प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर महत्वाकांक्षी योजना नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन की शुरुआत की। इस योजना के तहत हर भारतीय को एक यूनिक हेल्थ आईडी कार्ड दिया जाएगा। अब, एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार ने हेल्थ आईडी के रजिस्ट्रेशन के लिए लोगों से उनकी निजी जानकारियां मांगी हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय नागरिकों के पास हेल्थ डाटा पॉलिसी की समीक्षा के लिए केवल एक हफ्ता बचा है और केंद्र द्वारा ऐसा किया जाना अलोकतांत्रिक हैं। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस योजना के तहत लोगों की मेडिकल हिस्ट्री, फाइनेंस, जेनेटिक्स, सेक्स लाइफ, जाति, धर्म और राजनीतिक विचारधारा से संबंधित जानकारी एकत्रित की जाएगी।
क्या है सच-
भारत सरकार की प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने इस रिपोर्ट को फर्जी बताया है। PIB का कहना है कि ये दावा झूठा है और सरकार ने हेल्थ आईडी के रजिस्ट्रेशन के लिए ऐसी कोई जानकारी नहीं मांगी है। हेल्थ आईडी के लिए नाम, जन्म की तारीख, राज्य जैसी जानकारियां की जरूरत होती है।