Festival Posters

वास्तु की नजर से पूजाघर

Webdunia
- टीना अग्रवा ल
ND
घर में पूजा के कमरे का स्थान सबसे अहम् होता है। यह वह जगह होती है, जहाँ से हम परमात्मा से सीधा संवाद कर सकते हैं। ऐसी जगह जहाँ मन को सर्वाधिक शांति और सुकून मिलता है। प्राचीन समय में अधिकांशतः पूजा का कमरा घर के अंदर नहीं बनाया जाता था।

घर के बाहर एक अलग स्थान देवता के लिए रखा जाता था जिसे परिवार का मंदिर कहते थे। बदलते दौर के साथ एकल परिवार का चलन बढ़ा है, इसलिए पूजा का कमरा घर के भीतर ही बनाया जाने लगा है। अतएव वास्तु अनुसार पूजा घर का स्थान नियोजन और सजावट की जाए तो सकारात्मक ऊर्जा अवश्य प्रवाहित होती है।

स्थान : पूजा का कमरा घर के उत्तर-पूर्व कोने में बनाने से शांति, सुकून, स्वास्थ्य, धन और प्रसन्नता मिलती है। पूर्व या उत्तर दिशा में भी पूजा स्थल बना सकते हैं। पूजाघर के ऊपर या नीचे की मंजिल पर शौचालय या रसोईघर नहीं होना चाहिए, न ही इनसे सटा हुआ। सीढ़ियों के नीचे पूजा का कमरा बिलकुल नहीं बनवाना चाहिए। यह हमेशा ग्राउंड फ्लोर पर होना चाहिए, तहखाने में नहीं। पूजा का कमरा खुला और बड़ा बनवाना चाहिए।
  घर में पूजा के कमरे का स्थान सबसे अहम् होता है। यह वह जगह होती है, जहाँ से हम परमात्मा से सीधा संवाद कर सकते हैं। ऐसी जगह जहाँ मन को सर्वाधिक शांति और सुकून मिलता है। प्राचीन समय में अधिकांशतः पूजा का कमरा घर के अंदर नहीं बनाया जाता था।      


मूर्तियाँ : कम वजन की तस्वीरें और मूर्तियाँ ही पूजाघर में रखनी चाहिए। इनकी दिशा पूर्व, पश्चिम, उत्तर मुखी हो सकती है, लेकिन दक्षिण मुखी कभी नहीं। भगवान का चेहरा किसी भी वस्तु से ढँका नहीं होना चाहिए, फूल और माला से भी नहीं। इन्हें दीवार से एक इंच दूर रखना चाहिए, एक-दूसरे के सम्मुख नहीं। इनके साथ अपने पूर्वजों की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। खंडित मूर्तियाँ पूजाघर के अंदर कभी नहीं रखना चाहिए। अगर कोई मूर्ति खंडित हो जाए तो उसे तुरंत प्रवाहित करा देना चाहिए।

दीपक : दीया पूजा की थाली में, भगवान के सामने रखा होना चाहिए। यह दरवाजे में रखा होना चाहिए, ऊँची जगह या प्लेटफार्म पर नहीं। दीपक में दो जली हुई बत्तियाँ होनी चाहिए, एक पूर्व और एक पश्चिम मुखी।

दरवाजा : दरवाजा और खिड़की उत्तर या पूर्व में होना चाहिए। यह टीन या लोहे का नहीं बना होना चाहिए। यह दीवार के बीचोंबीच स्थित होना चाहिए। अलमारी, टांड या कैबिनेट की ऊँचाई मूर्तियों के स्थान की ऊँचाई से अधिक नहीं होनी चाहिए।

अन्य : धूप, अगरबत्ती या हवन कुंड पूजाघर के दक्षिण-पूर्व कोण में रखने चाहिए। सौंदर्य प्रसाधन की या कोई भी अन्य वस्तु यहाँ नहीं रखनी चाहिए। पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए, दक्षिण दिशा की ओर नहीं। पूजा स्थल के ऊपर भारी सामान नहीं रखना चाहिए। धनया गहने पूजाघर में नहीं रखने, छिपाने चाहिए।
Show comments

Astrology 2026: सूर्य गोचर 2026 की मुख्य तिथियां

Budh vakri gochar 2025: बुध ग्रह ने चली वक्री चाल, जानिए क्या होगा 12 राशियों का राशिफल

Nag Diwali 2025: नाग दिवाली क्या है, क्यों मनाई जाती है?

Dreams and Destiny: सपने में मिलने वाले ये 5 अद्‍भुत संकेत, बदल देंगे आपकी किस्मत

Sun Transit 2025: सूर्य के वृश्‍चिक राशि में जाने से 5 राशियों की चमक जाएगी किस्मत

Lal Kitab Vrishabha Rashifal 2026: वृषभ राशि (Taurus)- शनि और गुरु मिलकर देंगे रोग-शत्रुओं से मुक्ति, पर उपाय जानना है जरूरी

Aaj Ka Rashifal: आज का दैनिक राशिफल: मेष से मीन तक 12 राशियों का राशिफल (18 नवंबर, 2025)

18 November Birthday: आपको 18 नवंबर, 2025 के लिए जन्मदिन की बधाई!

Aaj ka panchang: आज का शुभ मुहूर्त: 18 नवंबर, 2025: मंगलवार का पंचांग और शुभ समय

Margashirsha Amavasya: मार्गशीर्ष अमावस्या कब है, 19 या 20 नवंबर? जानें शुभ मुहूर्त