हर गम से बेगाना बचपन

बच्चों की प्यारी सी दुनिया

गायत्री शर्मा
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बचपन हमारे जीवन की एक ऐसी अवस्था का नाम है, जब हम खूब उछल-कूद करते हैं और अपनी मर्जी से जीवन जीते हैं। बचपन में हमें न तो दुनियादारी की चिंता होती है और न ही कामकाज की। इस उम्र में तो हम मस्तमौला बनकर रहते हैं, जिसकी जब मर्जी हुई खाया-पिया, जब मर्जी हुई जी भर के सुस्ताया। तभी तो कहते हैं कि बचपन 'हर गम से बेगाना' होता है।

बच्चों के साथ बन जाओं बच्चे :
क्या कभी आपने बच्चों की दुनिया में खोकर देखा है और उनके साथ बच्चे बनकर देखा है? यदि नहीं, तो आज ही बच्चों को जानिए और देखिए उनकी नजरों से यह दुनिया कैसी लगती है। बच्चों के छोटी-छोटी आँखों में देश और दुनिया की तस्वीर बदलने के बड़े-बड़े सपने होते हैं व बच्चों में उन सपनों को पूरा करने की ललक देखते ही बनती है।

मैं चाहता हूँ सैनिक बनना :
जो काम हम बड़े नहीं कर पाते, वो काम बच्चे करना चाहते हैं। वे चाहते है बड़ा होकर सैनिक, पुलिसवाला या डॉक्टर बनकर देश की सेवा करना। खेल-खेल में ही देश के ये नौनिहाल कभी एक जाँबाज सिपाही बनकर नकली बंदूकों से ही दुश्मन के छक्के छुड़ा देते हैं तो कभी अपने हाथों से सुंदर-सुंदर राखियाँ बनाकर व देशप्रेम संदेश लिखकर सीमाओं के प्रहरियों को भावी पीढ़ी द्वारा देश की रक्षा का वचन देते हैं।

बच्चों की बदली सोच और बदले खेल :
आधुनिकता के इस युग में बच्चों के हर खेल भी बदलाव व जागरूकता का संदेश छुपा होता है। फिर चाहे वह चोर-सिपाही का खेल हो या गुड्डे-गुडियों का खेल। आजकल के बच्चे इन खेलों के माध्यम से दहेज प्रथा, बाल विवाह, अपराध आदि का अर्थ समझने लगे हैं तथा हँसी-मजाक व खेल-खेल में वे इनका विरोध भी कर रहे हैं।

बच्चों को नहीं पता कि किस तरह 'भ्रष्टाचार' क्या होता है और ये किस तरह देश को खोखला कर रहा है। उल्टा ये तो यह समझते हैं कि हर पुलिसवाला अपराधी को पकड़कर जेल में बंद करता है और हर राजनेता कुर्सी पर बैठ ईमानदारी से देश को चलाता है। तभी तो बच्चों से कोई गलती होने पर जब माँ कहती है कि 'तुम्हे अब पुलिस वाला पकड़ लेगा' तब बच्चा झट से अपनी गलती की माफी माँग लेता है और माँ से पुलिस वाले को उसे पकड़ने से इंकार करने का कहता है।

जानते हैं कानून की अहमियत :
कानून की अहमियत को समझने वाले आज बड़े नहीं बल्कि बच्चे ही है, जो कानून व पुलिसवालों से डरते हैं। दुनियादारी से नासमझ ये बच्चे 'बालिका वधू' की 'आनन्दी' पर हुए अत्याचारों को देख आँसू बहाते हैं तो वहीं 'उतरन' की बाल कलाकार 'हिचकी' को देख गरीब बच्चों की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं। इससे तो यही प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं इन बच्चों के मन में सामाजिक कुरीतियों के प्रति आक्रोश के अंकुर फूट रहे हैं।

देश के नौनिहाल आज इस देश को अपने सपनों का भारत बनाना चाहते हैं। एक ऐसा भारत जिसमें न तो अपराधी हो और न ही भ्रष्ट व्यक्ति। वहाँ तो हर कोई एक आम जागरूक नागरिक हो, जो देश के हित के लिए सोचता हो। इन बच्चों का यह सपना तभी पूरा होगा, जब हम रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार व अपराधों से तौबा करके कानून की अहमियत को समझ अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक होंगे। तभी हमें देख हमारे बच्चे भी इसी पथ का अनुसरण करेंगे।

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