वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा के मकान को कुछ परिस्थिति को छोड़कर अशुभ और नकारात्मक प्रभाव वाला माना जाता है। इसके अलावा दक्षिणमुखी मकान के दोष को कुछ उपाय करके भी दूर किया जा सकता है। वो परिस्थियां कौनसी हैं और क्या है दोष दूर करने के उपाय, आओ संक्षिप्त में हम यह जानते हैं।
क्या होता है दक्षिणमुखी मकान होने से?
पूर्व में सूर्य, आग्नेय में शुक्र, दक्षिण में मंगल, नैऋत्य में केतु, पश्चिम में शनि, वायव्य में चंद्र, उत्तर में बुध, ईशान में बृहस्पति का प्रभाव रहता है। वास्तुशास्त्र में दक्षिण दिशा का द्वार शुभ नहीं माना जाता है। इसे संकट का द्वारा भी कहा जाता है। यदि आपका घर दक्षिणमुखी होकर दूषित दूषित है तो गृहस्वामी को कष्ट, भाइयों से कटुता, क्रोध की अधिकता और दुर्घटनाएं बढ़ती हैं। रक्तचाप, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, फोड़े-फुंसी, बवासीर, चेचक, प्लेग आदि रोग होने की आशंका रहती है। इस दिशा में रहने से आकस्मिक मौत के योग भी बनते हैं।
कैसे दक्षिणमुखी मकान में नहीं होता दक्षिण दोष?
1. यदि दक्षिणमुखी मकान के सामने द्वार से दोगुनी दूरी पर स्थित नीम का हराभरा वृक्ष है या मकान से दोगना बड़ा कोई दूसरा मकान है तो दक्षिण दिशा का असर कुछ हद तक समाप्त हो जाएगा।
2. इसके अलावा द्वारा के ऊपर पंचमुखी हनुमानजी का चित्र भी लगाना चाहिए।
3. दक्षिण मुखी प्लाट में मुख्य द्वार आग्नेय कोण में बना है और उत्तर तथा पूर्व की तरफ ज्यादा व पश्चिम व दक्षिण में कम से कम खुला स्थान छोड़ा गया है तो भी दक्षिण का दोष कम हो जाता है।
4. बगीचे में छोटे पौधे पूर्व-ईशान में लगाने से भी दक्षिण का दोष कम हो जाता है।
5. आग्नेय कोण का मुख्यद्वार यदि लाल या महरून रंग का हो, तो श्रेष्ठ फल देता है। इसके अलावा हरा या भूरा रंग भी चुना जा सकता है। किसी भी परिस्थिति में मुख्यद्वार को नीला या काला रंग प्रदान न करें।
6. दक्षिण मुखी भूखण्ड का द्वार दक्षिण या दक्षिण-पूरब में कतई नहीं बनाना चाहिए। पश्चिम या अन्य किसी दिशा में मुख्य द्वार लाभकारी होता हैं।
7. यदि आपका दरवाजा दक्षिण की तरफ है तो द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने। इससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के साथ घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक उर्जा पलटकर वापस चली जाती है।