महिला दिवस : नारी से जुड़े, वेदों के 7 शुभ संदेश

प्रीति सोनी
नारी सम्मान की बातें और विचार वर्तमान की उपज तो नहीं है, बिल्कुल नहीं। बल्कि स्त्री का जो सम्मान वर्तमान में सुरक्षित है, वह मात्र वेदों एवं उपनिषदों की देन हैं। नारी को लेकर दिए गए सिद्धांत एवं मतभेदपूर्ण बातें, वेदों के ज्ञान से ही स्पष्ट हो सकते हैं। हम आज नारी समन और समानता की बातें करते हैं, लेकिन यह सारी बातें वर्षों पूर्व ही वेदों और उपनिषदों में अभिव्यक्त की जा चुकी हैं। जानिए ऐसी ही 10 बातें, जो स्त्री सम्मान एवं उसे समानता के स्तर पर लाने हेतु कही गईं -  


1  स्त्री और पुरुष दोनों को शासक चुने जाने का समान अधिकार है। 
यजुर्वेद के 20.9 भाग में लिखी गईं उपर्युक्त पंक्ति के अनुसार स्त्रियां भी राजनीति एवं शासन संबंधी गतिविधियों में सहभागी हो सकती है, जो वर्तमान परिस्थ‍ितियों के अनुकूल है।  

2 माता- पिता अपनी कन्या को पति के घर जाते समय बुद्धीमत्ता और विद्याबल का उपहार दें। वे उसे ज्ञान का दहेज दें।
जब कन्याएं बाहरी उपकरणों को छोड़ कर, भीतरी विद्या बल से चैतन्य स्वभाव और पदार्थों को दिव्य दृष्टि से देखने वाली और आकाश और भूमि से सुवर्ण आदि प्राप्त करने-कराने वाली हो तब सुयोग्य पति से विवाह करे। अथर्ववेद १४.१.२०
उपर्युक्त पंक्तियां बेटियों को सही शिक्षा और उसके बाद विवाह की ओर इंगित करती हैं।

3 स्त्रियां कभी दुख से रोयें नहीं, इन्हें निरोग रखा जाए और रत्न, आभूषण इत्यादि पहनने को दिए जाएं। अथर्ववेद १४.१.२०
ऊपर लिखी गईं पंक्तियां, स्त्री को प्रसन्न एवं सुशोभित रखने की बात कहती है। इसके अनुसार स्त्री को किसी भी प्रकार का दुख न दिया जाए।

4 हे स्त्री ! तुम हमारे घर की प्रत्येक दिशा में ब्रह्म अर्थात् वैदिक ज्ञान का प्रयोग करो। हे वधू ! विद्वानों के घर में पहुंच कर कल्याणकारिणी और सुखदायिनी होकर तुम विराजमान हो।
इन पंक्तियों के अनुसार एक स्त्री अपने गुण एवं विवेक और कर्मों से घर को स्वर्ग बना सकती है। उसका यह स्वरूप कल्याणकारी, सुखकारी होता है।अथर्ववेद २.३६.५

5 सभा और समिति में जा कर स्त्रियां भाग लें और अपने विचार प्रकट करें। ऋग्वेद १०.८५.७
उपर्युक्त पंक्तियां स्त्री को घर की चार-दीवारी में कैद होने के बजाए, समाज में, सभाओं में एवं विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होकर मुखर होने एवं अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का आव्हान करती हैं।

6 हे पत्नी ! अपने सौभाग्य के लिए मैं तेरा हाथ पकड़ता हूं।  अथर्ववेद १४.२.२६
वेद भी इस बात की पुष्ट‍ि करते हैं कि कर्म भले ही पति रूप में पुरुष का हो, लेकिन सौभाग्य स्त्री से ही जागृत होता है और पति का सौभाग्य पत्नी से ही जुड़ा होता है। 

7 ऋगवेद के विभिन्न पृष्ठों पर स्त्री के लिए बेहद सम्मानजनक संदेश दिए गए हैं जिसमें कहा गया है - स्त्रियां वीर हों ... स्त्रियां बुद्धिमती और ज्ञानवती हों, स्त्रियां परिवार, समाज की रक्षक हों और सेना में जाएं...स्त्रियां तेजोमयी हों...स्त्रियां धन-धान्य और वैभव देने वाली हों... स्त्रियां सुविज्ञ हों... स्त्रियां संपदा शाली और धनाढ्य हों
 
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