आज निहारेंगी अपना चाँद

Webdunia
शनिवार, 15 अक्टूबर 2011 (09:14 IST)
सौभाग्यवती महिलाओं को चाँद का इंतजार इतना कभी नहीं रहता जितना कि करवा चौथ के दिन रहता है। पति की लंबी आयु एवं परिवार की सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाने वाला यह पर्व 15 अक्टूबर को है, जिसकी तैयारी में महिलाएँ जुटी हुई हैं। नगर के विभिन्न बाजारों में महिलाओं द्वारा साड़ी, आभूषण, रंगबिरंगी चूड़ियों और मिट्टी के करवे इत्यादि की खरीदी की जा रही है। वहीं ब्यूटी पार्लरों पर भी सजने-सँवरने के लिए महिलाओं ने एडवांस बुकिंग करा ली है।


करवा चौथ पर्व को लेकर बाजार में रौनक छा गई है। पर्व के एक दिन पूर्व महिलाओं द्वारा श्रृंगार सामग्री की जमकर खरीदी की गई। शुक्रवार को ही कोण के माध्यम से महिलाओं ने हाथों में मेहँदी भी रचाई। नगर में विभिन्न स्थानों पर आकर्षक करवों की दुकानें भी सजीं जहाँ महिलाओं ने खरीदी की। साड़ियों की दुकान पर महिलाओं की भीड़भाड़ रही, वहीं सराफा बाजार में भी महिलाओं ने आभूषणों की खरीद की।


ब्यूटी पार्लरों पर बुकिंग

करवा चौथ के लिए महिलाओं में खासा उत्साह है। पर्व पर आकर्षक दिखने के लिए कई महिलाओं ने तो पहले से ही ब्यूटी पार्लरों पर एडवांस बुकिंग करा ली है। पर्व को लेकर नवविवाहित महिलाओं में विशेष उत्साह देखा गया। ब्यूटी पार्लर संचालक आरती सोनी ने बताया कि करवा चौथ पर्व के लिए आठ दिन पूर्व से ही बुकिंग प्रारंभ हो गई।


बुजुर्ग महिलाओं से पर्व का महत्व जाना

आधुनिक युग में पली-बढ़ी अनेक विवाहित महिलाओं को करवा चौथ के महत्व के बारे में जानकारी नहीं है। ऐसी स्थिति में घर-परिवार की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा इस पर्व के महत्व से उन्हें अवगत कराया जा रहा है, वहीं विभिन्न टीवी चैनलों के माध्यम से भी करवा चौथ को लेकर कार्यक्रमों का प्रसारण हो रहा है।


खरीदारी में पतिदेव भी पीछे नहीं

यह व्रत रखने वाली अनेक महिलाओं के पति त्योहार पर उन्हे गिफ्ट देने में पीछे नहीं रहने वाले। कई पतियों ने अपनी पत्नियों के लिए साड़ी, आभूषण सहित अन्य गिफ्ट आयटम खरीदे।


पति की दीर्घायु के लिए व्रत

परंपरानुसार कार्तिक माह में आने वाली करवाचौथ पर सुहागन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु के लिए दिनभर अन्न-जल ग्रहण किए बिना उपवास रखा जाता है। रात्रि को चंद्रमा निकलने के पश्चात भगवान गणेश की पूजा अर्चना कर चलनी में चाँद देखकर पति के हाथ से अपना व्रत खोलती हैं। इस व्रत का महिलाओं को वर्षभर इंतजार रहता है। -निप्र


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