निंदा करना महिलाओं की आदत-सी होती है। इसके पीछे एक मुख्य कारण यह है कि अक्सर महिलाएँ घर का कामकाज करके जब फालतू बैठती हैं तो उनके मन में तरह-तरह के विचार आने लग जाते हैं कि इसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, क्यों शीला ने मुझ पर यह ताना कसा वगैरह-वगैरह।
महिलाओं की इस प्रकार की प्रवृत्ति से पुरुष बड़े परेशान रहते हैं क्योंकि आखिरकार रहना तो उन्हें महिलाओं के बीच ही है। उनकी माँ उनके सामने अपनी बहू की बुराई करती है तो वहीं उनकी श्रीमती अपनी ननद व सासु माँ की। यह सिलसिला अनवरत गति से यूँ ही चलता रहता है और घर के सदस्यों में एक साथ रहते हुए भी एक-दूसरे के प्रति मनमुटाव बना रहता है।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कहीं भी शुरू हो जाते हैं। उन्हें इस बात का जरा भी भान नहीं होता कि वे कहाँ और किसके सामने बैठे हैं। बस उन्हें तो निंदा करने से मतलब होता है। ऐसे लोग सबके सामने हमेशा हँसी का पात्र बनते हैं।
जब घर आए मेहमान :- कुछ लोगों की आदत रहती है कि वे निंदा का पिटारा खोलने के लिए किसी न किसी को तलाशते रहते हैं। जब उनका सामना घर आए मेहमानों से होता है तो उनकी आवभगत करने की बजाय उनके भी सामने वे अपना निंदा राग ही अलापने लगते हैं।
जब कोई आपके घर आता है तो वह किसी न किसी प्रयोजन से ही आता है। सबसे पहले आपको उसकी बात या आने का प्रयोजन जानना चाहिए और फिर उनका यथोचित आदर-सत्कार करना चाहिए।
ND
ND
कहीं भी शुरू मत हो जाओ :- हममें वक्त देखकर अपना व्यवहार बदलने की आदत होनी चाहिए। आज की दुनिया में वही व्यक्ति सफल होता है, जो वक्त के अनुसार स्वयं को ढाल लेता है।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कहीं भी शुरू हो जाते हैं। उन्हें इस बात का जरा भी भान नहीं होता कि वे कहाँ और किसके सामने बैठे हैं। बस उन्हें तो निंदा करने से मतलब होता है। ऐसे लोग सबके सामने हमेशा हँसी का पात्र बनते हैं।
कोई मिलने आया है आपसे :- आज के जमाने में कोई भी व्यक्ति फ्री नहीं है। हर व्यक्ति का समय बड़ा कीमती है। यदि कोई वक्त निकालकर आपके पास आया है तो आपको उसके पास बैठकर हँस-बोलकर उसकी बात सुननी चाहिए न कि पुराने गिले-शिकवे व इधर-उधर की बातों का राग अलापना चाहिए।
आपको ऐसा बनना चाहिए कि आपसे मिलने वालों को आपसे मिलकर प्रसन्नता का अनुभव हो। अपने घर आए मेहमानों का ऐसा स्वागत करें कि वे बार-बार आपके घर आएँ। आप अपने रोने-गाने का पिटारा उनके सामने कदापि न खोलें।