कर्म की क्यारी की तुलसी-गंध जैसी माँ

Webdunia
- अजहर हाशमी
ND

स्नेह की निर्मल नदी-

निर्बंध जैसी माँ

कर्म की क्यारी की

तुलसी-गंध जैसी माँ

युग-युगों से दे रही

कुरबानियाँ खुद की

कुरबानियों से शाश्वत

अनुबंध जैसी माँ

जोड़ने में ही सदा

सबको लगी रहती

परिवार के रिश्तों

में सेतुबंध जैसी माँ

फर्ज के पर्वत को

उँगली पर उठाती है

कृष्ण-गोवर्धन के

इक संबंध जैसी माँ

सब्र की सूरत

वचन अपना निभाती है

भीष्म की न टूटती

सौगंध जैसी माँ

शाकंभरी, दुर्गा हो

या देवी महाकाली

अन्याय, अत्याचार

पर प्रतिबंध जैसी माँ

वो मदर मेरी, हलीमा हो

या पन्ना धाय

प्यार, सेवा, त्याग

के उपबंध जैसी माँ

माँ के पाँवों के तले

जन्नत कही जाती

भागवत के सात्विक

स्कंध जैसी माँ।

Show comments

पीसफुल लाइफ जीना चाहते हैं तो दिमाग को शांत रखने से करें शुरुआत, रोज अपनाएं ये 6 सबसे इजी आदतें

हवाई जहाज के इंजन में क्यों डाला जाता है जिंदा मुर्गा? जानिए क्या होता है चिकन गन टेस्ट

स्टडी : नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं को अस्थमा का खतरा ज्यादा, जानिए 5 कारण

हार्ट हेल्थ से जुड़े ये 5 आम मिथक अभी जान लें, वरना पछताएंगे

बारिश के मौसम में मच्छरों से होने वाली बीमारियों से कैसे बचें? जानिए 5 जरूरी टिप्स

गोलाकार ही क्यों होती हैं Airplane की खिड़कियां? दिलचस्प है इसका साइंस

इन 7 लोगों को नहीं खाना चाहिए अचार, जानिए कारण

हिन्दी कविता : योग, जीवन का संगीत

योग को लोक से जोड़ने का श्रेय गुरु गोरखनाथ को

क्या सच में छींकते समय रुक जाती है दिल की धड़कन?