प्यार जिस्मानी नहीं, रूहानी होता

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Webdunia
- कुलवंत हैपी

Devendra SharmaND
प्यार एक रूहानी रिश्ता ह ै, मगर आज के ज्यादातर लड़के-लड़कियों ने जिस्मानी रिश्ते को प्यार की संज्ञा देकर राख से पवित्र रिश्ते को अपवित्र कर दिया। प्यार में अहसास का होना लाजमी ह ै, जब तक अहसास है तब तक प्यार ह ै, नहीं तो प्यार केवल जिस्मानी रिश्ते तक सीमित होकर दम तोड़ देगा।

आज के ज्यादातर युवक-युवतियाँ जिस्मानी रिश्तों में विश्वास रखते है ं, रूहानी प्यार की समझ से वो बहुत परे हैं। प्यार तो ऐसी शह है जो महबूब की गैरहाज़री में भी आपके साथ कदम से कदम मिलाकर चलती ह ै, यह भी तब हो सकता है जब आपके पास अहसास ह ै, वरना प्यार का अहसास उस सुस्तू राम की तरह होगा जो बिना छत की चार दीवारी में रहता है ।

सर्दी की एक रात को उसे ठंड लगती है और वो कहता है सुबह उठते ही छत बना डालूँग ा, मगर सुबह सूर्य अपनी तपन से उसको इतनी गर्मी देता है कि वो रात वाला अहसास भूल जाता है और छत भी डालने का विचार कैंसल कर देता है। मगर रात को फिर उसे ठंड लगती है और फिर वह वही राम कहानी दुहराता है।
  प्यार एक रूहानी रिश्ता है, मगर आज के ज्यादातर लड़के-लड़कियों ने जिस्मानी रिश्ते को प्यार की संज्ञा देकर राख से पवित्र रिश्ते को अपवित्र कर दिया। प्यार में अहसास का होना लाजमी है, जब तक अहसास है तब तक प्यार है।      


अगर इंसान महबूब की मुहब्बत का अहसास साथ नहीं रखता तो वह हर कदम पर किसी न किसी हसीं चेहरे पर फिदा होकर खुद की हस्ती को गँवा देता है। आजकल लोग दिखावा बहुत करते है ं, लेकिन अहसास नामक कोई चीज ही नहीं जबकि पहले लोग ऐसे दिखावे कम और प्यार ज्यादा करते थे।

आज हर सातवें घर में दंपति तलाक लेने का विचार कर रहा है क्योंकि उनको अहसास ही नहीं कि उन दोनों को एक-दूसरे के लिए बनाया गय ा, उनको अहसास ही नहीं कि जुदा होने के बाद मिलने वाली जिन्दगी कितनी दुखदायी होगी। जब तक इंसान अहसास करना नहीं सीखत ा, वो प्यार को समझ नहीं पाएगा।

एक राँझा थ ा, जो हीर की शादी के बाद घर छोड़कर योगी हो गया थ ा, क्योंकि उसको अहसास था कि हीर उसकी है और वह मज़बूरन गैर की डोली में बैठी है। हीर को भी एहसास कि राँझा के बिना वह भी जी नहीं सकती। इसलिए हीर ससुराल छोड़कर राँझे के पास आ गई थी। उनके बीच रूहानी रिश्ता थ ा, उनको प्यार का अहसास था और उनको पता था कि एक-दूसरे के बिना जीना कितना मुश्किल है।

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