* आपका आत्मसम्मान इस बात से नहीं जुडा़ है कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं? इस बात को अपने मन में स्पष्ट कर लें। उनकी असभ्यता को अपनी शक्ति बनाएं कि यह उनकी परेशानी है, आपकी नहीं।
* नाटक का हिस्सा न बनें : अगर आपकी इच्छा होती है कि असभ्य लोगों पर खूब चिल्लाया जाए, तो ऐसा न करें। शांत हो जाएं, यह सोचें कि वे इस लायक नहीं हैं। उनके द्वारा निर्मित इस स्थिति का हिस्सा बनकर आप इसे और खराब कर देंगे, इसलिए उनके असभ्य नाटक का हिस्सा न बनें।
* यह सोचें कि किसी ऐसे से जिसे खुद नहीं पता कि वो क्या कर रहा है, उससे बहस करने से क्या फायदा। अपनी गरीमा बनाए रखें। उत्तेजित न हो। आप सोच लें कि आपको इन बातों पर ध्यान नहीं देना है। अपना सिर ऊंचा कर चलें और फर्क देखें ।