आकर्षण और वशीकरण प्रयोग
तंत्र शास्त्रों के मुताबिक वसंत पंचमी को आकर्षण और वशीकरण के प्रयोग बहुत ही प्रभावी और शुभ फलदायी होते हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से पांचवीं राशि के अधिष्ठाता भगवान सूर्य नारायण होते हैं इसलिए वसंत पंचमी अज्ञान का नाश करके प्रकाश की ओर ले जाती है। अबूझ मुहूर्त होने से इस दिन शादी-विवाह के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती।
देवी सरस्वती का प्राकट्योत्सव
वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का विशेष पूजन किया जाता है। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, पद भार, विद्यारंभ, वाहन, भवन खरीदना आदि कार्य अतिशुभ और विशिष्ट होते हैं।
इस दिन हर कार्य सफल
प्रत्येक कार्य का संचालन बुद्धि, विवेक और ज्ञान के आधार पर ही होता है इसलिए विद्या-बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के जन्मदिवस से किसी भी कार्य का शुभारंभ किया जाए तो वह कार्य सफल होगा।
ग्रीष्म और शीत का संधिकाल
संवत्सर चक्र का परिवर्तन वसंत पंचमी पर्व का मुख्य हेतु है। यह ग्रीष्म और शीत का संधिकाल है। हमारी सारस्वत शक्तियों के पुनर्जागरण के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है। सृष्टि का संयोग इसी दिन से प्रारंभ होता है। इसलिए इस दिन देवी सरस्वती और भगवान कृष्ण के साथ कामदेव व रति की पूजा की भी परंपरा है। इस माह को मधुमास भी कहा जाता है। सरस्वती को बुद्धि और ज्ञान के साथ ही संगीत एवं कला की देवी भी माना जाता है।