोर भेड़ियों के आतंक की चर्चा विदेशों तक में हो रही है। पुलिस-प्रशासन और वन विभाग भेड़ियों को पकड़ने के लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा ले रहा है, विशेषज्ञों के नेतृत्व में 25 टीमें भेड़िया पकड़ो अभियान में लगी हुई है। कुछ दिन पहले इन टीमों ने तेज आवाज के गोले दागे, जिससे 4 भेड़िये पकड़े गए। डीएफओ को कहना है कि भेडियों की संख्या 6-7 रही होगी, आवाज सुनकर शेष भेड़ियों ने अपना स्थान परिवर्तन कर लिया है। इसके चलते वह अब आदमखोर भेड़िये अपना शिकार ढूंढते हुए हमला कर रहे हैं।
भेड़ियों के शिकार प्रभावित क्षेत्र में जिलाधिकारी मोनिका रानी और एडीजी जोन पहुंचे, बीती रात शोकसंतप्त परिवार को सांत्वना दी। एडीजी गोरखपुर जोन एसकेएस प्रताप का कहना है कि 35 गांव में भेडियों का आतंक है, नई रणनीति के तहत काम किया जा रहा है। इस समस्या पर काबू के लिए बाहर से भी एक्सपर्ट टीमें बुलाई जा रही हैं। फिलहाल वन विभाग की 25 टीमें दिन-रात गश्त कर रही है।
ड्रोन और थर्मल स्केनिंग कैमरों से मदद से निगरानी की जा रही है। वन विभाग के साथ पुलिस भी अपना पूरा सहयोग दे रही है, एसपी के नेतृत्व में भेड़िया प्रभावित क्षेत्र को 7 हिस्सों में बांटा गया है। रात्रि में वन विभाग गश्त के दौरान एक हेडकांस्टेबल या कांस्टेबल गांव में पहरेदारी कर रहा है। भेड़िया एक बड़ी चुनौती बन गया है, अब से लगभग 20-22 साल पहले इस क्षेत्र में भेड़ियों का आतंक दिखाई दिया था, एक बार फिर से भेड़िया इस क्षेत्र के लिए चुनौती बन गया है।
भेड़ियों आमतौर पर सामाजिक जीव है, 25-30 के समूह में रहकर शिकार की तलाश निकलता है, इसका भोजन मांसाहारी है। प्रश्न यह है कि क्या वास्तव में भेड़िए आदमखोर होते हैं? दुनियाभर में हुई रिसर्च के परिणाम बताते हैं कि भेड़िये मनुष्य पर हमला बहुत कम करते हैं, छोटे बच्चों इनका शिकार होते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इनके मुंह बच्चों का खून लग जाता है तो ये आदमखोर बन जाते हैं।