वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा के मकान को कुछ परिस्थिति को छोड़कर अशुभ और नकारात्मक प्रभाव वाला माना जाता है। दरअसल, हर दिशा में कोई न कोई ग्रह स्थित है जो कि अपना अच्छा या बुरा प्रभाव डालता है। यह निर्भर करता है मकान के वास्तु, मुहल्ले के वास्तु और उसके आसपास स्थित वातावरण और वृक्षों की स्थिति पर। प्रत्येक ग्रह का अपना एक वृक्ष होता है। जैसे चंद्र की शनि से नहीं बनती और यदि आपने घर के सामने चंद्र एवं शनि से संबंधित वृक्ष या पौधे लगा दिए हैं तो यह कुंडली में चंद्र और शनि की युति के समान होते हैं जो कि विषयोग कहा गया है। आओ जानते हैं कि कैसे दक्षिणमुखी मकान में नहीं होता दक्षिण दोष?
कैसे दक्षिणमुखी मकान में नहीं होता दक्षिण दोष?
1. यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने द्वार से दोगुनी दूरी पर स्थित नीम का हराभरा वृक्ष है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा।
2. यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने मकान से दोगना बड़ा कोई दूसरा मकान है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा।
3. दक्षिणमुखी मकान का दोष खत्म करने के लिए द्वारा के उपर पंचमुखी हनुमानजी का चित्र भी लगाना चाहिए।
4. दक्षिण मुखी प्लाट में मुख्य द्वार आग्नेय कोण में बना है और उत्तर तथा पूर्व की तरफ ज्यादा व पश्चिम व दक्षिण में कम से कम खुला स्थान छोड़ा गया है तो भी दक्षिण का दोष कम हो जाता है।। बगीचे में छोटे पौधे पूर्व-ईशान में लगाने से भी दोष कम होता है।
5. आग्नेय कोण का मुख्यद्वार यदि लाल या मरून रंग का हो, तो श्रेष्ठ फल देता है। इसके अलावा हरा या भूरा रंग भी चुना जा सकता है। किसी भी परिस्थिति में मुख्यद्वार को नीला या काला रंग प्रदान न करें।
6. दक्षिण मुखी भूखण्ड का द्वार दक्षिण या दक्षिण-पूरब में कतई नहीं बनाना चाहिए। पश्चिम या अन्य किसी दिशा में मुख्य द्वार लाभकारी होता हैं।
7. यदि आपका दरवाजा दक्षिण की तरफ है तो द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने। इससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक उर्जा पलटकर वापस चली जाती है।