ऑफिस में कैसे जीतें सबका मन

आपका व्यवहार कैसा हो

गायत्री शर्मा
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आप घर पर चाहे कैसे भी रहें चलता है परंतु जब आप ऑफिस जाते हैं, तब आपका व्यवहार दूसरों के लिए बहुत मायने रखता है। आपके मृदु व्यवहार से आप अपने सहकर्मियों का दिल भी जीत सकते हैं तो अपने कटु व्यवहार से उन्हें अपना दुश्मन भी बना सकते हैं।

ऑफिस में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो दूसरों के लिए आदर्श बन जाते हैं। हर बात में उनकी मिसाल दी जाती है तो क्यों न आप भी अपने व्यवहार में कुछ ऐसा परिवर्तन लाएँ कि आप भी अपने सहकर्मियों के चहेते बन जाएँ।

समय की पाबंदी :-
किसी भी व्यक्ति के लिए समय की पाबंदी होना बहुत जरूरी है। समय का पाबंद व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है। कुछ लोगों के लिए लेटलतीफी मानो उनकी पहचान-सी बन जाती है।

वक्त पर ऑफिस नहीं पहुँचना, मिटिंग में हमेशा लेट होना और हर बात पर तर्क-वितर्क करना उनकी आदत-सी बन जाती है। ऐसे लोग अपने सहकर्मियों के लिए हमेशा कानाफूसी का विषय बनते हैं।

नियंत्रित वाणी :-
आपकी मधुर व नियंत्रित वाणी जहाँ आपके सहकर्मियों का दिल जीत लेती है, वहीं आपके कटु शब्द दूसरों के दिल को आघात पहुँचा सकते हैं। हर कार्यालय में आपको कुछ लोग ऐसे जरूर मिल जाएँगे, जो हमेशा तीखा व कटु ही बोलते हों। ऐसे लोग हमेशा स्वयं को ही सबसे बेहतर समझते हैं। इसी कारण किसी भी सहकर्मी की कामयाबी पर भी वे अपने शब्दों का जहर उगलने से नहीं चूकते।

छोटों को भी दें तवज्जो :-
सालों तक ऑफिस में टिके रहने वाले कुछ सीनियर ऑफिस को अपनी ही जागीर समझने लगते हैं। कई बार सीनियर अपने आप को इतना अधिक महान समझते हैं कि उन्हें जूनियर की प्रशंसा गले ही नहीं उतरती।

यदि सीनियर अपने जूनियर को भी बेहतर कार्य करने का मौका प्रदान करें तथा उनके अच्छे कार्यों की सराहना करें तो नि:संदेह ही जूनियर अपने सीनियर का दिल से सम्मान करेंगे। छोटों को तवज्जो देना जहाँ आपको उनकी नजरों में सम्मानजनक स्थान देगा, वहीं आपके प्रति उनके विश्वास को भी मजबूत करेगा।

मोबाइल साइलेंट मोड पर रखें :-
जहाँ तक संभव हो आप ऑफिस में अपने मोबाइल को साइलेंट मोड पर रखें या उसकी रिंग वाल्यूम कम रखें। इससे आपके सहकर्मी को आपकी वजह से कोई भी परेशानी नहीं होगी।

खासकर जब आप किसी कॉन्फ्रेंस या मीटिंग में जा रहे हों, तब अपने मोबाइल को स्विच ऑफ या साइलेंट मोड पर करना न भूलें। यदि आपको ऑफिस समय में किसी से बात भी करनी हो तो ऐसी जगह जाकर बात करें जहाँ आपकी बातचीत से कोई भी डिस्टर्ब न हो।

स्वप्रंशसा अच्छी नहीं :-
कुछ लोगों को अपनी ही तारीफ करने की आदत होती है। ऐसे लोग किसी और की प्रशंसा को बर्दाश्त ही नहीं कर सकते हैं। हमेशा अपनी ही तारीफों की डींगे हाँकने वाले इन लोगों को स्वयं की डि‍ग्रियों व उत्कृष्टता पर ही नाज होता है।

कहते हैं कि आपका एक अवगुण आपके हर गुणों को दबा देता है। उसी प्रकार अपनी ही तारीफ करने की आदत आपकी सारी खूबियों को दबा देती है। अपनी प्रशंसा करने के बजाय यदि वे कुछ ऐसा कार्य करें कि उनके सभी सहकर्मी उनकी तारीफ करें तो वह प्रशंसा सच्ची प्रशंसा होगी।

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