महिला दिवस विशेष : प्रथम भारतीय व्हीलचेअर अभिनेत्री ''गीत''

प्रीति सोनी
जिंदगी... कैसी है पहेली हाय, कभी ये हंसाए कभी ये रुलाए...। बिल्कुल ऐसी ही तो होती है जिंदगी। खुशनुमा जिंदगी में कभी-कभी ऐसा दौर भी आता है, जब हवा का एक झोंका रेत की तरह सपनों और खुशियों से सजे लम्हों को कोसों दूर ले जाता है। और फिर शुरू होती है एक जद्दोजहद उस जिंदगी से, जो कभी मांगी नहीं थी, लेकिन मिल गई....और उसी में जीना है हर सपने, हर लम्हे और हर उम्मीद को...। 

किसी फिल्मी की कहानी या उपन्यास की कथा सी लगती हैं यह बातें। लेकिन दरअसल यह कथाएं भी सच से प्रेरित होकर जन्म लेती हैं। कभी अच्छी-खासी जिंदगी में एक सफर अपनों की पूरी दुनिया छीनकर अकेला छोड़ देता है, तो कभी अपनों के साथ रहकर भी बेबस हालात पैदा कर देता है। लेकिन उसके बाद भी जिंदगी वही होती है, जो हौसलों के साथ जी जाए, सपनों को पूरा करने की उड़ान भर पाए और दुनिया के सामने मिसाल बनकर हर इंसान को जीना सिखाए...।
 
एक ऐसी ही हौसलों से भरी, उम्मीदों से सजी और सपनों के पंख लगाकर बेखौफ उड़ती जिंदगी है, गीत। जी हां, गीत पहली भारतीय व्हीलचेअर अभिनेत्री हैं, जो भारतीय नारी की बुलंद आवाज हैं। 
 
बचपन से ही बातूनी और खेलों में बेहद सक्रिय रहीं गीत का बचपन अफ्रीका, यूएस और भारत में बीता और वे पढ़ाई में आगे रहने के साथ-साथ लिखने, बोलने एवं स्कूल में होने वाले कार्यक्रमों का अहम हिस्सा बनकर रहीं। नृत्य के क्षेत्र में भी वे किसी से कम नहीं रही और उन्होंने कई सारे नाटकों में अभिनय कर सराहना भी बटोरी।
 
वर्तमान में गीत देश की एकमात्र ऐसी अभि‍नेत्री हैं, जो अपने पैरों को महसूस नहीं कर सकती, लेकिन अभि‍नय के क्षेत्र में जिनके कदम लगातार आगे बढ़ रहे हैं। न केवल अभिनय के क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी गीत ने अपने आपको उन लोगों के लिए एक सशक्त प्रेरणास्त्रोत बनाया है, जो विकलांगता को सफलता और आगे बढ़ने के मार्ग में बाधा मानकर चलते हैं।
 
सकारात्मकता और सपनों से भरी हुई गीत आज समाज सेवा के जरिए, गरीब, अनाथ और पिछड़ों को आगे बढ़ने का संदेश देती हैं और कभी हिम्मत न हारने की प्रेरणा देती हैं। लेकिन गीत के लिए यह सब इतना आसान नहीं था....जब दस साल की उम्र में एक दुर्घटना में उन्होंने अपने दोनों पैर खो दिए थे। 

अपने परिवार के साथ कार का सफर कर रहीं गीत जब कार की पिछली सीट पर गहरी और बेफिक्र नींद सो रही थी, तभी अचानक एक हादसे ने उनके पैर छीन लिए। इस बात का पता उन्हें तब चला, जब उनकी गहरी नींद टूटी और होश में आने पर उन्होंने खुद को अस्पताल में पाया। तभी उन्हें यह पता चला कि वे कभी पहले की तरह चल नहीं सकेंगी, दौड़ नहीं सकेंगी, नाच नहीं सकेंगी...उछल नहीं सकेंगी। इन सब से बड़ा आघात, कि वे अपने पैरों को कभी महसूस ही नहीं कर सकेंगी।
 
हालांकि इस दुर्घटना के बाद भी उन्होंने स्कूल के कार्यक्रमों में अपनी सक्रियता जारी रखी। लेकिन यह सब उनके लिए उतना सहज नहीं था। हालातों और संवेदनाओं ने उन्हें तोड़ कर रख दिया था, और वे डिप्रेशन की मरीज हो चुकी थीं। लेकि‍न परिवार और अपनों के सहयोग और संबल ने उन्हें जीने की राह दिखाई। और उन्होंने पाया कि पैर नहीं तो क्या हुआ, दुनिया को देखने के लिए आंखें, कहने को जुबां, सुनने की शक्ति और अन्य इंद्रियां तो हैं ना उनके पास....‍जिनका वे भरपूर उपयोग कर सकती हैं। बस जो पास है उससे खुद को बनाने की दिशा में वे आगे बढ़ती गईं और समाज सेवा, अभि‍नय और अन्य क्षेत्रों में अपनी काबि‍लियत का लोहा मनवाती रहीं।
 
गीत मानती हैं कि जो आपके बस में नहीं है, या जो नहीं किया जा सकता, उसके बजाए जो हम कर सकते हैं या जो सुविधाएं हमारे पास मौजूद हैं उनका भरपूर उपयोग किया जाना चाहिए। ताकि आप खुद को बेहतर और सकारात्मक बना सकें।
 
बेस्ट जी सिने स्टार की खोज जैसे अवसरों पर जब उन्होंने अभि‍नय के लिए ऑडिशन दिया, तो उनके जज्बे से लेकर योग्यता तक काफी सराहा गया। इस तरह के काफी ऑडिशन्स में गीत ने खुद को सफल पाया। आज उनके फेसबुक पेज से लेकर असल जिंदगी में उनके कई प्रशंसक हैं,जो उनका हौसला बढ़ाते हैं। वे एक एनजीओ भी चलाती हैं, जो अनाथ और निराश्र‍ितों की मदद करता है। इसके अलावा वे लोगों को जीवन के उतार-चढ़ाव भरी परिस्थति में प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करती हैं और मार्गदर्शन देती हैं। 
 
उड़ते हौसले की एक तस्वीर...आत्मविश्वास से लबरेज हिम्मत की जीती-जागती मिसाल हैं गीत ....अभिनय के क्षेत्र में पहली व्हीलचेअर अभि‍नेत्री...वाकई, कमाल है गुनगुनाती-मुस्कुराती यह गीत...।
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