मन की पुकार है हिन्दी में बात करें

हिन्दी पर विद्वानों के विचार

Webdunia
FILE


मन की पुकार है हिन्दी में बात करें, पर जमाना है कि अंग्रेजी की रट लगाए! बस अंग्रेजी बोलो, चाहे जैसी बोलो, क्योंकि जमाना है अंग्रेजी का। अपनी मातृभाषा के भले भविष्य की बात करना सही मायने में स्वयं को आइने में देखना और आत्ममुग्ध होने जैसी बात है। हिन्दी हमें सदियों से अच्छी लगती आ रही है, पर अच्छे लगने और उसे प्रयोग में लाने में काफी अंतर आ गया!

हिन्दी फिल्मी सितारों से लेकर राजनेता भी हिन्दी की वकालत करते हैं, पर बात नहीं करते! अनमने ढंग से ही सही पर मुद्दे की बात यह है कि हमारा दिल चाहता है हिन्दी में पढ़ें, आगे बढ़ें , पर माहौल इसके विपरीत बनता जा रहा है। प्रस्तुत है हिन्दी की वकालत करने वाले देश के उन नामचीन लोगों के विचार, जिनके प्रयासों से आज तक हिन्दी बची है और आगे भी बची रहेगी।

अगले पेज पर पढ़ें लेखक अजित कुमार के विचार


हिन्दी का स्वर्णकाल अभी आना है
- अजित कुमार

हिन्दी के वर्तमान और भविष्य को उसके अतीत का विस्तार समझना होगा। हिन्दी का अतीत महान, वर्तमान संतोषप्रद और भविष्य उज्ज्वल है। उन युगों के लेखन की तुलना में परवर्ती लेखन का दायरा विस्तृत, व्यापक और सक्षम तो हुआ, लेकिन उसके सम्यक्‌ मूल्यांकन के लिए समय की जो दूरी अपेक्षित है, वह अभी नहीं बन पाई।

तो भी लगभग आधी-पौनी सदी से संबद्ध हिन्दी के जो नौ 'लघुरत्न' उभरकर सामने आए हैं वे हैं- रामचंद्र शुक्ल, हजारीप्रसाद द्विवेदी, जैनेंद्र, बच्चन, दिनकर, शमशेर, अज्ञेय, मुक्तिबोध और नागार्जुन।

FILE


पिछले लगभग हजार वर्षों के दौरान अस्तित्व के संघर्ष से जूझती हमारी भाषा और साहित्य का वास्तविक "स्वर्णकाल" अभी आने को है। अंचलों से लेकर देश, देशांतरों तक फैल रही हिन्दी की बेल अब भी पनपनी, बढ़नी शेष है। इंटरनेट और मल्टीमीडिया की जो अनंत संभावनाएं इधर के वर्षों में खुली हैं, उनका प्रवेश हिन्दी में अभी शुरू ही हुआ है।

इतने ही कम समय में उस तथाकथित "अपार शून्य" में हिन्दी की विविधवर्णी इतनी अधिक नई सामग्री इकट्ठी हो चुकी है, जितनी शायद समूचे हजार वर्षों के दौरान न रची गई होगी, न मुखरित की गई।

फलतः भविष्य की बड़ी भारी चुनौतियों में एक यह भी है कि उस विशाल भंडार में मौजूद मूल्यवान "रत्न" या अन्न को कचरे या भूसे से किस तरह अलगाया जाए? इस नई चुनौती का सामना तो फिर भी शायद किसी न किसी तरह हो सके, वह पुरानी वाली चुनौती सचमुच बेढब थी जो अमरत्व की आकांक्षा करने वालों के सामने एक कवि ने रखी थी।

( लेखक वरिष्ठ साहित्यकार हैं)

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

शिशु को ब्रेस्ट फीड कराते समय एक ब्रेस्ट से दूसरे पर कब करना चाहिए शिफ्ट?

प्रेग्नेंसी के दौरान पोहा खाने से सेहत को मिलेंगे ये 5 फायदे, जानिए गर्भवती महिलाओं के लिए कैसे फायदेमंद है पोहा

Health : इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने से दूर होगी हॉर्मोनल इम्बैलेंस की समस्या

सर्दियों में नहाने से लगता है डर, ये हैं एब्लूटोफोबिया के लक्षण

घी में मिलाकर लगा लें ये 3 चीजें, छूमंतर हो जाएंगी चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस

सभी देखें

नवीनतम

विवाह के बाद गृह प्रवेश के दौरान नई दुल्हन पैर से क्यों गिराती है चावल से भरा कलश? जानिए क्या है इस रस्म के पीछे का कारण

क्या होता है ग्रे डिवोर्स जिसके जरिए ए आर रहमान और उनकी पत्नी सायरा बानो हुए अलग, कैसे है ये आम तलाक से अलग?

Sathya Sai Baba: सत्य साईं बाबा का जन्मदिन आज, पढ़ें रोचक जानकारी

सावधान! धीरे धीरे आपको मार रहे हैं ये 6 फूड्स, तुरंत जानें कैसे बचें

जीवन की ऊर्जा का मूल प्रवाह है आहार