मैडम भीकाजी कामा

Webdunia
NDND
भारत जहाँ एक ओर पतंत्रता का दंश झेल रहा था वहीं सामाजिक स्‍तर पर भी पिछड़नेपन से जूझ रहा था। एक ओर औरतों को देवी बना कर उन्‍हें पूजनीय माना जाता था, वहीं इसका दूसरा पहलू था कि लड़कियों अभिशाप मानी जाती थीं। एक ओर जहाँ महिलाओं के सामने अपने ही समाज से लड़ने की चुनौती थी, तो दूसरी ओर स्‍वतंत्रता की लड़ाई में महती भूमिका निभाने की प्रबल इच्‍छा। ऐसे में अगर कोई स्‍त्री पूरी तरह से देश की स्‍वतंत्रता को ही अपने जीवन का लक्ष्‍य बना ले तो इसे अप्रतीम उदाहरण माना जाएगा।

आजादी की लड़ाई में उन्‍हीं अग्रणियों में एक नाम आता है - मैडम भीकाजी कामा का। इनका नाम आज भी इतिहास के पन्‍नों पर स्‍वर्णाक्षरों से सुसज्जित है। 24 सितंबर 1861 को पारसी परिवार में भीकाजी का जन्‍म हुआ। उनका परिवार आधुनिक विचारों वाला था और इसका उन्‍हें काफी लाभ भी मिला। लेकिन उनका दाम्‍पत्‍य जीवन सुखमय नहीं रहा।

दृढ़ विचारों वाली भीकाजी ने अगस्‍त 1907 को जर्मनी में आयोजित सभा में देश का झंडा फहराया था, जिसे वीर सावरकर और उनके कुछ साथियों ने मिलकर तैयार किया था, य‍ह आज के तिरंगे से थोड़ा भिन्‍न था। भीकाजी ने स्‍वतंत्रता सेनानियों की आर्थिक मदद भी की और जब देश में प्‍लेग फैला तो अपनी जान की परवाह किए बगैर उनकी भरपूर सेवा की। स्‍वतंत्रता की लड़ाई में उन्‍होंने बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लिया। वो बाद में लंदन चली गईं और उन्‍हें भारत आने की अनुमति नहीं मिली। लेकिन देश से दूर रहना उनके लिए संभव नहीं हो पाया और वो पुन: अपने वतन लौट आईं। सन् 1936 में उनका निधन हो गया, लेकिन य‍ह काफी दु:खद था कि वे आजादी के उस सुनहरे दिन को नहीं देख पाईं, जिसका सपना उन्‍होंने गढ़ा था।

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

नवरात्रि दुर्गा पूजा के फलाहार, जानें 9 दिनों के व्रत की रेसिपी

अप्रैल फूल डे 2025 से जुड़े 20 अनोखे और मजेदार फैक्ट्स जो आपको हैरान कर देंगे

गुड़ी पड़वा विशेष: गुड़ी पर क्यों चढ़ाते हैं गाठी/पतासे का हार, जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Chaitra navratri diet: नवरात्रि में कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल? जानें सही डाइट टिप्स

चैत्र नवरात्रि में घर के वास्तु दोष दूर करने के लिए करिए ये सरल उपाय, मां दुर्गा की बरसेगी कृपा

सभी देखें

नवीनतम

बैठते या खड़े होते समय चटकती हैं पैरों की हड्डियां? जानिए इसके 5 बड़े कारण

ईद के इस चांद की तरह दमकता रहे आपका हर दिन, रब से बस यही दुआ मांगते हैं ईद के दिन... खास अंदाज में कहें ईद मुबारक

सुबह उठते ही लगती है तेज भूख? जानिए इसके 5 चौंकाने वाले कारण और राहत के उपाय

Gudi padwa Essay: गुड़ी पड़वा पर आदर्श निबंध हिन्दी में

गुड़ी पड़वा पर क्यों खाई जाती है कड़वी नीम और गुड़, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे