कोरोना वायरस का प्रकोप दिन-ब-दिन लगातार बढ़ता जा रहा है। देश में कोरोना की दूसरी लहर बेहद खतरनाक है। कोरोना के लक्षण तेजी से बदलते जा रहे हैं। वहीं संपूर्ण देश में ऑक्सीजन की कमी दर्ज की गई है, जिस वजह से कई लोग असमय मौत के गाल में समा गए हैं। दूसरी ओर जो लोग इस वायरस की चपेट में हैं या जो सुरक्षित हैं वह दिनभर कपूर और अजवाइन की पोटली को सूंघ रहे हैं ताकि ऑक्सीजन की कमी नहीं हो।
सोशल मीडिया पर छिड़ी जंग
सोशल मीडिया पर इन दिनों बड़ा दावा किया जा रहा है कि कपूर और अजवाइन की पोटली सूंघने से ऑक्सीजन का लेवल कम नहीं होगा। लेकिन इस दावे में कितनी सच्चाई है इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक जंग छिड़ी हुई है। कोई इसे मिथ बता रहा है तो कोई इस बात पर पूरा भरोसा कर रहा है। कपूर और अजवाइन की पोटली सूंघने पर भरोसा इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि लद्दाख, अमरनाथ, वैष्णो देवी सहित पहाड़ी क्षेत्रों में कपूर का उपयोग किया जाता है, ताकि ऑक्सीजन स्तर कम नहीं हो।
सीधे यात्रियों से की बात
1. अवि जैन (बिजनेसमैन) ने बताया कि 2 साल पहले मैं लद्दाख की यात्रा पर गया था। वहां पर ऑक्सीजन का लेवल काफी कम था। इससे बेचैनी भी होने लगी थी। लेकिन कपूर सूंघने के बाद काफी राहत महसूस की।
2. अंकिता तोमर ने बताया कि मैं 3 बार अमरनाथ हो कर आ चुकी हूं और हमेशा अपने साथ कपूर जरूर रखा। जब भी सांस लेने में दिक्कत हुई। कपूर सूंघने से राहत मिली। वहां पर अधिकतर लोग अपने साथ कपूर जरूर रखते हैं, ताकि ऑक्सीजन कम होने पर तुरंत सूंघ सकें।
3. लेखिका ज्योति जैन ने बताया कि वे 2016 में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गई थीं और घर से ही बहुत सारी कपूर की पोटलियां बना कर ले गई थीं। पहले जा चुके उनके परिचितों और डॉक्टर के कहने पर ही वे पूरी यात्रा में कपूर का नियमित प्रयोग करती रहीं।।।यहां तक कि जहां कहीं भी वे विश्राम के लिए रुके थे वहां आसपास कपूर बिखेर देते थे। उनका कहना है कि इससे उनका ऑक्सीजन लेवल 98 तक बना रहा।
4. पूजा जैन ने बताया कि लद्दाख की यात्रा में उन्हें ब्रीथिंग में काफी समस्या हुई थी। उन्होंने अपने साथ कपूर रखा था, जिसे वह सूंघती रही लेकिन उन्हें कपूर बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं लगा। उन्होंने बताया कि वह लगातार पानी पीते जा रही थीं, इससे उन्हें काफी राहत मिली।
हेल्थ एक्सपर्ट का क्या कहना है?
वायरल दावे को लेकर वेबदुनिया ने डॉ. सरिता जैन (एमडी) से बात की। उन्होंने बताया कि कपूर को सूंघने से साइनस खुल जाते हैं, तब सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं होती है। हालांकि, उन्होंने वायरल दावे की पुष्टि भी नहीं की और ना ही पूरी तरह से खारिज किया।
दावा सही है या गलत?
दरअसल, यह एक परंपरागत घरेलू उपचार है। हालांकि, हमें ऐसी कोई रिसर्च नहीं मिली जो इस दावे को पुष्टि करती हो। इसलिए बेहतर होगा कि कोविड-19 के दौर में घरेलू उपचार की जगह, डॉक्टर से सलाह लेकर तुरंत इलाज किया जाए।