टूरिस्ट बनकर रह गए कुछ खिलाड़ी

Webdunia
मंगलवार, 22 मार्च 2011 (13:05 IST)
भारत ने विश्वकप के अपने अंतिम लीग मैच में सुरेश रैना और रविचंद्रन अश्विन के मैदान पर उतारकर ग्रुप चरण में सभी खिलाड़ियों को खेलने का मौका दे दिया लेकिन अन्य टीमों में कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जिनकी भूमिका क्रिकेट महाकुंभ के एक महीने के सफर में मैदान पर ड्रिंक्स ले जाने या कभी कभार किसी चोटिल खिलाड़ी की जगह पर क्षेत्ररक्षक बनने तक ही सीमित रही।

क्वार्टर फाइनल में पहुँची आठ टीमों में से पाँच टीमें ऐसी हैं जिसने अभी तक अपने सभी खिलाड़ियों को खेलने का मौका नहीं दिया है जबकि लीग चरण से बाहर होने वाली टीमों में भी कुछ खिलाड़ी ऐसे रहे जो क्रिकेटर बनकर उपमहाद्वीप में आए थे लेकिन यहाँ से ‘टूरिस्ट’ बनकर वापस लौटे।

ऑस्ट्रेलिया के सबसे अधिक तीन खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें अब तक विश्वकप में एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला। ऑस्ट्रेलिया ने अब तक विश्वकप में केवल 12 खिलाड़ियों को आजमाया है जिसके कारण विकेटकीपर बल्लेबाज टिम पेन, ऑलराउंडर जॉन हेस्टिंग्स और कैलम फर्ग्युसन ने ड्रेसिंग रूम की ही शोभा बढ़ाई।

डग बोलिंजर टूर्नामेंट में एक भी मैच खेले बिना चोट के कारण बाहर हो गए थे। उनके स्थान पर माइक हसी को लिया गया जिन्हें तीसरे मैच के बाद उनके छोटे भाई डेविड हस्सी की जगह अंतिम एकादश में जगह मिली। माइकल हस्सी पहले चोट के कारण टीम से बाहर कर दिए गए थे और उनकी जगह फर्ग्युसन को लिया गया था। इसके अलावा तेज गेंदबाज डर्क नानेस भी स्टैंडबाई खिलाड़ी के तौर पर ऑस्ट्रेलियाई टीम से जुड़े हैं।

इंग्लैंड की टीम चोटों से जूझती रही और इसलिए उसके 18 खिलाड़ी विश्वकप का हिस्सा बने हैं। इनमें से जाडे डर्नबाक को अब तक अंतिम एकादश में जगह नहीं मिली है जिन्हें तेज गेंदबाज अजमल शहजाद की जगह लीग चरण के अंतिम दौर में टीम का हिस्सा बनाया गया था।

जहाँ तक भारत का सवाल है तो उसने अपने पहले पाँच मैच तक पंद्रह सदस्यीय टीम में से केवल 13 खिलाड़ियों का उपयोग किया था लेकिन वेस्टइंडीज के खिलाफ रविवार को चेन्नई में खेले गए मैच में उसने बाकी बचे दो खिलाड़ियों रैना और अश्विन को खेलने का मौका दिया।

भारत की तरह दक्षिण अफ्रीका ने भी लीग चरण में अपने सभी 15 खिलाड़ियों को अंतिम एकादश में जगह बनाने का मौका दिया। वेस्टइंडीज के 16 खिलाड़ी विश्वकप में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। उसने उन खिलाड़ियों को भी अवसर दिया जिन्हें किसी खिलाड़ी के चोटिल हो जाने के बाद टीम में लिया गया था। उसकी टीम में शामिल कार्लटन बा और एड्रियन बराथ टूर्नामेंट शुरू होने से पहले ही बाहर हो गए थे जबकि ड्वेन ब्रावो पहले मैच में चोटिल होने के बाद बाहर हुए थे।

आयरलैंड ने विश्वकप में दो उलटफेर किए और एसोसिएट देशों में उसका प्रदर्शन सबसे प्रभावशाली रहा लेकिन उसने केवल 13 खिलाड़ियों को ही मैदान पर आजमाया जिसके कारण अल्बर्ट वान डर मर्व और निजेल जोन्स ड्रेसिंग रूम की ही शोभा बढ़ाते रहे।

बांग्लादेश के मध्यम गति के गेंदबाज नजमुल हुसैन छह में से कोई मैच नहीं खेल पाए जबकि उन्हें 34 एकदिवसीय मैच खेलने का अनुभव है। जिम्बाब्वे ने सलामी बल्लेबाज टेरी डफिन को खेलने का अवसर नहीं दिया। डफिन को टूर्नामेंट से पहले ही चोटिल टिनो मावोयो की जगह टीम में लिया गया था। उन्होंने अंतिम एकदिवसीय मैच वेस्टइंडीज में 2007 में खेले गए विश्वकप के दौरान आयरलैंड के खिलाफ खेला था। (भाषा)

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