वक्त की भट्टी में तप कर बना 'युवराज'

- अजय बर्वे

Webdunia
शनिवार, 26 मार्च 2011 (15:36 IST)
वक्‍त की भट्टी में तप कर ही सोना कुंदन में बदलता है, कुछ ऐसा ही भारत के मशहूर क्रिकेटर युवराज के साथ हुआ है। वैसे तो हर पिता का सपना होता है कि उसकी संतान बड़ी होकर उसके सपनों को पूरा करे लेकिन ऐसे कुछ ही खुशकिस्‍मत पिता होते है जिनकी संताने वाकई में अपने पिता के सपने को सच साबित कर पाती हैं। अपने सपनों को पूरा करने की जो आग एक पिता के सीने में धधक रही होती है उसमें अपने संतान को तपा कर कुंदन बनाना हर किसी पिता के बस की बात नहीं होती।

गौरतलब है कि कुछ समय पहले तक जो युवराजसिंह अपने खराब फॉर्म की वजह से आलोचकों का निशाना बने हुए थे, जिन्हें बीसीसीआई ने ए ग्रेड से पदावनत कर बी ग्रेड में रखा था। वे एक बार फिर देखते ही देखते हर किसी का आँखों का तारा बन गए हैं। विश्वकप में शानदार प्रदर्शन करते हुए इस युवा खिलाड़ी ने मानो अपने पर उठे हर सवाल का करारा जवाब दे दिया।
PTI
PTI

पर आखिर ऐसा क्या हुआ जिसने क्रिकेट के इस 'बिगड़ैल युवराज' को इतना बदल दिया, जिस जिम्मेदारी से युवराज मैच दर मैच भारतीय पारी को संवार रहे हैं उसे देखकर तो नहीं लगता कि यह वही शख्स है जो कुछ समय पहले बिलकुल ही आउट ऑफ फॉर्म था।

क्‍वार्टर फाइनल में जीत के बाद पत्रकारों से बात करते हुए युवराज ने अपने शानदार प्रदर्शन का राज खोलते हुए एक 'खास शख्‍स' का जिक्र किया जिसके लिए वे इस विश्‍वकप को जीतना चाहते हैं। इसलिए वे हर मैच में अपना सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन कर रहे हैं। युवराज ने इस राज को अब तक राज ही रखा है कि वे आखिर किसके लिए इस विश्‍वकप को जीतना चाहते हैं।

इसके बाद तो हर कोई उनकी इस बात को लेकर यही कयास लगा रहा है कि वह शख्‍स आखिर है कौन, जिसकी प्रेरणा ने युवराज के खेल में नई जान फूँक दी और युवी अपने पुराने रंग में नजर आने लगे। यह खिलाड़ी इस विश्‍वकप में न सिर्फ बल्‍ले बल्कि गेंद से भी आग उगल रहा है।

कहीं वो शख्‍स जिसका नाम युवराज ने अबतक राज रखा है वह नाम योगराजसिंह तो नहीं? युवराज के बारे में जानने वालों का कहना है कि युवराज की यह प्रेरणा उनके पिता हैं? इसमें कोई ताज्‍जुब की बात नहीं होना चाहिए क्‍योंकि युवराज को क्रिकेट के इस मुकाम पर पहुँचाने वाले उनके पिता ही हैं।

युवराज के क्रिकेट करियर पर नजर डाली जाए तो उसे देखकर लगता है कि उनका खेल सबसे ज्‍यादा उनके पिता से प्रभावित रहा है। युवराजसिंह के पिता योगराजसिंह भी एक आल राउंडर क्रिकेट खिलाड़ी थे उन्‍होंने भारत के लिए एक टेस्‍ट मैच और छ: एकदिवसीय मैच खेले हैं लेकिन अपने पहले ही टेस्‍ट के बाद चोट की वजह से उन्‍हे टीम से बाहर होना पड़ा और बाद में उन्‍होंने क्रिकेट से संन्‍यास ले लिया।

कुछ सालों पहले एक इंटरव्‍यू के दौरान योगराजसिंह ने अपने निजी जीवन से जुड़ी कई बातें सार्वजनिक की थी उन्‍होंने बताया कि जब वे न्‍यूजीलैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्‍ट मैच खेलने जा रहे थे तब उन्‍होंने अपने पिता के लिए एक सूट और दूरबीन खरीदी थी। वे चाहते थे कि उनके पिता स्‍टेडियम में वह सूट पहन कर आए और दूरबीन से उनका मैच देखें लेकिन योगराज का यह सपना बस सपना ही रह गया।

मैच के दौरान कैच लेने की कोशिश में उनकी बाँई आँख पर चोट लगी। उसके बावजूद वह मैदान पर रहे और लगभग 10 ओवर तक गेंदबाजी भी की लेकिन अगले दिन उन्‍हे इस चोट से तकलीफ होने लगी और उन्‍हें दो दिन तक अस्‍पताल में रहना पड़ा। वापसी पर उन्‍हें बिना कोई कारण बताए टीम से बाहर कर दिया गया। योगराज के क्रिकेट कर‍ियर के इस तरह अचानक खत्‍म होने के सदमे को उनके पिता सह न सके और चल बसे।

व्यथित होकर योगराज ने घर आकर क्रिकेट की अपनी सारी सामग्री जिनमें उनके बल्‍ले और पेड शामिल थे सबकुछ जला दिया। पिता के चिता के साथ-साथ योगराज के क्रिकेटर बनने का सपना भी धूँ-धूँ कर के जल गया। अपने पिता को खोने के साथ ही क्रिकेट करियर के अचानक खत्‍म होने के गम में योगराज पूरी तरह टूट गए लेकिन उन्‍होंने हार नहीं मानी और हालात से समझौता करते हुए अपने पारंपरिक काम खेती में अपना ध्‍यान लगाया। फिर उनकी जिंदगी में एक बेटा आया जिसका नाम उन्होने युवराज रखा।

योगराज ने यह भी कहा था क‍ि क्रिकेट मेरी जिंदगी है और मैने जब संन्‍यास लिया उस वक्‍त मुझ पर इसके लिए निजी और राजनीतिक रूप से दबाव बनाया गया था लेकिन संन्‍यास के बाद भी मैं क्रिकेट से कभी दूर नहीं हुआ। यह मेरी बदकिस्‍मती थी की मैं अपने देश के लिए खेल नहीं पाया लेकिन मैं अपने सपनों को अपने बेटे युवराज के जरिए पूरा करना चाहता था और इसलिए मैंने उसमें इस खेल को लेकर वही जज्‍बा पैदा किया जो मुझ में था। मैं युवराज के जरि‍ए इस खेल को जीता हूँ, युवराज मेरे अंदर के क्रिकेटर को दुनिया के सामने लाया है।

योगराज, युवराज को न सिर्फ क्रिकेटर बल्कि भारतीय क्रिकेट का लीजेंड बनाना चाहते हैं। उन्‍होंने यह भी बताया कि वे तब तक स्‍टेडियम में जाकर युवराज का मैच नहीं देखेंगें जब तक युवराज सचिन तेंदुलकर, सर विवियन रिचर्ड्स और क्‍लाईव लॉयड की तरह महान खिलाड़ी नहीं बन जाते और जब युवराज उस मुकाम को हासिल कर लेंगे तब वे स्‍टेडियम में उनका मैच वही सूट पहन कर देखने जाएँगे जो सूट वह अपने पिता के लिए लाए थे।

जिस तरह एक लोहार लोहे को गर्म करके उस पर तब हथौड़े चलाता रहता है जब तक तक वह लोहा दुश्‍मनों की गर्दन उतारने वाली तलवार नहीं बन जाती वैसे ही योगराजसिंह ने भी अपने बेटे को वक्‍त की भट्टी में तपाया है।
बचपन में युवी कि क्रिकेट में कोई खास रूचि नहीं थी, एक बार जब वे लगभग 6-7 साल के थे, उस समय स्‍कूल में स्‍केटिंग चैंम्पियनशि‍प में गोल्‍ड मेडल हासिल करके घर आए, यूँ तो अपने बेट की इस उपलब्धि पर कोई भी बाप खुश होता लेकिन युवराज के पिता ने उनके गोल्‍ड मेंडल फेंक दिए और बल्ला थमा दिया। उस दिन से शुरू हुआ युवराज के क्रिकेट का सफर।

पिता के इस गुस्‍से ने बाप-बेटे के बीच दरार पैदा कर दी जो बाद में बढ़ती गई। लंबे समय तक युवराज और उनके पिता के बीच संबधों में खटास रही लेकिन वक्‍त के साथ दूरियाँ कम होने लगी और अब सबकुछ सामान्‍य हो गया।


योगराज ने बताया था कि उन्‍होंने अपने घर के पिछवाड़े ही नेट लगाया, लाइट्स लगाई, सीमेंट की पिच बनाई और उस पर वे युवराज को घंटों नेट प्रेक्टिस करवाते थे। योगराज अपने बेटे के लिए हर रोज एक बल्‍ला लेकर आते थे, युवराज के पास घर में लगभग 200 से ज्‍यादा बल्‍ले और दर्जनों ग्‍लब्‍स भी रखे हुए हैं।

जिस तरह एक लोहार लोहे को गर्म करके उस पर तब हथौड़े चलाता रहता है जब तक तक वह लोहा दुश्‍मनों की गर्दन उतारने वाली तलवार नहीं बन जाती वैसे ही योगराजसिंह ने भी अपने बेटे को वक्‍त की भट्टी में तपाया है और आज वही युवराज अपने पिता के अधुरे सपनों को पूरा करने में जी-जान से जुटा हुआ है।

योगराज के लिए उनका क्रिकेट करियर भले ही एक दर्दभरी याद हो जो अब भी उनके जेहन में ताजा है लेकिन इसके बावजूद वे अपने बेटे को क्रिकेट के उस मुकाम पर पहुँचाना चाहते हैं जहाँ वे खुद कभी नहीं पहुँच पाए। अपने देश के लिए ना खेल पाने का गम पालकर बैठने के बजाय योगराज ने युवराज को प्रतिभाशाली खिलाड़ी बनाकर दुनिया के सामने पेश किया और युवराज अपने पिता के इसी सपने को पूरा करने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं।

देखना यह है कि क्‍या वाकई वे युवराज के स्‍पेशल पर्सन उनके पिता ही है या कोई और। वैसे यह स्‍पेशल पर्सन कोई भी हो युवराज से तो हर भारतीय दर्शक यही उम्‍मीद करता है कि वे इसी तरह खेलते रहें और इस बार भारत को विश्‍वविजेता बनाएँ।

वेबदुनिया पर पढ़ें

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

बांग्लादेशी पुरुष क्रिकेटरों का भारतीय महिलाओं ने शॉल से किया स्वागत तो BCCI पर भड़के फैंस

पूरे Diamond League में ओलंपिक के इस कांस्य पदक विजेता से आगे नहीं निकल पाए नीरज चोपड़ा

बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए भारतीय क्रिकेटर्स बांह पर काली पट्टी बांध कर उतरें, फैंस ने की मांग

INDvsPAK हॉकी मैच में हूटर बजने से पहले आपस में भिड़े खिलाड़ी (Video)

INDvsBAN सीरीज को रद्द करने की मांग ने पकड़ा जोर, BCCI से नाराज फैंस

सभी देखें

नवीनतम

रोहित शर्मा ने 12 साल के बाद घरेलू सीरीज हार पर दिया बड़ा बयान

13 विकेट 33 रन मिचेल सैंटनर के ऑलराउंड प्रदर्शन से पस्त भारत, इतिहास में नाम दर्ज

अपनी पहली टेस्ट सीरीज हारते ही रोहित शर्मा बने 21वीं सदी के सबसे खराब भारतीय कप्तान

पुणे टेस्ट में 113 रनों की जीत से न्यूजीलैंड ने रोका 18 सीरीज से चला आ रहा भारतीय जमीन पर टीम इंडिया का विजय रथ

12 साल बाद टूटा है घर का घमंड, न्यूजीलैंड ने पहली बार भारत में जीती सीरीज