10 अक्टूबर : विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस

Webdunia
प्रीति सोनी 
शास्त्रों में कहा गया है - '' चिंता, चिता के समान है''
प्रतिदिन के तनाव से उपजती और मौत के मुंह में ले जाती गंभीर बीमारियों को देखते हुए यह बात बिल्कुल सही साबित होती है। हर एक मिनट का हिसाब रखती, भागदौड़ भरी वर्तमान जीवनशैली में सबसे बड़ी और लगातार उभरती हुई समस्या है मानसिक तनाव। हर किसी के जीवन में स्थाई रूप से अपने पैर पसार चुका तनाव, व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। 
 
आपकी निजी जिंदगी से शुरू होने वाला मानसिक तनाव पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण समस्या बनकर उभरा है, जो अपने साथ कई तरह की अन्य समस्याओं को जन्म देने में सक्षम है। यही कारण है, कि इसे बचने के लिए और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए योग, ध्यान, अध्यात्म और कई तरह के अलग-अलग तरीकों को लोग अपने जीवन में उतार रहे हैं।
 
तनावग्रस्त जीवनशैली में बिगड़ने मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए इसके प्रति जागरूकता पैदा करने और इससे बचने के उपायों पर विचार करने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में ''विश्व मानसि‍क स्वास्थ्य दिवस या मानसिक दिवस'' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरे विश्व के सरकारी और सामाजिक संगठनों द्वारा तनावमुक्ति विषय पर कार्यक्रम आयाजित किए जाते हैं। विकास की दौड़ में भागती जीवनशैली से उपजे तनाव के प्रति चिंता व्यक्त कर, उससे बचने और दूर करने के बारे में विचर विमर्श किया जाता है। साथ ही इसके प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए कई तरह के आयोजन किए जाते हैं।
 
यह बात हर किसी को हर दिन याद रखनी चाहिए, कि तनाव किसी भी समस्या का हल नहीं होता बल्कि कई अन्य समस्याओं का जन्मदाता होता है। उदाहरण के लिए तनाव आपको अत्यधिक सिरदर्द, माइग्रेन, उच्च या निम्न रक्तचाप, हृदय से जुड़ी समस्याओं से ग्रस्त करता है। दुनिया में सबसे अधिक हार्ट अटैक का प्रमुख कारण मानसिक तनाव होता है। यह आपका स्वभाव चिड़चिड़ा कर आपकी खुशी और मुस्कान को भी चुरा लेता है। इससे बचने के लिए तनाव पैदा करने वाले अनावश्यक कारणों को जीवन से दूर करना जरूरी ही नहीं अनिवार्य हो गया है। 
 
चूंकि पूरा विश्व मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो रहा है, और तनाव से दूर रहने के लिए प्रयास कर रहा है, तो आप भी यह संकल्प लें, कि किसी भी समस्या में अत्यधिक तनाव नहीं लेंगे। क्योंकि यह कई तरह की शारीरिक समस्याओं को भी जन्म दे सकता है। आखिरकार तनाव लेने ये समस्या सुलझने के बजाए और अधिक जटि‍ल हो जाती है, तो बेहतर यही है कि उन्हें शांति से समझते हुए हल किया जाए। समस्या में मुस्कुराना क्यों भूला जाए... 
 
इसलिए हंसते रहिए, मुस्कुराते रहिए और चिंता को दूर भगाते रहिए.. 
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