राजकुमारी लालित्य कुमारी

घोड़े, किताब और 'इतिहास' से है वास्ता

Webdunia
- निहाल सिंह

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जयपुर में रहने वाले राजघराने के वंशजों के बारे में आम लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। दिवंगत महारानी गायत्रीदेवी के आभामंडल को जयपुर घराने की पहचान माना जाता रहा है। ऐसे में रियासत के संपत्ति विवाद की पृष्ठभूमि में घराने की वंशज के तौर पर राजकुमारी लालित्य कुमारी सामने आईं, जो कि भारत से बाहर थाईलैंड में रहती हैं।

जयपुर रियासत की 10 अरब डॉलर की संपत्ति के विवाद ने राजमाता गायत्रीदेवी, उनकी बहू प्रियनंदना रंगसीत, पोते देवराज और पोती लालित्य के बीच की खींचतान उजागर की। विवाद में राजमाता के एकमात्र पुत्र जगतसिंह की जयमहल सहित 1000 करोड़ रुपए की संपत्ति का मामला बहुत अहम था, इसी विवाद ने जयपुर राजघराने के बारे में उत्सुकता पैदा की।

जयपुर की राजमाता गायत्रीदेवी कूच-बिहार की राजकुमारी थीं और उन्होंने जयपुर के महाराज सवाई मानसिंह से विवाह किया था। वे महाराज की तीसरी पत्नी थीं। महाराज जगतसिंह इनकी एकमात्र संतान थे। जगतसिंह का विवाह थाईलैंड की राजकुमारी राजावोंग प्रियनंदना रंगसीत से हुआ। इस जोड़े की दो संतान राजकुमारी लालित्य कुमारी और राजकुमार देवराज हैं। बाद में जगतसिंह और प्रियनंदना का तलाक हो गया और प्रियनंदना बैंकॉक जाकर बस गईं। वे फिलहाल थाईलैंड में सीनेटर हैं। 1997 में जगतसिंह की मौत हो गई।

सन्‌ 2000 में प्रियनंदना ने कोर्ट में आवेदन दिया कि उनके दोनों बच्चे जगतसिंह की जायदाद के वैध वारिस हैं और गायत्रीदेवी उन्हें उनके हक से वंचित कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पति की वसीयत को गायत्रीदेवी ने बदल दिया और इस जाली वसीयत में उन्होंने जयपुर रॉयल स्टेट द्वारा संचालित निजी कंपनी के शेयर से उनके दोनों बच्चों देवराज और लालित्य कुमारी को वंचित कर दिया है।

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इसी तरह प्रियनंदना ने अपनी सास राजमाता गायत्रीदेवी पर टैक्स चोरी, धोखाधड़ी और बच्चों के दादा की हत्या कराने जैसे संगीन आरोप भी लगाए। प्रियनंदना ने यह भी आरोप लगाया था कि गायत्रीदेवी का सौतेला बेटा जगतसिंह की सारी जायदाद हड़पना चाहता है और वे भी अपने सौतेले बेटे पर ज्यादा भरोसा करती हैं।

उनके वकील वीके मल्होत्रा ने वसीयत की वैधता पर सवाल उठाए थे। बाद में अपने निधन से कुछ समय पूर्व गायत्रीदेवी ने अपने पोते-पोती के साथ सुलह कर ली थी और अपने बेटे की संपत्ति में अपने साथ उन दोनों को भी बराबर का हिस्सेदार बताया था।

अभी पिछले दिनों राजकुमारी लालित्य कुमारी अपने भाई राजकुमार देवराज के साथ भारत में नजर आईं लेकिन राजकुमारी ने इसे पारिवारिक मामला बताकर विवाद को वहीं विराम दे दिया। इस मामले को लेकर देवराज ने प्रेस में बयान भी दिए, लेकिन राजकुमारी ने बहुत दार्शनिकता से कहा कि... 'यह जीवन है और कुछ मामलों में आपको सहन करना चाहिए, बात को पकड़कर नहीं बैठना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि आप क्या हैं और आप अपने जीवन से क्या चाहते हैं और यही आपकी भूमिका होनी चाहिए।'

सन्‌ 1979 में जन्मीं लालित्य कुमारी घुड़सवारी और पढ़ने की शौकीन हैं। वे बताती हैं कि वे यहाँ एक खूबसूरत म्यूजियम या फिर कोई ऐसी जगह बनाना चाहती हैं, जहाँ लोग आएँ और भारत तथा जयपुर के बारे में जानें। उल्लेखनीय है कि राजकुमारी म्यूजियम और हेरिटेज मैनेजमेंट की विद्यार्थी रही हैं और थाईलैंड में भी उनका एक म्यूजियम है।

वे कहती हैं कि उनके बारे में कुछ भी मजेदार नहीं है, वे तो दूसरे लोगों की ही तरह ही आम हैं। उन्हें इतिहास और कला के बारे में पढ़ना बचपन से भाता है। घुड़सवारी को लेकर भी वे बहुत पैशनेट हैं। वे बताती हैं कि वे 5 साल की उम्र से घुड़सवारी कर रही हैं और जब भी समय मिलता है, घुड़सवारी करती हैं। प्रतियोगिताओं में भी वे हिस्सा लेती हैं।

वे एक और खास बात बताती हैं कि अपने घोड़े वे खुद ही ट्रेन करती हैं। अपने भाई और उनके रिसाला पोलो क्लब में वे नियमित रूप से घुड़सवारी की प्रैक्टिस करती हैं। लालित्य बताती हैं कि उनकी माँ भी कला, इतिहास और संस्कृति को लेकर बहुत गंभीर है, क्योंकि खुद उनके परिवार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी बहुत लंबी है, इसलिए वे लालित्य का मार्गदर्शन भी करती हैं और मदद भी।

अपनी रहस्यमयी दादी महारानी जयपुर गायत्रीदेवी के बारे में वे बताती हैं, 'जब कभी मैं उनके बारे में सोचती हूँ, तब मुझे उनकी शिष्टता, सौंदर्य और उनका पूरा व्यक्तित्व याद आता है। मुझे ऐसा नहीं लगता कि वे हमारे बीच नहीं हैं, क्योंकि उनका व्यक्तित्व लार्जर दैन लाइफ है। जयपुर में मैं जहाँ भी जाती हूँ, मुझे अनुभव होता है कि वे हमारे आसपास हैं।'

वे गायत्रीदेवी के साथ बिताए खूबसूरत लम्हों को याद करती हैं और बताती हैं कि राजमाता ने उन्हें जयपुर के बारे में बहुत सारी बातें बताई हैं। राजमाता उन्हें घुमाने ले जाती थीं और जयपुर के हरेक स्मारक के बारे में जानकारी देती थीं। और वे हमेशा उस जगह के बारे में पूछती भी थीं।

लालित्य कहती हैं कि वे बहुत आत्मीयता से लोगों मिलती थीं। राजकुमारी ने अपने एक दोस्त के साथ एक प्रकाशन संस्था शुरू की है जिसका संपादकीय हिस्सा वे देखेंगी और मार्केटिंग का मामला उनके दोस्त देखेंगे। इसमें हमारे बाजार में बिकने वाली न्यूयॉर्क बेस्टसेलर को खरीदने के अधिकार और उनका अनुवाद शामिल होगा। उनका कहना है कि यह मजेदार है।

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