vat savitri purnima 2020 : 5 जून को वट सावित्री पूर्णिमा व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि एवं मुहूर्त

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vat savitri Vrat 2020
 
इस वर्ष वट पूर्णिमा व्रत 5 जून 2020 को मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म में वट वृक्ष का खास महत्व है। वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूरे भारत में पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा करने वाली महिलाओं का सुहाग अजर-अमर रहता है और उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है। 
 
वट वृक्ष की शाखाओं और लटों को सावित्री का रूप माना जाता है। देवी सावित्री ने कठिन तपस्या से अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थीं। वट वृक्ष को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप माना जाता है। यह इकलौता ऐसा वृक्ष है, जिसे तीनों देवों का रूप माना गया है। इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी भोलेनाथ का वास होता है। वट वृक्ष की पूजा करने से तीनों देवता प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
 
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत जानिए क्या करें-  
 
* यह व्रत 3 दिन पहले से शुरू होता है, इसलिए दिन भर व्रत रखकर औरतें शाम को भोजन ग्रहण करती हैं। 
 
* वट सावित्री पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र और आभूषण पहनें।
 
* तत्पश्चात वट वृक्ष के नीचे अच्छी तरह साफ-सफाई कर लें।
 
* वट वृक्ष के नीचे सत्यवान और सावित्री की मूर्तियां स्थापित करें और लाल वस्त्र चढ़ाएं।
 
* बांस की टोकरी में 7 तरह के अनाज रखें और कपड़े के दो टुकड़े से उसे ढंक दें।
 
* एक और बांस की टोकरी लें और उसमें धूप, दीप कुमकुम, अक्षत, मौली आदि रखें।
 
* वट वृक्ष और देवी सावित्री और सत्यवान की एक साथ पूजा करते हैं।
 
* इसके बाद बांस के बने पंखे से सत्यवान और सावित्री को हवा करते हैं और वट वृक्ष के एक पत्ते को अपने बाल में लगाकर रखा जाता है।
 
* इसके बाद प्रार्थना करते हुए लाल मौली या सूत के धागे को लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा करते हैं और घूमकर वट वृक्ष को मौली या सूत के धागे से बांधते हैं। ऐसा 7 बार करते हैं।
 
* यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद कथा सुनते हैं
 
यहां देखें संपूर्ण और प्रामाणिक कथा का वीडियो 
 
* पंडित जी को दक्षिणा देते हैं। आप किसी जरूरतमंद को भी दान दे सकते हैं।
 
* घर के बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लें और मिठाई खाकर अपना व्रत खोलें।
 
वट सावित्री व्रत पूजन के शुभ मुहूर्त- 
 
इस बार पूर्णिमा तिथि जून 5, 2020 को 3.17 मिनट से प्रारंभ होकर तथा 6 जून 2020 को (मध्यरात्रि) 12.41 मिनट पर समाप्त होगी। पूजन के पश्चात घर में सुख, शांति और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें। 

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