घर की शोभा गृहलक्ष्मी

घर सजता है घरवाली से

गायत्री शर्मा
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' अपना घर हो स्वर्ग से सुंदर' यानी हर इंसान का एक ख्वाब होता है कि उसका घर सुंदर हो, सुंदर घर यानी उसमें भले ही सभी प्रकार की आधुनिक सुख-सुविधाएँ न हों, लेकिन सदस्यों में प्रेम बना रहना चाहिए।

घर यदि महलों सा सुंदर हो, पर उसमें रहने वालों में प्रेम नहीं हो तो वह घर, घर नहीं कबूतरखाना बन जाता है। जहाँ दिनभर 'गुटर-गूँ' की आवाजें आती हैं। लेकिन यदि एक छोटी सी झोपड़ी में प्रेम की दीवारें, आदर की खिड़कियाँ और सामंजस्य की छत हो तो वह झोपड़ी महलों से भी ज्यादा खूबसूरत बन जाती है।

मकान तो ईंट-गारे से भी बन जाता है, पर वह मकान घर बनता है-प्रेम से। परिवार के सदस्यों में यदि पारस्परिक प्रेम होगा तो वह घर भी खुशियों से खिलखिलाएगा। ‍

दरवाजों से न दीवारों से,
घर बनता है घरवालों से...

महिलाएँ घर की शोभा होती हैं जिनके बिना घर, घर नहीं होता। वह एक निर्जीव से मकान को अपनी सूझबूझ, कल्पनाओं व प्रेम से आरामदायक आशियाने में बदल देती है, जहाँ हम सारा तनाव भूलकर सुकून के पल गुजार सकते हैं।

चादर पर पड़ी सिलवटें, खूँटी पर टँगे कपड़े, मटमैले कपड़े, बिखरा सामान... यदि आप पूछेंगे कि यह घर किसका है तो जवाब मिलेगा-'मैं अकेला यहाँ रहता हूँ' कुछ ऐसी ही हालत रहती है उन घरों की जहाँ महिलाएँ नहीं रहतीं और पुरुष अकेले रहते हैं।

  एक माँ बनकर वह अपनी ममता को बच्चे के कमरे में उड़ेल देती है। एक पत्नी बनकर वह अपने बेडरूम में प्यार के रंग भरती है। एक बहु बनकर वह अपने बड़े-बुजुर्गों की जरूरत के मुताबिक कमरे की साज-सज्जा करती है।      
हर कोई चाहता है मेरा अपना एक खूबसूरत घर हो, जिसकी हर एक चीज मैं अपने हाथों से सजाऊँ। परंतु यह काम अधूरा रहता है- एक साथी के बगैर।

घर को सजाने-सँवारने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान महिलाओं का होता है। कहा जाता है कि ऑफिस हो या घर, जहाँ भी पुरुषों के साथ महिलाएँ आ जाती हैं वहाँ चीजें खुद-ब-खुद सलीकेदार और व्यवस्थित हो जाती हैं।

अपना घर हर इंसान का सपना होता है लेकिन एक महिला के लिए उसका घर ईंट-पत्थर के ढाँचे से कहीं अधिक एक अनुभूति होता है, एक चित्र जिसमें वह अपनी कल्पना के रंग भरती है।

महिलाएँ 'स्वीट होम मेकर' होती हैं। उन्हें पता होता है कि घर में कोई चीज कहाँ होनी चाहिए। उन्हें परिवार के हर सदस्यों की जरूरत का ख्याल रहता है और उनकी यही खूबी घर सजाने में उनकी मदद करती है।

एक माँ बनकर वह अपनी ममता को बच्चे के कमरे में उड़ेल देती है। एक पत्नी बनकर वह अपने बेडरूम में प्यार के रंग भरती है। एक बहु बनकर वह अपने बड़े-बुजुर्गों की जरूरत के मुताबिक कमरे की साज-सज्जा करती है। अपनी हर भूमिका में वह घर को एक सपनों का घर बनाती है जहाँ हर रोशनदान से प्यार की बयार बहती है।

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