Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Alert: डॉक्‍टर की सलाह के बगैर कोरोना में भूलकर भी न करें इन 4 दवाओं का इस्‍तेमाल

Advertiesment
हमें फॉलो करें Alert: डॉक्‍टर की सलाह के बगैर कोरोना में भूलकर भी न करें इन 4 दवाओं का इस्‍तेमाल
, मंगलवार, 8 जून 2021 (12:31 IST)
कोरोना में कई मरीज ऐसे रहे हैं जिन्‍होंने डॉक्‍टर की सलाह के बगैर ही अपनी मर्जी से दवाएं ली और इलाज किया। लोग कई बीमारियों की दवाएं मर्जी से ही मेड‍िकल स्‍टोर से खरीद लेते हैं। लेकिन यह नुकसानदायक हो सकता है। कोरोना के संक्रमण में भी लोगों ने यही किया। डॉक्टरों का कहना है कि इन मरीजों को बाद में अस्पताल पहुंचना पड़ता है।

आज आपको बताते हैं कि दवा कैसे तैयार होती है और कौनसी मेड‍िस‍िन मरीजों को अपनी मर्जी से नहीं लेना चाहिए।

कैसे बनाई जाती है दवा?
दवा केमिकल या यौगिक होती है जिसका इस्तेमाल रोकथाम, इलाज, बीमारी की पहचान पर लक्षणों को हल्का करने में किया जाता है। दवाइयों के विकास ने डॉक्टरों को बहुत सारी बीमारियों का इलाज करने और जिंदगी बचाने में सक्षम बना बना दिया है।

ये दवाएं विभिन्न स्रोतों से आती है। कुछ दवाइयों का विकास प्रकृति में पाए जाने वाले घटक से हुआ, और यहां तक कि आज भी बहुत लोग पौधों से अर्क निकालते हैं। कुछ दवाइयां विभिन्न प्रकार के केमिकल को एक साथ मिलाकर तैयार की जाती हैं। कुछ को आनुवांशिक रूप से बैक्टीरिया में जीन दाखिल कर वांछित घटक बनाया जाता है। लेकिन, अगर आप अपनी सेहत की चिंता करते हैं, तो इन दवाओं को लेने से बचें क्योंकि उससे समस्या पैदा हो सकती है।

डॉक्‍टर के कहे ब‍िना नहीं लें ये दवाएं
रेमडिसिवर- रेमडेसिविर दवा का इस्तेमाल घरेलू इस्तेमाल के लिए नहीं है। उसे सिर्फ अस्पताल के लिए निर्धारित किया गया हा। कोविड-19 के मध्यम या गंभीर लक्षण में पूरक ऑक्सीजन के जरूरतमंदों को रेमडिसिविर का इंजेक्शन लगाया जाता है।

स्टेरयॉड्स-  स्टेरयॉड्स जैसे डेक्सामेथासोन का इस्तेमाल अस्पताल में सिर्फ नाजुक या गंभीर स्थिति के लिए है। यह 60 साल से ज्यादा समय से बाजार में उपलब्ध। आमतौर पर सूजन कम करने के लिए उसका उपयोग होता है। इसलिए, खुद से दवा को निर्धारित न करें।

एंटीकोआगुलंट्स- ये दवाइयां क्लॉटिंग को कम करती हैं, लेकिन उन्हें डॉक्टर की सिफारिश पर मध्यम या गंभीर मामलों में दी जाती है। रसायनिक पदार्थ एंटीकोआगुलंट्स यानी आमतौर पर ब्लड पतला करने के रूप में जाना जाता है। जो रक्त के जमाव को रोकते हैं या कम करते हैं।

टोसिलिजुमैब- इम्यूनोसपरसेंट का मतलब सिर्फ गंभीर या नाजुक स्थिति के लिए होता है। स्टेरयॉड्स दिए जाने के 24-48 घंटे बाद मरीज की स्थिति में कोई सुधार न होने पर ये दवा दी जाती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Data Story : राहत का जून, 8 दिन में 9.48 लाख कोरोना संक्रमित, 16.49 लाख रिकवर