बिछड़े यार मिलाए इंटरनेट

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- ज ेनिसा नॉरिस

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" ये साथ गुजारे हुए लम्हात की दौलत,
जज्बात की दौलत, ये खयालात की दौलत,
कुछ पास न हो पास ये सौगात तो होगी,
बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी।"

जिंदगी न जाने कितने ही उतार-चढ़ावों से होकर मंजिल तक पहुँचती है। कई रिश्ते वक्त के साथ दफन होते जाते हैं तो कई नए रिश्ते अंकुरित होते हैं और दरख्त की शक्ल ले लेते हैं।

ऐसा भी होता है कि कभी किसी पड़ाव पर जब कदम ठिठक जाते हैं और जेहन में पुराने रिश्ते ताजे हवा के झोंके की तरह आते हैं, तब दिल में एक हूक-सी उठती है कि काश! वे लोग फिर से साथ हों जिनके साथ वो सुहाना वक्त गुजारा।

पर अगर उन्हें ढूँढना हो तो क्या करें? पहले यह मुश्किल था, पर आज तो इंटरनेट जैसा साधन है, जो उन खोए रिश्तों को खोज लाता है और आपके जीवन में रंग भर देता है।

रोहित और वैशाली (परिवर्तित नाम) में कॉलेज के दिनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। यह दोस्ती से कुछ ज्यादा ही थी इस बात को दोनों महसूस करते थे। पर कॉलेज के बाद वैशाली की शादी कहीं और हो गई और रोहित भी अच्छा करियर बनाने के लिए कहीं और चला गया। दोनों के बीच कोई संपर्क नहीं रहा। फिर अचानक 7-8 सालों के बाद रोहित ने ऐसे ही नेट पर वैशाली का नाम डालकर सर्च किया तो पता चला कि वह भी उसी शहर में है।

उसके पति की मौत शादी के दो साल बाद ही हो गई थी। अब वह बिलकुल अकेली थी, तब रोहित ने सोचा और वैशाली से शादी करने का फैसला किया। जब उसने वैशाली को यह बात बताई तो वह रो पड़ी। दोनों ने शादी कर ली और आज सुखी जीवन बिता रहे हैं। ऐसे और भी उदाहरण मिल जाएँगे जिसमें लोगों ने इंटरनेट पर अपने पुराने ब्वॉयफ्रेंड, गर्लफ्रेंड या दोस्त को ढूँढ निकाला।

तकनीक ने इतनी तरक्की कर ली है कि आप घर बैठे इंटरनेट पर अपने पुराने दोस्तों को ढूँढ सकते हैं, उनसे संपर्क बना सकते हैं। यह ऐसा जरिया बन चुका है, जो ज्यादा खर्च भी नहीं माँगता और कहीं दूर मौजूद आपके दोस्त तथा अपनों से भी आपको जोड़ देता है। जिंदगी के रिमोट में रिवाइंड का बटन तो नहीं होता, पर इससे उन करीबी संबंधों से जुड़ा तो जा सकता है।

आजकल कई सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं जिसमें आप आसानी से रजिस्टर्ड हो सकते हैं और सर्च कर सकते हैं अपने पुराने दोस्तों को या खोए प्यार को। इनमें ऑरकुट, ट्विटर और फेसबुक आदि मुख्य हैं। इनमें अलग-अलग कम्युनिटी बनाई जाती हैं जैसे स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल आदि के नाम से, जहाँ संबंधित लोग एकसाथ जुड़े होते हैं।

खासकर युवा तो इसके दीवाने हैं। पर ऐसा भी नहीं है उम्रदराज लोग इसके आकर्षण की चपेट में नहीं हैं। बहुत बड़ी संख्या में उम्रदराज लोग भी इससे जुड़कर अपने पुराने दोस्तों से संपर्क बनाते हैं। इन साइट्स का लक्ष्य ही यही है कि बिछड़े दोस्तों के बीच पुल का काम करे और यह काम वे बखूबी कर रही हैं।

आपके मन में हमेशा यह जिज्ञासा रहती है कि जिनसे साथ छूट गया है वह अभी क्या कर रहा है, किस शहर में है? इंटरनेट ने इसका समाधान दे दिया है। इसके चलते आज कई उदाहरण ऐसे भी मिलते हैं जिनमें तलाक के बाद पति-पत्नी में फिर से रिश्ते जुड़े। स्कूल के दोस्तों को भी ढूँढकर उनका हाल-चाल जानने में यह मददगार है।

सोचिए कि जिस दोस्त के साथ आपने अपने स्कूल के दिनों में शरारत की थी, वह अचानक से आपको कई सालों बाद ऐसे ही किसी नेटवर्किंग साइट पर मिल जाए! तब आप उससे मिलकर उन यादों में फिर से खो सकते हैं। पर इस बार अकेले नहीं। कुछ लोगों ने तो अपने बचपन के प्यार को भी खोज निकाला।

स्कूल के दौरान जब आपको पहले प्यार का एहसास हुआ, फिर अचानक से अलगाव और दूरी। अपनी-अपनी जिंदगी में खोकर एक पड़ाव पर पहुँच गए और फिर उसी प्यार को याद करके चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट फैल गई। फिर नेट पर उसे सर्च करने की कोशिश की तो वह दूसरे शहर में जॉब कर रही थी। तब बिलकुल भी देर न करते हुए शादी का प्रपोजल रखा, जो स्वीकार हो गया। इसी तरह न जाने कितने रिश्ते इस इंटरनेट के जाल ने जोड़ दिए।

पहले का समय और था जब कोई दूर हो जाए तो उसे खोजना मुश्किल होता था। अब आप कम्प्यूटर के सामने बैठे-बैठे ही यह काम कर सकते हैं। उन रिश्तों को घर बैठे ढूँढ सकते हैं जिन पर वक्त की धूल जम गई हो और फिर से वही पुराने दिन जी सकते हैं उन्हीं अपनों के साथ।

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