युवराज ने ऑस्ट्रेलिया को ललकारा

- सीमान्त सुवीर

Webdunia
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भारतीय क्रिकेट टीम के 'मैच विनर' युवराज सिंह ने चेन्नई में विश्वकप के आखिरी लीग मैच में वेस्टइंडीज को 80 रनों से हराने के तुंरत बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए ऑस्ट्रेलिया को ललकारा है। दुनिया की नंबर एक टीम ऑस्ट्रेलिया का सामना अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में 24 मार्च को दुनिया की नंबर दो टीम भारत से होगा। युवराज मानते हैं कि यह एक हाईवोल्टेज मुकाबला होगा और क्रिकेट प्रेमियों को रोमांचक टक्कर देखने को मिलेगी।

भारत ने विश्वकप में अपनी जमीन पर 6 में से 5 मैच खेलें हैं, जिसमें से एक मैच टाई हुआ, एक मैच हारा और तीन मैच जीते हैं। तीनों ही विजयी मैचों में युवराज सिंह 'मैन ऑफ द मैच' रहे। आयरलैंड, हॉलैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ न केवल युवी का बल्ला चला बल्कि गेंदबाजी में भी वे कमाल दिखाने में सफल रहे। युवराज ने 6 में से 4 मैचों में तीन अर्धशतक और एक शतक लगाया है।

चेन्नई में भारत ने सिक्का जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 49.1 ओवर मे 268 रन बनाए जिसमें युवराज सिंह के 113 और विराट कोहली के 59 रन थे। महेन्द्र सिंह धोनी और गौतम गंभीर समान रूप से 22-22 रन बनाकर संयुक्त रूप से तीसरे नंबर पर रहे। यानी युवराज और विराट ने मिलकर ‍172 रन बनाए जबकि शेष 9 बल्लेबाज 86 रन ही बना सके।

वेस्टइंडीज भी भारत की ही राह चला। सलामी बल्लेबाज डेवान स्मिथ 81 और रामनरेश सरवन 39 को छोड़कर अन्य कोई बल्लेबाज चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में अपना असर नहीं दिखा सका। वेस्टइंडीज के 3 बल्लेबाज 154 रन पर आउट होते हैं और शेष सात बल्लेबाज केवल 34 रन ही बना पाते हैं। नतीजा ये निकलता है कि पूरी टीम 43वें ओवर में 188 पर ढेर होकर 80 रन से मुकाबला हार जाती है।

युवराज की गजब की बॉडीलेंग्वेज : मैदान के भीतर और बाहर युवराज सिंह शेर की तरह गरज रहे हैं। आप भारत की तीनों मैचों की जीत को उठकार देख ली‍जिये, हर समय युवराज का ही डंका बजा है। इंग्लैंड के खिलाफ टाई मैच में 58 रन उनके बल्ले से निकले। आयरलैंड के खिलाफ 50 रन बनाने के साथ साथ 5 विकेट भी लिए, हॉलैंड के खिलाफ 51 रन के साथ 2 विकेट और अंतिम मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ 113 रन के अलावा युवराज 4 ओवर में 18 रन देकर 2 विकेट ले उड़े।

जब टीम इंडिया में स्टार बल्लेबाज नहीं चलते हैं तो युवराज अपने कंधों पर टीम का सारा बोझ ढोते हुए जीत दिलवाकर ही दम लेते हैं। आज वे अपने बल्लेबाजी के शानदार फॉर्म में चल रहे हैं और इसी आत्मविश्वास के बूते पर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को ललकारा है।

इधर रंगों की होली, उधर रनों का रंग : पूरा देश जब होली के रंगों में डूबा हुआ था, तब युवराज का बल्ला चेन्नई में अपना रंग जमा रहा था। भारत ने सचिन (2) और गंभीर (22) के विकेट 51 रन पर खो दिए थे। तब युवराज ने मोर्चा संभाला और 123 गेंदों में 10 चौकौं व 2 छक्के की मदद से 113 रन की पारी खेल डाली। यही नहीं, उन्होंने विराट कोहली (59) को साथ लेकर तीसरे विकेट के लिए 122 रन भी जोड़े।

गिरकर उठना और फिर संभलना : इस विश्वकप में भारतीय टीम का पहले गिरना और फिर संभलने की कहानी चेन्नई में भी दोहराई गई। 41.4 ओवर में स्कोर 4 विकेट पर 218 रन था लेकिन बाद के 6 स्टार बल्लेबाज 70 रन ही बना सके। मुनाफ पटेल (11 रन) सातवें नंबर पर उतरे तो समझ नहीं पा रहे थे कि तेज पारी खेलें या फिर आक्रामक पारी। यानी इस मैच में भी भारतीय टीम सिर्फ दो खिलाड़ी के बूते पर सम्मानजनक स्कोर तक पहुँच सकी।

मैच का टर्निंग पाइंट : कप्तान धोनी ने जहीर खान से पहले स्पेल में सिर्फ 2 ओवर करवाकर दोनों छोर से स्पिन आक्रमण लगा दिया। वेस्टइंडीज 91 रनों पर 2 विकेट गँवा चुका था। सलामी बल्लेबाज डेवान स्मिथ अंगद के पैर की तरह जम गए थे और टीम को जीत के दरवाजे की तरफ ले जा रहे थे।

31 वें ओवर में जहीर खान के रूम में ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया गया और उन्होंने अपने तीसरे व्यक्तिगत ओवर की तीसरी गेंद पर 81 रन बनाने वाले स्मिथ के डंडे बिखेरकर धोनी के दिल को ठंडक पहुँचाई। यही मैच का 'टर्निंग पाइंट' था वरना स्मिथ अपनी टीम को ‍जीत दिलाकर ही मानते। इंडीज का यह तीसरा विकेट 154 रनों पर गिरा।

हरभजन के हाथों में जान आई : पहले स्पैल में हरभजन की गेंदों की चकाचक धुनाई हुई ले‍किन जहीर के विकेट लेने के बाद दूसरे स्पैल में भज्जी ने जादू दिखाया और अगले ही ओवर में हरभजन ने पोलार्ड नाम के तूफान को सीमा रेखा पर यूसुफ पठान के हाथों कैच करवाकर मैच का रुख भारत की तरफ पलट दिया। 157 पर जब इंडीज ने चौथा विकेट गँवाया तब उसे जीत के लिए 107 गेंदों में 112 रन चाहिए थे और विकेट शेष थे केवल 6।

दबाव में बिखर जाती है काली आँधी : जिस तरह वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड के खिलाफ 222 से 225 रन यानी तीन रन के भीतर 3 विकेट खोए थे, वही हाल उसका भारत के खिलाफ भी था। केवल 31 रन के भीतर उसने 6 बल्लेबाजों को खोते हुए मैच भी 80 रन से गँवा दिया। वेस्टइंडीज की पूरी टीम 43 ओवर में 188 रनों पर सिमट गई।

हकीकत ये थी कि जहीर और हरभजन ने इतना अधिक दबाव बना दिया था कि वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों का रन निकालना मुश्किल था। जहीर खान अंगुली पर गिने जाने वाले दुनिया के उन चंद गेंदबाजों में शामिल हैं, जो पुरानी गेंद से भी रिवर्स स्विंग करवा लेते हैं। इस विश्वकप में उनकी गेंदबाजी पूरे शबाब पर है, इसका नजारा भी उन्होंने पेश किया। जहीर ने 6 ओवर में 26 रन की कीमत पर 3 विकेट लिए। पहली बार विश्वकप में खेल रहे आर. अश्विन भी 10 ओवर में 41 रन देकर 2 विकेट लेने में कामयाब रहे।

रामपाल का जादू चला : भारत एक समय ऐसी स्थिति में था, जब अनुमान लगाया जा रहा था कि वह 300 के पार पहुँच जाएगा, लेकिन रवि रामपाल ने गजब की गेंदबाजी करते हुए 10 ओवर में 51 रन देकर 5 विकेट झटक लिए। रसेल को 46 रन देकर 2 विकेट मिले। इस विश्वकप में रामपाल चेन्नई के पाँच विकेट को मिलाकर कुल 21 विकेट अपने नाम करने में कामयाब हुए हैं।

अब आगे क्या होगा : भारत को 24 मार्च को अहमदाबाद के मोटेरा में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल खेलना है। घुटने में इंफेक्शन के कारण चेन्नई मैच नहीं खेल सके वीरेन्द्र सहवाग तरोताजा होकर सचिन के साथ पारी की शुरुआत करेंगे और इस जोड़ी पर अच्छी शुरुआत देने की अहम जिम्मेदारी होगी। भारत जीत के मनोबल के साथ मुकाबला करने उतरेगा जबकि ऑस्ट्रेलिया की टीम पाकिस्तान से हारने के बाद मुकाबला खेलेगी। टीम इंडिया को पिछले मैचों को भुलाकर एकजुट होते हुए रणनीति बनाकर ऐसा स्कोर बनाना होगा, जिससे ऑस्ट्रेलियाई टीम पर मनोवैज्ञानिक दबाव आ जाए।

बिखरी-बिखरी है दुनिया की नंबर एक टीम : कप्तान रिकी पोटिंग का फॉर्म गायब है, तेज गेंदबाजों में ब्रेट ली, शॉन टैट और मिशेल जॉनसन एक साथ लगातार सफल नहीं हो रहे हैं। स्पिन आक्रमण में स्मिथ और क्रेजा अपनी छाप नहीं छोड़ पाए हैं। लीग मैचों में श्रीलंका जैसी बड़ी टीम के साथ मैच पानी में धुल गया तो पाकिस्तान से जब सामना हुआ तो हार नसीब हुई। जाहिर है टीम इंडिया आज भी कागजों पर ऑस्ट्रेलिया से बहुत भारी है। आज की ऑस्ट्रेलिया टीम वह टीम नहीं है जिसमें मैग्राथ, शेन वॉर्न और एडम गिलक्रिस्ट जैसे स्टार होते थे।

रिकॉर्ड में ऑस्ट्रेलिया अव्वल : विश्वकप में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अब तक 9 मुकाबले हुए हैं, जिसमें से 7 बार ऑस्ट्रेलिया और 2 बार भारत जीता है। भारत ने ये जीत 1983 और 1987 के विश्वकप में दर्ज की थी। मोटेरा में भारत का प्रदर्शन खराब रहा है। यहाँ खेले कुल 12 मैचों में से 5 जीते हैं और 7 हारे हैं।

पलटवार करने में माहिर है ऑस्ट्रेलिया : ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की खूबी है कि वे पलटवार करने में माहिर हैं और आखिरी गेंद तक संघर्ष करते हैं। भारतीय टीम भी दबाव में संभलने की कला जानती है, इसलिए मुकाबला यकीनन रोमांच से भरा और सनसनीखेज होना चाहिए । भारती य टी म सर्वश्रेष् ठ प्रदर्श न क े बूत े प र सेमीफाइन ल क े दरवाज े प र दस्त क द े सकत ी है । न केव ल बल्लेबाज ी मे ं बल्क ि गेंदबाज ी मे ं जही र खा न, हरभज न, आ र. अश्वि न औ र युवरा ज प र बहु त ज्याद ा दारोमदा र होगा।

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