मध्यकाल में लड़कियां सपने देखती थी कि मुझे लेने सफेद घोड़े पर सवार कोई राजकुमार आएगा और लड़के सपने देखते थे कि आसमान से उतर आएगी कोई हुस्न परी।
अब दौर बदला, साइकल पर देखना बड़ा गजब का जादू पैदा करता था, लेकिन अब बाइक पर देखना और वह भी बड़ी जंगी रेसर बाइक। जींस, पेंट, शॉर्ट शर्ट और शॉर्ट सलवार...! जुते हो स्टाइलीश। गॉगल्स और मोबाइल हो महंगा। ये सब नहीं है तो आपकी ओर कोई देखना पसंद नहीं करेगा या करेगी। इसलिए जमाने के साथ आप भी बदल जाएं इसी में भलाई है। यह समृद्ध प्यार का जमाना है।
पाश्चात्य नहीं आधुनिक तरह के प्यार में जीने का प्रचलन चल पड़ा है। भुल जाओ राधा और कृष्ण की स्टाइल को, जुलीयट और सिजर, लेला और मजनूं या संत वेलेंटाइन भी अब पुराने पड़ चुके। सायोनारा, बॉबी, जुली और हिना सब अब बदल गई है, तो क्यों न तुम भी बदल जाओ।
जीवन रोज बदल रहा है। हर आज कल में बदल रहा है। कौन डरता है बदलाव से? क्या भारतीय और क्या पाश्चात्य। ग्लोबनाइजेशन के इस युग में प्यार भी अब ग्लोबल होने लगा है। प्यार को भी अब हाई टेक हो चला है। बेहतर टेक्नॉलाजी से लेस।
पहले ऐसा था कि एक पत्र या प्रेम संदेश को पहुंचाने में बहुत पापड़ बेलना पड़ते थे। कम से कम दो माह लग जाते थे। लेकिन जब से एसएमएस का दौर प्रारंभ हुआ तो प्यार ने थोड़ी स्पीड पकड़ी। फिर उसी के साथ याहू जैसी कंपनियों ने फ्री चेट सुविधा प्रारंभ की तो और स्पीड बढ़ गई।
अब तो वॉट्सऐप और फेसबुक ने तो सबकुछ बदल कर रख दिया। अब तो लिखते लिखते किसी से कब लव हो जाए और कब ब्रेकअप हो जाए कोई भरोसा नहीं क्योंकि स्पीड हाई टेक है। टेक्नॉलाजी ने लड़के और लड़कियों को तुरंत मिलाने में अहम् भूकिका निभाई है लेकिन इससे अब भावनाएं पीछे छुटती गई है। परिवार से जुड़ाव पीछे छुट गया है। लोग अब तो ऑनलाइन मंगनी और शादी भी करने लगे हैं। आप सोचिए कि जमाना कहां जा रहा है। हाई टेक होते प्यार में भावना और परंपरा अब बेकार हो गई है। बस व्यक्तिगत स्वार्थ ही सबसे ऊपर रह गया है। एक महिला ने अपने पति को इसलिए तलाक दे दिया क्योंकि वह उसे मोबाइल नहीं चलाने देता था।