क्या मोदी सरकार ने महिलाओं को बलात्कारियों को जान से मारने का अधिकार देने वाला कानून पारित किया... जानिए सच...

Webdunia
शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019 (13:27 IST)
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक खबर तेजी से वायरल हो रही है। इसमें कहा जा रहा है कि एक नया कानून पारित किया गया है। सेक्शन 233 के तहत महिलाओं को अब ये अधिकार है कि वे बलात्कारियों को जान से मार सकती हैं या खतरनाक रूप से नुकसान पहुंचा सकती हैं और इसमें उन्हें हत्या का दोषी नहीं माना जाएगा।
 
क्या है वायरल-
 
फेसबुक और ट्विटर पर कई यूजर्स लिख रहे है- ‘आखिरकार एक नया कानून पारित किया गया है। Indian Penal Code के सेक्शन 233 के अनुसार, यदि किसी लड़की के साथ बलात्कार होने या उसके साथ बलात्कार होने की आशंका है, तो उसके पास उस व्यक्ति को मारने या खतरनाक रूप से नुकसान पहुंचाने का सर्वोच्च अधिकार है और लड़की को हत्या का दोषी नहीं ठहराया जाएगा’।
 
क्या है सच-
 
जब हमने इंटरनेट पर IPC का सेक्शन 233 सर्च किया, तो पता चला कि वायरल खबर में सेक्शन 233 के बारे में जो कुछ बताया गया है, उसका क्राइम अगेंस्ट वुमन से कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि सेक्शन 233 नकली सिक्के बनाने और उन्हें बेचने से जुड़ा है।
 
जब यह खबर वायरल होने लगी तो PIB ने भी ट्वीट कर इस मैसेज को फेक करार दिया है। साथ ही, ये भी बताया कि सेक्शन 96 से 100 में राइट टू सेल्फ डिफेंस का प्रावधान है।

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#PIBFactCheck

Claim: New law passed - "Section 233 of Indian Penal Code", allowing a potential rapist to be killed

Reality: Section 233 deals with counterfeiting of currency. Sections 96 to 100 deal with right of private defence of body and property.

Conclusion: #FakeNews pic.twitter.com/N4LeKRv2dl

— PIB India (@PIB_India) December 3, 2019 >
 
क्या है राइट टू सेल्फ डिफेंस?
 
IPC के सेक्शन 96 से लेकर 106 तक हर एक व्यक्ति को आत्मरक्षा का अधिकार दिया गया है। इसके तहत प्रत्येक शख्स को शरीर और संपत्ति की रक्षा का अधिकार है और इसके लिए वह सेल्फ डिफेंस में अटैक कर सकता है। लेकिन सेल्फ डिफेंस रीजनेबल होना चाहिए। यानी अपराधी को उतनी ही क्षति पहुंचाई जा सकती है जितनी जरूरत है। सेक्शन-100 के तहत सेल्फ डिफेंस में अगर किसी अपराधी की मौत भी हो जाए तो भी बचाव हो सकता है बशर्ते कानूनी प्रावधान के तहत ऐसा एक्ट किया गया हो।
 
अगर गंभीर चोट पहुंचने का खतरा हो, रेप या फिर दुराचार का खतरा हो, अपराधी अगर अपहरण की कोशिश में हो तो ऐसी सूरत में सेल्फ डिफेंस में किए गए अटैक में अगर अपराधी की मौत भी हो जाए तो अपना बचाव किया जा सकता है। लेकिन यह साबित करना होगा कि उक्त कारणों से अटैक किया गया।
 
यह अधिकार किसी के भी द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। यह प्रावधान महिलाओं और बलात्कार के मामलों के लिए विशेष नहीं है। बता दें, यह कानून नया भी नहीं है, बल्कि यह 1860 से है।
 
वेबदुनिया की पड़ताल में पाया गया है कि वायरल खबर फेक है। मोदी सरकार ने ऐसा कोई कानून पारित नहीं किया है। IPC का सेक्शन 233 नकली सिक्के बनाने और उन्हें बेचने से संबंधित है।

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