लॉकडाउन का अर्थ होता है तालाबंदी। जीवन में पहली बार ऐसे शब्द से आमना-सामना हुआ जहां आपको खुद अपने हाथों से खुद को कैद करना है। जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकलें। जी हां, 2020 में आई कोरोना महामारी ने कई नए शब्दों से पूरी दुनिया को एक साथ परिचित कराया तो लाइफ स्टाइल का तरीका भी बदल दिया। सबसे पहले 21 दिन का लॉकडाउन किया गया। इसके बाद स्थिति अनुसार वह बढ़ता चला गया। हालांकि लॉकडाउन के दौरान जीवन को बहुत करीब से जानने का मौका मिला। आइए जानते हैं लॉकडाउन ने हमें क्या 10 सबक सिखाएं-
1. स्टॉक- जी हां, संभवतः ऐसा मौका पहली बार आया होगा जब खाने का सामान आपको इतना सारा स्टॉक करना पड़ेगा कि कल का कुछ नहीं पता। छोटी से छोटी चीज भी आपको स्टॉक करना पड़ी। इसलिए हमेशा प्रयास करें कि भले ही छोटी-सी छोटी चीज ही क्यों न हो उसे खत्म होने से पहले ले आएं।
2. कंटिंजेंसी फंड- हम अक्सर सोचते हैं कि कल किसने देखा। इसलिए अक्सर कल की परवाह नहीं करते हुए पैसों की कद्र नहीं करते हैं। लेकिन इस लॉकडाउन ने सीखा दिया है कि मजे करो लेकिन पैसों की कद्र भी करें। हमेशा कंटिंजेंसी फंड रखें। उसे सिर्फ उसी वक्त निकालें जब बेहद जरूरी हो। यह सभी आयु वर्ग के लिए सीख है कि बचत करना भी बहुत जरूरी है। इतना ही नहीं वक्त के साथ हेल्थ केयर इंश्योरेंस भी करा लें। ताकि आखिरी वक्त में पैसों के लिए परेशान न होना पड़ें।
3. परिवार के करीब- लॉकडाउन से पहले हम सिर्फ अपने परिवार को लिमिटेड टाइम दे पाते थे। कई लोग दूसरे शहरों में रहते थे। वह कई महिनों या सालभर तक घर नहीं आ पाते थे। लेकिन इस दौरान हमें अपने परिवार की अहमियत समझ आई और यह समय बुरा जरूर है लेकिन परिवार के जरूर करीब ले आया। साथ ही कई बार परिवार से दूर रहकर जीना पसंद करते हैं लेकिन बुरे वक्त में सबसे पहले घर और परिवार ही याद आया।
4. फिटनेस- जिम जाकर ही आप फिट हो सकते हो। यह सरासर गलत है। सभी लोग बखूबी समझ गए होंगे। घर पर रहकर भी खुद को फिट रखा जा सकता है। प्रतिदिन योग करें, एक्सरसाइज करें।
5. डिजिटली फ्रेंडली- जी हां, लॉकडाउन के दौरान सबकुछ घर में बैठकर करना। ऐसा प्रतीत होता है पूरी दुनिया आपके हाथों में आ गई है। सभी कार्य ऑनलाइन करना। फिर चाहे वह बिजनेस का हो, जॉब हो, पढ़ाई हो या कोई अन्य कोर्स करना हो। हम तकनीक से जुड़ें हैं।
6. लाइफस्टाइल- साल 2020 में दो जीवन जिए है। कोरोना के पहले और कोरोना के बाद। लेकिन इन दोनों में इतना फासला है कि हमारी पूरी लाइफ स्टाइल बदल गई। जी हां, पहले हम जंक फूड प्रेमी थे लेकिन अब घर पर ही बनाकर खाना पसंद करते हैं। स्वास्थ्य के प्रति सचेत हो गए।
7. प्रकृति से जुड़ें- जी हां, साल 2020 ने हमें एक सीमित दायरे में रहकर जीना सिखाया। इस दौरान हम एक ही जगह पर रहें। जहां घर भी है, काम भी है, एंटरटेनमेंट भी है और प्रकृति भी है। इस दौरान कई लोगों ने अपने घर पर ही सब्जी उगाने शुरू कर दिया। जिन्हें कभी गार्डनिंग का वक्त नहीं मिलता था, उसके लिए भी वक्त मिल गया। मतलब आप सीमित चीजों में, सीमित दायरे में रहकर भी जिंदगी जी सकते हो।
8. ऑनलाइन सुविधा- जी हां, महामारी के दौरान प्रोडक्ट की ऑनलाइन सुविधाएं सिर्फ शहरी क्षेत्र तक ही सीमित थी। लेकिन पेंडेमिक के दौरान बढ़ती सुविधाओं ने सबकुछ आसान कर दिया। टीवी में दिखाए जाने वाले विज्ञापन सच लगने लगे। क्योंकि हर सुविधा ग्रामीण क्षेत्रों में भी मिलने लगी। इससे यह समझा जा सकता है कि विकास की सिर्फ शहरी क्षेत्रों में नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी जरूरत है। तभी भी असल विकास होगा।
9. कमाई का साधन- महामारी ने जिंदगी की सच्चाई से रूबरू कराया है। कई लोग सिर्फ एक काम पर आश्रित रहते हैं और कमाते हैं। लेकिन यह गलत है। बदलती जीवनशैली में अपनी जॉब के साथ दूसरी कमाई जरिया जरूर रखें। ताकि नौकरी जाने पर भी आप आर्थिक तौर पर सक्षम रहें और अपने परिवार का ख्याल रख सकें।
10. असंभव कुछ नहीं- महामारी के दौर में सिर्फ एक ही जगह पर रहकर सभी कार्य करना, घर पर बैठकर पुरी दुनिया से जुड़ना, घर पर बैठकर कमाई करना, घर में ही हेल्थ का ख्याल रखना, सेविंग्स करना, टेक सेवी होना जैसी तमाम चीजें हैं जो हमें अक्सर असंभव नज़र आती थी। लेकिन महामारी के दौर में सीखा लिया सब कुछ संभव है।
वर्ष 2020 में आई महामारी ने सबके जीवन के पन्ने पलट दिए है। जी हां, जो भी इस महामारी के दौर से गुजर रहा है उनके जीवन में हमेशा दो पन्ने अवश्य रहेंगे। बी.सी.बी. फॉर कोरोना और ए.सी. आफ्टर कोरोना। यह सबक आज की पीढ़ी के साथ ही आने वाली पीढ़ी के लिए भी जीवन जीने के सबक है। ताकि वह प्रकृति के साथ किसी तरह की भूल न करें।