(Photo:Screenshot of viral video)
देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर काफी हद तक काबू में आ गई है। दो महीनों से भी ज्यादा समय के बाद मंगलवार को देश में कोरोना के एक लाख से कम मामले दर्ज किए गए हैं। लेकिन कोरोना को लेकर अफवाहों का दौर अब भी जारी है। 5G तकनीक को कोरोना से जोड़ने वाली कई कांस्पिरेसी थ्योरीज सोशल मीडिया पर शेयर की जाती रही हैं। ऐसा ही दावा करते हुए एक वीडियो इन दिनों फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप पर जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि 5G मोबाइल टावर में COVID-19 की चिप मिली है।
क्या है वायरल वीडियो में-
वीडियो शेयर करते हुए यूजर्स लिख रहे हैं- “5G टॉवर पे काम करने वाला लेबर है इस 5G टावर पर टैक्निकल खराबी पर रिपेयरिंग करना था और खास तौर पर मना किया गया था एक प्लेट को खोलकर नही देखना है उस ने हुक्म की खिलाफ उस प्लेट को खोलकर देखा तो उस मे Covid-19 की चिप नजर आई साफ जाहिर होता है के इंसानियत के खिलाफ कुछ साजिश है।”
इस वीडियो में एक शख्स नारंगी रंग का युनिफॉर्म और पीले रंग का हैट पहने नजर आता है। इस शख्स को कहते सुना जा सकता है कि उसे टावर में एक सर्किट बोर्ड मिला है, जिसपर “COV 19” लिखा हुआ है। वह वीडियो के आखिर में आश्चर्य जताते हुए कहता है कि 'मोबाइल टावर में इस तरह का सर्किट क्यों लगाया गया है?'
क्या है सच्चाई-
पड़ताल शुरू करते हुए हमने गूगल क्रोम के InVID टूल की मदद से वायरल वीडियो के कुछ कीफ्रेम्स निकाले। जिन्हें हमने गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। सर्च रिजल्ट में हमें हेडन प्रॉसी नाम के ट्विटर अकाउंट पर जुलाई 2020 में शेयर किया गया एक वीडियो मिला।
वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने लिखा था- “कांस्पिरेसी थ्योरीज शुरू करना कितना आसान है?” 12 मिनट के इस वीडियो को हेडन प्रॉसी ने ही बनाया है। इसमें हेडन ने बताया कि किस तरह उन्होंने मोबाइल नेटवर्क इंजीनियर बनकर अफवाह फैलाई। हेडन ने एक सर्किट बोर्ड पर स्टिकर से COV 19 लिखा और 5G टावर के पास खड़े होकर वीडियो बनाया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
हेडन प्रॉसी एक ब्रिटिश एक्टिविस्ट, जर्नलिस्ट और सटायरिस्ट हैं। हेडन ने इस वीडियो में बताया कि अफवाह फैलाना कितना आसान है, ये उन्होंने खुद एक वीडियो बनाकर साबित कर दिया। उन्होंने कहा कि इस वीडियो को बनाने का मकसद सिर्फ लोगों को अफवाहों से सचेत करना है।
वेबदुनिया की पड़ताल में सामने आया कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल वीडियो को ब्रिटिश एक्टिविस्ट हेडन प्रॉसी ने अफवाहों से सचेत करने के लिए बनाया था।