टीम के सबसे बड़े फिनिशर हैं युवराज

Webdunia
मंगलवार, 22 मार्च 2011 (19:22 IST)
भारतीय टीम में सबसे दिलचस्प तथ्य है कि जब भी युवराज सिंह चलते हैं और बड़ी पारी खेलते हैं तो भारत निश्चित ही उस मैच को जीत जाता है।

मध्यक्रम के धाकड़ बल्लेबाज युवराज ने विश्वकप में अपने प्रदर्शन से इस बात को बखूबी साबित कर दिया है। टूर्नामेंट में युवराज ने जिन तीन मैचों में दो अर्द्धशतक और एक शतक बनाया उसमें भारत ने जीत हासिल की।

केवल यही नहीं युवराज का कैरियर आँकड़ा भी इस बात का गवाह है कि जब भी उन्होंने अर्द्धशतक या शतक का दामन छुआ जीत भारत की झोली में आ गिरी। युवराज ने 11 साल के अपने कैरियर में अपनी मौजूदगी में भारत की 155 जीतों में 51.07 के बेहद प्रभावशाली औसत से 5465 रन बनाए हैं। इस दौरान उनके बल्ले से दस शतक और 36 अर्द्धशतक निकले।

युवराज ने अपने 271 वनडे के करियर में 37.43 के औसत से 7973 रन बनाए हैं जिनमें 13 शतक और 48 अर्द्धशतक शामिल हैं। यानी अपनी मौजूदगी में भारत की पराजयों में युवराज ने सिर्फ तीन शतक और 11 अर्द्धशतक बनाए हैं।

मौजूदा टूर्नामेंट से पहले युवराज की फार्म को लेकर खासे सवाल उठाए जा रहे थे। वर्ष 2010 की शुरुआत के बाद से 19 पारियों में युवराज का औसत सिर्फ 27.50 और स्ट्राइक रेट 69.73 था। इनमें उन्होंने केवल एकमात्र 60 रन से ज्यादा की पारी खेली थी। लेकिन विश्वकप में इंग्लैंड के खिलाफ 50 गेंदों में नाबाद 58 रन बनाकर युवराज अपनी लय में लौट आए थे।

इसके बाद युवराज ने आयरलैंड और हॉलैंड के खिलाफ दो नाबाद अर्द्धशतक बनाए और फिर वेस्टइंडीज के खिलाफ शतक ठोक डाला। युवराज टूर्नामेंट में 94.67 के औसत से 284 रन बना चुके हैं और उनका स्ट्राइक रेट 86.06 है।

इसके साथ उनके कब्जे में नौ विकेट भी आ चुके हैं। यानी ऑलराउंडर की भारत की कमी को युवराज बखूबी पूरा कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में युवराज यदि एक और अच्छी पारी के साथ-साथ विकेट भी ले जाते हैं तो वह एक टूर्नामेंट में 300 रन बनाने और दस विकेट लेने का डबल पूरा करने वाले विश्वकप इतिहास के चौथे खिलाड़ी बन जाएँगे।

इससे पहले यह उपलब्धि सिर्फ कपिल देव (1983), नील जॉनसन (1999) और सनथ जयसूर्या (2003) को हासिल है। युवराज वनडे में 8000 रन पूरे करने से अब सिर्फ 27 रन दूर हैं लेकिन उनकी नजरें निजी कीर्तिमानों से ज्यादा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक बेहतरीन प्रदर्शन करने पर लगी होंगी।

युवराज ने 2000 में नैरोबी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही आईसीसी चैंपियंस ट्राफी के क्वार्टर फाइनल में मात्र 80 गेंदों में 12 चौकों की मदद से 84 रन ठोककर भारत को 20 रन की जीत दिलाने के साथ सेमीफाइनल में पहुँचाया था।

युवराज की इस एक पारी ने ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में स्थापित कर दिया था। आज टीम में वह सबसे बड़े मैच फिनिशर के रूप में जाने जाते हैं। विश्वकप में उनकी बल्लेबाजी के साथ-साथ उनकी पार्टटाइम लेफ्ट आर्म गेंदबाजी भी कमाल कर रही है।

विश्वकप में उनका ओवरऑल औसत 50 पार कर चुका है जो उनके 37.43 के करियर औसत से कहीं ज्यादा है। उन्होंने 18 विश्वकप पारियों में आठ अर्द्धशतक और एक शतक जमाया है। भारत को अहमदाबाद में उनसे ऐसे ही एक और कमाल का इंतजार है। (वार्ता)

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