दक्षिणमुखी भवन और वास्तु

Webdunia
- कुलदीप सलूज ा

ND
वास्तुशास्त्र के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों के दिलोदिमाग में भी यह बात गहराई तक समाई हुई है कि दक्षिणमुखी मकान में निवास करके कभी सुखी नहीं रह सकते हैं। इस भय के कारण भारत में कई दक्षिणमुखी प्लॉट लंबे समय तक खाली पड़े रहते हैं और बेचने वाले को प्लॉट की कीमत कम करके ही बेचना पड़ता है, जबकि सच्चाई बिलकुल इसके विपरीत है।

सच्चाई यह है कि दक्षिणमुखी मकान यदि वास्तुनुकूल बना हो तो आदमी दूसरी दिशाओं की तुलना में बहुत ज्यादा यश व मान-सम्मान पाता है। वहाँ रहने वालों का जीवन वैभवशाली होता है। परिवार चौतरफा तरक्की कर सुखी एवं सरल जीवन व्यतीत करता है।

यम के आधिपत्य एवं मंगल ग्रह के पराक्रम वाली दक्षिण दिशा पृथ्वी तत्व की प्रधानता वाली दिशा है। इसलिए दक्षिणमुखी प्लॉट पर भवन बनाते समय वास्तु के कुछ सिद्धांतों का पालन कर लिया जाए तो निश्चित है कि वहाँ रहने वालों का जीवन उत्तर या पूर्वमुखी घर में निवास करने वालों की तुलना में बहुत बेहतर हो सकता है।

ND
- दक्षिणमुखी प्लॉट पर कंपाउंड वॉल एवं घर का मुख्य द्वार दक्षिण आग्नेय में रखें, किसी भी कीमत पर दक्षिण नैऋत्य में न रखें। दक्षिण नैऋत्य में ही द्वार रखना मजबूरी हो तो ऐसी स्थिति में आप उस प्लॉट पर मकान बिलकुल न बनाएँ और उस प्लॉट को बेच दें, क्योंकि दक्षिण नैऋत्य में द्वार रखकर वास्तुनुकूल घर बन ही नहीं सकता।

- जहाँ दक्षिण आग्नेय का द्वार बहुत शुभ होता है, वहीं दक्षिण नैऋत्य का द्वार अत्यंत अशुभ होता है। दक्षिण नैऋत्य के द्वार का कुप्रभाव विशेष तौर पर परिवार की स्त्रियों पर पड़ता है। उन्हें मानसिक व शारीरिक कष्ट रहता है। यही द्वार परिवार की आर्थिक स्थिति को भी खराब रखता है। द्वार के इस दोष के साथ ही यदि मकान के ईशान कोण में भी कोई वास्तुदोष है तो यह परिवार के किसी सदस्य के साथ अनहोनी का कारण भी बन जाता है।

- किसी भी प्रकार के भूमिगत टैंक जैसे फ्रेश वाटर टैंक, बोरिंग, कुआँ इत्यादि केवल उत्तर दिशा, उत्तर ईशान व पूर्व दिशा के बीच ही कंपाउंड वॉल के साथ बनाएँ और सेप्टिक टैंक उत्तर या पूर्व दिशा में ही बनाएँ। ध्यान रहे सेप्टिक टैंक ईशान कोण में न बनाएँ।

- प्लॉट पर भवन का निर्माण करते समय इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखें कि भवन का ईशान कोण घटा, कटा, गोल, ऊँचा इत्यादि नहीं होना चाहिए और नैऋत्य कोण किसी भी तरह से बढ़ा हुआ या नीचा नहीं होना चाहिए।

- बनने वाले भवन की ऊँचाई प्लॉट से 1 से 2 फुट ऊँची अवश्य रखें और पूरे भवन के फर्श का लेवल एक जैसा रखें। भवन के किसी भी हिस्से का फर्श ऊँचा-नीचा न रखें अर्थात समतल रखें। यदि साफ-सफाई के लिए थोड़ा ढाल देना चाहें तो उत्तर, पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर ढाल दे सकते हैं। इसी प्रकार प्लॉट के खुले भाग का ढाल भी उत्तर, पूर्व दिशा एवं ईशान कोण की ओर ही दें ताकि बरसात का पानी ईशान कोण से होकर ही बाहर निकले।

यदि गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था उत्तर या पूर्व दिशा में न हो पा रही हो तो ऐसी स्थिति में कंपाउंड वॉल के साथ प्लॉट के पूर्व ईशान से एक नाली बनाकर पूर्व आग्नेय की ओर बाहर निकालें या उत्तर ईशान से नाली बनाकर उत्तर वायव्य से बाहर निकाल दें।
Show comments

Surya grahan 2024: अक्टूबर 2024 में लगेगा इस सदी का सबसे बड़ा सूर्यग्रहण, 4 राशियों के लिए नहीं है शुभ

Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि में करें इन श्लोकों का पाठ

आंध्र प्रदेश का एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर जहां हवा में तैरता है स्तंभ

Shardiya navratri 2024 date: शारदीय नवरात्रि कब से शुरू होगी, 3 या 4 अक्टूबर? तिथियों को लेकर करें कन्फ्यूजन दूर

Sarva pitru amavasya 2024 date: सर्वपितृ अमावस्या कब है 1 अक्टूबर या 2 अक्टूबर 2024?

28 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन

28 सितंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Surya grahan 2024 : सर्वपितृ अमावस्या पर लगेगा सूर्य ग्रहण, जानें कब करें श्राद्ध, तर्पण

Aaj Ka Rashifal: आज इन राशियों को मिलेगा कारोबार में लाभ, पढ़ें 27 सितंबर का राशिफल

27 सितंबर 2024 : आपका जन्मदिन