आयशा, तुम मुश्किलों से नहीं,अपनों की बेवफाई से हारी हो...

मधु टाक
मधु टाक
आयशा और अवसाद : आत्महत्या नहीं समाधान 
नर्म लहजा और पत्थर दिल कहां से लाई हो आयशा
 
 
तुमने यह कैसी कर दी नादानी, बैठकर नदिया के पास नहीं सीखा लहरों से निर्बाध बहना, कितने तुफान और भवंर सीने में छुपा कर बस खामोशी से बहते रहना। नदी और नारी में यही तो समानता है...फिर चुनौतियों से हार मान कर स्वयं को मिटाना कहां का बुद्धिमानी है... 
 
 आयशा तुमने कहा प्यार एक तरफा नहीं करना, सच कहा फिर क्यों किसी के लिए अपनी बेशकीमती ज़िन्दगी फना कर दी। दुनिया के सब रिश्ते नाते बेमानी यहां पर मां की गोद का कोई सानी नहीं वो तो जन्नत है उसका खयाल नहीं आया उसे क्यों उम्रभर के लिए सूनी कर दी,किस बात की उसे उम्र भर की सजा दे गई। पिताजी के सिसकते व मिन्नत करते हुए शब्दों को सुनकर तुम्हारा कलेजा छलनी नहीं हुआ....  
 
एक की ख़ातिर सबको रोता छोड़ गई। यह अवसाद तुम्हें एक दिन में नहीं आया होगा क्या मां पिताजी को अंदेशा नही हुआ होगा!!!
तुम्हें रुख़सत के वक्त यह अहसास नही कराया गया कि ससुराल बेशक तुम्हारा घर है पर मां का घर भी तुम्हारा है (हर मां बाप से विनती है कि बेटियों को मायके का मीठा सा अधिकार जरूर दें) क्यों उसे अवसाद में तन्हा छोड़ दिया जिससे उसने यह दर्दनाक कदम उठा लिया.... 
।  
 
आयशा तुमने रब पर जरा भी भरोसा नहीं किया यह ज़िंदगी ईश्वर की दी हुई नैमत है जिसे यूंही गंवाना क्या उचित है वो जब सब दरवाजे बंद कर देता है तो खिड़की खुली छोड़ देता है। यह बात महापुरुषों ने यूंही नहीं कही कि मालिक जब चोंच देता है तो चुग्गा भी वही देता है। तुम कुछ पल ठहर जाती। 
अपनी आत्मा की आवाज़ सुन लेती, वो तुम्हें रोक लेती और परिणाम कुछ और होता। तुम्हें अब भी उसकी फिक्र कि जिसने तुम्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया उसे तुम सजा से बचा रही हो... प्यार क्या होता है एकतरफा निभा दिया.. नमन तुम्हें आयशा। 
 
यह सच है कि तुम मुश्किलों से नहीं,अपनों की बेरुखी व बेवफाई से हारी हो... तुम्हारी रूह को सुकून मिले वहां सच्चे प्यार की कद्र हो जहां यही कामना है। 
 
दहेज की चाहत एक नासूर है जिसकी कोई दवा नहीं गुज़ारिश है दहेज के लोभियों से कि आत्मसम्मान से जीना सीखो। पराई बेटी को अपनाना सीखो। समुचे चिन्तन का सार है कि समाज में कोई भी महिला अशिक्षित न रहे निराश्रय न रहे यही संकल्प इस महिला दिवस को सार्थकता प्रदान करेगा।
ALSO READ: आयशा : आत्महत्या या प्रेम का कपट-वध?
ALSO READ: आयशा की आत्महत्या.... जिम्मेदार कौन?
नदी साबरमती, तुमने आयशा को रोका क्यों नहीं?
प्रिय आयशा, तुम ही बताओ, महिला दिवस कैसे मनाऊं?
ऐसी मुस्कुराहटें बहुत भारी होती हैं....

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ग्लोइंग स्किन के लिए चेहरे पर लगाएं चंदन और मुल्तानी मिट्टी का उबटन

वर्ल्ड लाफ्टर डे पर पढ़ें विद्वानों के 10 अनमोल कथन

गर्मियों की शानदार रेसिपी: कैसे बनाएं कैरी का खट्‍टा-मीठा पना, जानें 5 सेहत फायदे

वर्कआउट करते समय क्यों पीते रहना चाहिए पानी? जानें इसके फायदे

सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है खाने में तड़का, आयुर्वेद में भी जानें इसका महत्व

इन विटामिन की कमी के कारण होती है पिज़्ज़ा पास्ता खाने की क्रेविंग

The 90's: मन की बगिया महकाने वाला यादों का सुनहरा सफर

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल की मलाई, ऐसे करें डाइट में शामिल

गर्मियों में ये 2 तरह के रायते आपको रखेंगे सेहतमंद, जानें विधि

क्या आपका बच्चा भी चूसता है अंगूठा तो हो सकती है ये 3 समस्याएं

अगला लेख