'मैं तो गाँधीजी की तरह मरना चाहती हूँ'

Webdunia
- ठाकुरदास खत्री

कभी-कभी इंसान की कही हुई बात बिलकुल सच साबित हो जाती है। जो वह चाहता है वही हो जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ था पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के साथ।

एक बार मशहूर साहित्यकार व फिल्मकार ख्वाजा अहमद अब्बास से वे बातें कर रही थीं- कुछ हँसी की, कुछ इधर-उधर की, तभी कौन, कैसे मरना चाहता है, इस विषय पर बात चली। उन्होंने अब्बास साहब से पूछा, 'आप कैसे मरना चाहेंगे?' अब्बास साहब ने जवाब दिया- 'मैं सोते-सोतेमरना चाहता हूँ। रात को सोऊँ और सवेरे जागू ही नहीं'। फिर इंदिराजी बोलीं- 'मैं कैसे मरना चाहती हूँ, बताऊँ?' 'बताइए' -अब्बास साहब ने कहा। तब हँसकर इंदिराजी ने बताया, 'भई मैं तो गाँधीजी की तरह मरना चाहती हूँ।

अपना काम करती रहूँ, चलती-फिरती रहूँ और कोई गोली मार दे। मैं बीमार होकर बिस्तर पर पड़ी बेबस हो सब देखती रहूँ और कुछ कर न सकूँ ऐसी मौत मैं नहीं चाहती। मैंने बाबा (नेहरूजी) को देखा है, कि कितनी तकलीफ से उनके प्राण निकले थे।'

उस समय किसी ने नहीं सोचा था कि श्रीमती इंदिरा गाँधी की यह बात सच हो जाएगी, पर ऐसा हो गया। क्या इसी को इच्छा-मृत्यु का वरदान कहते हैं।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

पैसा लो और स्वीडन से जाओ, प्रवासियों को दिए जाएंगे 34000 डॉलर

Vastu Tips: घर के वास्तु का जीवन पर प्रभाव पड़ता है या नहीं?

इन टिप्स को अपनाने से आपके बच्चों के साथ हमेशा अच्छे रहेंगे रिलेशन, बहुत काम की हैं ये बातें

सोते समय क्या बालों को बांधकर रखना है सही, जानिए है बालों की सेहत के लिए राइट चॉइस

इस फल के साथ इसके बीज भी हैं सेहत के लिए वरदान, जानिए फ़ायदे और इस्तेमाल के तरीके

सभी देखें

नवीनतम

घर पर रखी ये 3 इलेक्ट्रिक चीजें बढ़ा सकती हैं हार्ट अटैक का खतरा, तुरंत हटाएं

हिन्दी कविता : पतंग हूं मैं..

आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज का प्रथम समाधि स्मृति दिवस

पुण्यतिथि विशेष : कैसे मिला था सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर को भारतीय संसद में सम्मान? जानिए उनके जीवन के 15 अनसुने किस्से, जो आपको नहीं पता होंगे

दादा धनीराम कौन थे, जानें उनके कार्य