खटीमा। उत्तराखंड में चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है। मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी के चुनावी क्षेत्र खटीमा पर अंतिम दिन प्रचार में सभी पार्टियों ने जान झोंक दी। सीएम धामी को चुनौती देने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी भुवनचंद्र कापड़ी प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। दोनों नेता मूल रूप से एक ही जिले (पिथौरागढ़) के निवासी हैं।
भाजपा संसाधन और प्रचार तंत्र में दूसरे दलों से बहुत आगे दिख रही लेकिन क्या ये वोट पाने में कारगर है? यह सवाल यहां लोग पूछ रहे हैं। कांग्रेस खटीमा के विकास, शिक्षा और युवाओं के मुद्दों को जोर-शोर से उठाकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास कर रही है। यद्यपि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी के बावजूद तराई के किसानों की तरह ही यहां इसकी खूब चर्चा है, लेकिन इस सीट पर सबसे बड़ा मुद्दा काबिज जमीन पर स्वामित्व का है।
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कांग्रेस के नेता प्रियंका गांधी इस मुद्दे को धार दे गईं। विधानसभा के पिछले दोनों चुनाव में बसपा के रमेश सिंह राणा ने दमदार प्रदर्शन किया था। नेपाल सीमा से लगी खटीमा विधानसभा सीट नैनीताल ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट का हिस्सा है। किसान आंदोलन का प्रभाव भी यहां रहा है।
भाजपा ने खटीमा सहित राज्य के आम लोगों और काश्तकारों के हित में लिए गए कई फैसले गिनाए तो कांग्रेस, बसपा, आम आदमी पार्टी ने बेरोजगारी, मंहगाई व भ्रष्टाचार पर भाजपा को घेरा। मतदान के लिए एक दिन शेष रह गया है। भाजपा और कांग्रेस के बीच इस बार भी सीधी टक्कर होने की संभावना है, लेकिन बसपा और आम आदमी पार्टी की गम्भीर मौजूदगी दोनों दलों के लिए चिता का सबब भी है।
बसपा ने 2002 के मुकाबले 2017 के विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति में काफी सुधार किया है जबकि पहली बार राज्य विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी के प्रति युवाओं का काफी रूझान है। 2002 से 2017 तक भाजपा और कांग्रेस दोनों दल दो दो बार इस सीट को जीत चुके हैं, लेकिन इस बार बसपा और आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन इस वीआईपी सीट के समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
जातीय रूप से यहां क्षत्रिय वोटर सबसे ज्यादा होने के बावजूद राणा और अल्पसंख्यक वोटरों की भूमिका खासी अहम है और इस बार राणा और मुस्लिम बिरादरी के प्रत्याशी भी मैदान में हैं। पहली बार उतरी आम आदमी पार्टी के सिख प्रत्याशी एसएस कलेर के प्रदर्शन खटीमा के राजनीतिक समीकरणों को कितना प्रभावित कर पाएगा, ये देखने की वात है।
2002 से 2017 तक खटीमा की राजनीतिक तस्वीर कुल मतदाता 119980 पुरुष मतदाता 60797 महिला मतदाता 59178 हैं। विधानसभा की लगभग 30 फीसद लोगों को जमीनों का मालिकाना हक, खटीमा को जिला बनाने की मांग, सीमांत क्षेत्रों का विकास, जंगलों से मिलने वाले हक जैसे प्रमुख मुद्दे हैं।