रिक्शे में मुंबई पहुँचा क्रिकेट का जुनूनी

Webdunia
शनिवार, 2 अप्रैल 2011 (09:47 IST)
क्रिकेट के बल्लों के लिए मशहूर उत्तरप्रदेश के शहर मेरठ से एक जुनूनी अपने रिक्शे में 1500 किलोमीटर का सफर तय कर यहाँ वानखेड़े स्टेडियम में भारत और श्रीलंका के बीच विश्वकप का फाइनल देखने पहुँचा है।

विश्वकप का उद्घाटन बंगलादेश के ढाका में सभी टीमों के कप्तानों के आम आदमी की सवारी रिक्शे में बैठकर स्टेडियम में पहुँचने के साथ हुआ था और इसी से प्रेरणा लेते हुए मेरठ के शेर मोहम्मद खान उर्फ शेरू ने विश्वकप के अंदाज में अपने रिक्शे को सजाया और 1500 किमी का सफर तय कर पहुँच गया मुंबई।

शेर मोहम्मद ने बताया कि उत्तरप्रदेश के एक स्थानीय राजनेता ने उसे चुनौती दी थी और फाइनल के लिए मुफ्त टिकट का वादा किया था। शेर मोहम्मद ने मेरठ से अपना सफर 16 मार्च को शुरू किया था फिर वह दिल्ली पहुँचा और उसके बाद राजस्थान से गुजरते हुए अहमदाबाद पहुँचने के बाद उसने मुंबई का रास्ता पकड़ लिया।

उन्होंने कहा ‍कि मैंने भारत की जीत के लिए विशेष दुआ की है और मुझे खुशी है कि भारत फाइनल में पहुँच चुका है।

शेर मोहम्मद ने बताया कि वह सुबह से रोजाना 15 किमी चलता था और दोपहर में रास्ते में सड़क पर ही विश्राम करता था। इस तरह उसने अपनी यह दूरी पूरी की और मुंबई पहुँच गया।

मेरठ के रशीदनगर के 35 वर्षीय शेर मोहम्मद ने अपने रिक्शे को इस अंदाज में सजाया है कि दूर से ही हर कोई उसे देखने के लिए खिंचा चला आता है। धर्मेंद्र, सन्नी देओल और बॉबी देओल की हाल की सुपरहिट फिल्म यमला पगला दीवाना के भी शुरू में और अंत में इस रिक्शे को दिखाया गया है। आखिर में तो धर्मेंद्र बाकायदा इस रिक्शे में बैठे हैं।

विश्वकप अंदाज में सजे इस रिक्शे की सबसे खास बात इसके हैंडल पर बनी विश्वकप ट्रॉफी की प्रतिकृति है जिसे खुद शेर मोहम्मद ने कई दिनों की मेहनत के बाद बनाया है। यह ट्रॉफी देखने में हूबहू विश्वकप ट्रॉफी जैसी लगती है।

रिक्शे में रिक्शाचालक की सीट के ठीक पीछे लगभग आठ इंच की एलसीडी स्क्रीन लगी हुई है जिसे शेर मोहम्मद बैट्री से चलाते हैं। इस पर एंटीना की सहायता से दूरदर्शन के दो चैनल आते हैं और इसमें सीडी लगाकर भी फिल्मों आदि का आनंद लिया जा सकता है। (वार्ता)

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

लीड्स की हार का एकमात्र सकारात्मक पहलू: बल्लेबाजी में बदलाव पटरी पर

ICC के नए टेस्ट नियम: स्टॉप क्लॉक, जानबूझकर रन पर सख्ती और नो बॉल पर नई निगरानी

बर्फ से ढंके रहने वाले इस देश में 3 महीने तक फुटबॉल स्टेडियमों को मिलेगी 24 घंटे सूरज की रोशनी

The 83 Whatsapp Group: पहली विश्वकप जीत के रोचक किस्से अब तक साझा करते हैं पूर्व क्रिकेटर्स

क्या सुनील गावस्कर के कारण दिलीप दोषी को नहीं मिल पाया उचित सम्मान?