हर औरत होती है कविता

महिला दिवस विशेष

वर्तिका नंदा
FILE
इबादत के लिए उठे
भीगे हाथ
उसमें सूखे पत्ते
अपमान
धर्म
कर्म
और शर्म को भर लेने के बाद
जो जगह बची थी
उसमें भर दी
औरत ने
एक छोटी सी उम्मीद
महिला दिवस यहीं से शुरू होगा
यहीं खत्म
मेरे समय की औरतें
लड़कियां फुटबाल की तरह उछल कर खेल लेतीं हैं इन दिनों
और अपने सीने में सीलन को दबाए
मुस्कुरा भी लेती हैं
लड़कियों के पास अब अपना एक आसमान है
अपनी पगडंडी
अपनी कुटिया
अपनी हंसी
अपना दुपट्टा
समय के साथ बदल गई हैं लड़कियां
कालेज के बार भेलपूरी खाते हुए
यहां-वहां झांकतीं नहीं वे
खुश रहने लगी हैं लड़कियां
अपमान पी गईं हैं लड़कियां
हां, बदल गईं हैं लड़कियां
बादलों के बीच
हर औरत लिखती है कविता
हर औरत के पास होती है एक कविता
हर औरत होती है कविता
कविता लिखते-लिखते एक दिन खो जाती है औरत
और फिर सालों बाद बादलों के बीच से
झांकती है औरत
सच उसकी मुट्ठी में होता है
तुड़े-मुड़े कागज-सा
खुल जाए
तो कांप जाए सत्ता
पर औरत
ऐसा नहीं चाहती
औरत पढ़ नहीं पाती अपनी लिखी कविता
पढ़ पाती तो जी लेती उसे
इसलिए बादलों के बीच से झांकती है औरत
बादलों में बादलों सी हो जाती है औरत... ।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सावन माह में क्या खाएं और क्या नहीं?

वेट लॉस में बहुत इफेक्टिव है पिरामिड वॉक, जानिए चौंकाने वाले फायदे और इसे करने का तरीका

सावन में रचाएं भोलेनाथ की भक्ति से भरी ये खास और सुंदर मेहंदी डिजाइंस, देखकर हर कोई करेगा तारीफ

ऑफिस में नींद आ रही है? जानिए वो 5 जबरदस्त ट्रिक्स जो झटपट बना देंगी आपको अलर्ट और एक्टिव

सुबह उठते ही सीने में महसूस होता है भारीपन? जानिए कहीं हार्ट तो नहीं कर रहा सावधान

सभी देखें

नवीनतम

फाइबर से भरपूर ये 5 ब्रेकफास्ट ऑप्शंस जरूर करें ट्राई, जानिए फायदे

सावन में नॉनवेज छोड़ने से शरीर में आते हैं ये बदलाव, जानिए सेहत को मिलते हैं क्या फायदे

सावन में कढ़ी क्यों नहीं खाते? क्या है आयुर्वेदिक कारण? जानिए बेहतर विकल्प

हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता आइस बाथ, ट्रेंड के पीछे भागकर ना करें ऐसी गलती

विश्व जनसंख्या दिवस 2025: जानिए इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम