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भारत की Coral Woman उमा मणि, मूंगा चट्टानों के संरक्षण के लिए दादी बनने की उम्र में सीखी डाइविंग

59 साल की उम्र में कर रही हैं समुद्र के संरक्षण पर काम

हमें फॉलो करें Uma Mani inspirational story

WD Feature Desk

, बुधवार, 18 सितम्बर 2024 (16:59 IST)
Uma Mani inspirational story

Coral Woman of India Uma Mani: उमा मणि का जीवन हर उस महिला के लिए मिसाल है जो, बढ़ती उम्र को लक्ष्य प्राप्ति में बाधा मानती है। कोरल वुमन के नाम से मशहूर उमा मणि ने 49 साल की उम्र में गोताखोरी सीखी। समुद्र में गोते लगाते समय पानी के अन्दर के इकोसिस्टम के बारे में जाना और अब अपनी कला के माध्यम से कोरल रीफ संरक्षण पर काम कर रही हैं।ALSO READ: कौन हैं राजस्थान की हॉकी वाली सरपंच नीरू यादव जिन्होंने UN में बढ़ाया देश का मान

किन प्रयासों ने दिलाई कोरल वुमन के नाम से पहचान :
दरअसल उमा मणि को छोटी उम्र से ही चित्रकारी करना बहुत पसंद था। हालांकि बचपन में उनके कला के प्रति इस रुझान को परिवार का ज़्यादा प्रोत्साहन नहीं मिला। इस तरह उनका कलाकार बनने का सपना, सपना ही रह गया और मद्रास यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी होने के बाद उमा मणि की शादी हो गई।

जब उमा नें 49 साल की उम्र में तैराकी और गोताखोरी सीखने का विचार किया तो रिश्तेदारों ने टिप्पणी की, “दादी बनने की उम्र में ये क्या नए शौक पल रहीं हैं आप!” लेकिन उमा ने इन बातों को अनसुना कर आगे बढ़ने का फैसला कर लिया। वे लगातार अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रहीं और आखिरकार अपनी मेहनत के दम पर 59 साल की उम्र में उमा मणि ने भारत की ‘कोरल वुमन’ की उपाधि अर्जित की। वे अपनी कला के प्रति अब जुनूनी बन गई हैं। वे समुद्र के अंदर मूंगा चट्टानों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुक करती हैं।

समुद्र को बचाने का मिशन
उमा मणि के अन्दर अपने इस लक्ष्य के लिए बहुत उत्साह है। मूंगा चट्टानों, समुद्री जीवन और जलवायु परिवर्तन की स्थिति के बारे में उनकी चिंता को लेकर वे कहती हैं कि इस विशाल समुद्र को बचाने के लिए हमें बड़े प्रयास करना होंगे।

एक हाउस मेकर को कैसे मिली जीवन की नई दिशा  
ये सच है कि ड्राइंग और पेंटिंग के प्रति उमा बचपन से ही आकर्षित थीं लेकिन 45 साल की उम्र तक वे एक संतुष्ट गृहिणी थीं जो साधारण घरेलू महिला की तरह खाना बनाती थीं और कपड़े धोती थीं। साफ-सफाई करती थीं और बाज़ार से सब्जी भी लाती थीं। लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर उन्होंने एक बार फिर से शुरुआत का मन बनाया। इस बार जब उनके हाथ में दोबारा पेंटिंग के ब्रश आए, तो उनकी जिंदगी ही बदल गई।
उमा मणि को अपने बचपन में बगीचों, पौधों और फूलों के चित्र बनाने में ख़ुशी मिलाती थी। उमा जब 39 वर्ष की थीं, तब वे अपने पति के साथ मालदीव रहने आईं। यहां का पानी उन्हें आकर्षित करता था, लेकिन उन्हें तैरना नहीं आता था। इसलिए उन्होंने पेंटिंग बनाना जारी रखा।

मूंगा चट्टानों से मिली गोताखोरी की प्रेरणा
एक दिन उमा को कोरल चट्टानों पर एक वृत्तचित्र देखने का मौका मिला। उमा ने कोरल चट्टानों पर आधारित पेंटिंग बनानी शुरू की। अगले 4 सालों तक वे  मूंगों के वास्तविक रूप को देखे बिना इन पर चित्र बनाती रहीं। एक प्रदर्शनी के दौरान किसी ने उन्हें पानी के अंदर मूंगा चट्टान देखने और फिर पेंटिंग करने की सलाह दी। उस दिन उमा ने तैराकी और गोताखोरी सीखने का फैसला लिया।
इस उम्र में औरत होकर ऐसे शौक पालने के लिए रिश्तेदारों ने उमा पर जो कुछ भी कहा उमा ने उनसे विचलित हुए बिना, आगे बढ़ने का फैसला किया।

चेन्नई जाकर सीखी स्वीमिंग
उमा मणि जब मालदीव में डाइविंग कोर्स सीखने गईं तो उनसे पहले स्वीमिंग सीखने के लिए कहा गया। स्विमिंग सीखने के लिए जब उन्होंने चेन्नई जाने का फैसला लिया तो लोग सोचते थे कि उनका दिमाग ख़राब हो गया है। लोगों ने ये कहकर उनका मज़ाक बनाया कि वे दादी बनने की उम्र में अपने हाथ पैर तुड़वाने पर तुलीं हैं! लेकिन उमा ने किसी को जवाब नहीं दिया और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रहीं।

पहली बार समुद्र में गोता लगाने के बारे में कैसा था उमा का अनुभव  
लगभग एक दशक पहले जब उमा मणि  के डाइविंग कोच ने पहली उन्हें कूदने के लिए कहा तब वे नाव के किनारे पर खड़ीं देर तक कूदने के बारे में सोचती रहीं । काफ़ी देर ऐसे ही खड़े रहने के बाद उन्होंने खुद से कहा, “मैं इतनी मेहनत से यहां आई हूं…। अब मुझे कूदना ही होगा।”
पहली डाइव के दौरान ही वे मूंगा चट्टानों के मूवमेंट, रंग और भव्यता से मंत्रमुग्ध होकर इस खूबसूरत अनुभव से वंचित रखने के बारे में खुद से पूछती रहीं। आज, उमा मणि  अपने इस फैसले में अपने पति और बेटे के समर्थन के लिए आभारी हैं।

कोरल वुमन से ‘अर्थ चैंपियन’ बनने का सफर (Coral Woman Uma Mani)
उस दिन से लेकर आज तक वे कम से कम 25 बार पानी के भीतर गोता लगा चुकी हैं। हर बार वह अपनी कला के माध्यम से मूंगा चट्टान संरक्षण के बारे में लोगों को जागरूक करने का प्रयास करती हैं। उमा अपनी कला के माध्यम से समुद्री जीवन और तटीय समुदायों पर जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास करती हैं।

उमा मणि के जीवन पर बना वृत्तचित्र ‘कोरल वुमन’
2018 में, उमा मणि के जीवन पर ‘कोरल वुमन’ नामक एक वृत्तचित्र बना। उमा की कहानी में फिल्म निर्माता प्रिया थुवासेरी को एक साधारण महिला की असाधारण कहानी मिली, जिसे कोरल चट्टानों से प्यार हो गया। इस फिल्म को कई अवार्ड भी मिले। उमा मणि के निरंतर प्रयासों के कारण सोनी बीबीसी अर्थ ने उन्हें ‘अर्थ चैंपियन’ के रूप में मान्यता दी है।

उमा निभा रहीं हैं समुद्र के प्रति जागरूकता का संकल्प
उमा के अनुसार उनकी इस यात्रा ने एक अलग रूप ले लिया है। इस यात्रा की  शुरुआत पेंटिंग और गोताखोरी से हुई थी लेकिन जब उमा को समुद्र के पानी में प्रदूषण की समस्या का एहसास हुआ तो उनकी सोच ही बदल गई। उमा अब प्रदर्शनियों के दौरान, कॉलेजों और संगठनों में लोगों से बात करती हैं। वे इन जगहों पर बताती हैं कि हमलोग समुद्र में कचरा और प्लास्टिक के रूप में कार्बन फुटप्रिंट छोड़ रहे हैं। उनसे समुद्र का वातावरण और जीव पीड़ित हो रहे हैं। यह आपदा जलवायु परिवर्तन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उमा कहती हैं कि हर व्यक्ति को समुद्र की सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी के बारे में जागरूक होना चाहिए।

आज उमा अपनी पेंटिंग्स के ज़रिए स्कूल, कॉलेज व अलग-अलग संस्थाओं में जाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक कर रही हैं। ये असाधारण कहानी है उमा मणि की जो लगभग 10 साल पहले तक एक साधारण ग्रहणी थीं और आज अपने प्रयासों से भारत की कोरल वुमन कहलाती हैं। 
 

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