जीत में 'जोश' नदारद

-सीमान्त सुवीर

Webdunia
PTI
पहले तो ये समझ लें कि विश्वकप में भारत ने रविवार को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में आयरलैंड जैसे क्रिकेट नौसिखि ए को 5 विकेट से हराकर कोई बहुत बड़ा तीर नहीं मारा। जब से आयरलैंड ने इंग्लैंड जैसी कद्दावर टीम को पटखनी दी थी, तब से वह सुर्खियाँ बटोरने लगी थी और कल तक धोनी एंड कंपनी इस टीम से ऐसे खौफ खा रही थी मानो उसके सामने दुनिया की कोई बहुत शक्तिशाली टीम हो।

विश्वकप में भाग ले रही दोयम दर्जे की टीमों ने जब से ताकतवर टीमों को चौंकाया है, उनके भाव इस कदर बढ़ गए हैं मानों वे सबके लिए खतरे की घंटी हों। यही कारण था कि शनिवार की रात जब टीम इंडिया के कप्तान धोनी मीडिया से मुखातिब हुए तो परेशान थे और तय नहीं कर पा रहे थे कि वे अंतिम 11 खिलाड़ी कौन से उतारेंगे। उनकी नजर में टीम में मौजूद सभी 15 खिलाड़ी काम के हैं।

आयरलैंड के खिलाफ टीम में कोई बदलाव नहीं किया गया और जिस मैदान पर टीम इंडिया का इंग्लैंड के साथ 338 रनों के साथ टाई मैच हुआ था, वही टीम मैदान में उतरी। हालाँकि पिच वो नहीं था, जहाँ रनों का अंबार लगा था। आर. अश्विन, श्रीसंथ ड्रेसिंग रूम से ही तालियाँ बजा रहे थे। धोनी को सबसे ज्यादा खतरा आयरलैंड के स्टार खिलाड़ी केविन ओ' ब्रायन से था, जो इस विश्वकप में इंग्लैंड के खिलाफ शतक जमा चुके हैं।

जहीर ने 2 शुरुआती सफलता दिलाकर आयरलैंड को दबाव में ला दिया था और स्पिन ले रहे विकेट पर युवराज का सिक्का चल निकला। ऑफ स्पिन के माहिर हरभजनसिंह के अलावा पीयूष चावला विकेट के लिए तरसते रहे और युवराज 31 रन की कीमत पर 5 विकेट लेने के साथ मैच के असली 'युवराज' बन बैठे। बाद में बल्लेबाजी में भी उन्होंने ऐसे वक्त नाबाद 50 रन बनाए जब टीम को इसकी सख्त जरूरत थी। वे विश्वकप के पहले ऐसे खिलाड़ी भी बने जिन्होंने एक मैच में 5 विकेट के साथ अर्धशतक जमाया।

आप इसी से संतुष्ट हो जाइए ‍कि भारतीय गेंदबाजों ने 47.5 ओवरों में आयरलैंड को 207 रनों पर समेट दिया और 46 ओवर में 210 रन बनाकर 5 विकेट से मैच जीत लिया।

दरअसल युवराज विकेट के मिजाज को अच्छी तरह से भाँप गए थे और उन्होंने आयरिश बल्लेबाजों को फ्रंटफुट पर खिलाया और देखते ही देखते 5 विकेट हासिल कर लिए। दूसरे गेंदबाज बैकफुट पर खिलाने के प्रयास में अपनी गेंदें कुटवाते रहे। केविन ने जब से शतक जमाया है, तब से उन पर अपेक्षाओं का दबाव बढ़ गया और इसी वजह से वे खुलकर नहीं खेल पाए। अलबत्ता उनके भाई नायल ओ'ब्रायन जरूर 46 रन बनाने में सफल रहे। उनके अलावा पोर्टरफील्ड ने 75 रनों का योगदान दिया।

रविवार को पाँचवा ओवर डालते हुए आयरिश गेंदबाज जॉनस्टन का घुटना ट्‍विस्ट नहीं होता तो हो सकता था कि भारतीय क्रिकेट दीवानों का संडे खराब हो जाता। 4.4 ओवर की गेंदबाजी में जॉनस्टन 16 रन देकर सहवाग (5) और गौतम गंभीर (10) को पैवेलियन भिजवा चुके थे। जॉनस्टन साहब कौन हैं, ये भी जानना जरूरी है क्योंकि जेहन में सवाल आना स्वाभाविक है कि वे कौन से सूरमा हैं?

जॉनस्टन का जन्म ऑस्ट्रेलिया में हुआ। वे न्यू साउथवेल्स की तरफ से काफी साल खेले। उन्होंने सालों तक ब्रेट ली के जोड़ीदार के रूप में गेंदबाजी की। पिछले विश्वकप में वे आयरलैंड की टीम के कप्तान थे और 50 वनडे खेलने वाले वाले वे तीसरे आयरिश खिलाड़ी हैं। जॉनस्टन के भारत के खिलाफ घायल होने से धोनी ने राहत की साँस ली।

इस मैच में जीत के लिए 208 रनों का पीछा कर रहा भारत 40.1 ओवर में कप्तान धोनी समेत पाँच बल्लेबाजों को 167 रनों पर खो चुका था। युवराज ने विकेट का एक छोर संभाले रखा था और दूसरे छोर पर यूसुफ पठान ने मैदान संभालते ही एक ओवर में 2 छक्के उड़ाकर दबाव को हटाया। उन्होंने 24 गेंदों में कुल 3 छक्कों और 2 चौकों की मदद से नाबाद 30 रन बनाए। युवराज भी 75 गेंदों पर 50 रन पर नाबाद रहे, जिससे भारत किसी तरह यह मैच 4 ओवर पहले जीतने में सफल हो गया।

मैच में जहीर खान और युवराज को छोड़कर शेष गेंदबाजों ने निराश किया। हरभजन 9 ओवर में 29 और पीयूष चावला 8 ओवर में 56 रन देने के बाद भी विकेट के लिए तरसे। भज्जी ने इस विश्वकप में कुल 29 ओवर की गेंदबाजी में 128 रन देने के बाद केवल 2 विकेट प्राप्त किए हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि हरभजन विश्वस्तरीय गेंदबाज हैं, लेकिन जब उनका फॉर्म नहीं चल रहा है तो धोनी उन्हें बाहर बैठाने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पाते? आर. अश्विन को टीम में रखने का क्या औचित्य है? क्या अश्विन को आयरलैंड जैसे मैच में नहीं आजमाया जा सकता था?

सच्चाई तो ये है कि आज जो टीम इंडिया आपके सामने दिखाई दे रही है, उसे आप किसी भी सूरत में विश्व चैम्पियन के रूप नहीं मान सकते। टीम की गेंदबाजी बिखरी हुई है, क्षेत्ररक्षण लचर है और बल्लेबाजी में निरंतरता नहीं है। सहवाग और सचिन जैसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों का वह क्लास गायब है, जिसके लिए वे मशहूर हैं।

भारत भले ही आज 5 अंकों के साथ ग्रुप 'बी' में टॉप पर पहुँच चुका है और 9 मार्च को वह दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर हॉलैंड को हराकर क्वार्टर फाइनल की सीट भी बुक कर लेगा, लेकिन उसमें कितना दमखम है, इसका फैसला 12 मार्च को होगा जब टीम इंडिया के सामने नागपुर में दक्षिण अफ्रीका की टीम होगी जबकि अंतिम लीग मैच 20 मार्च को चेन्नई में वेस्टइंडीज के साथ खेला जाएगा।

यदि वाकई टीम इंडिया को विश्वकप जीतने की चाहत है तो उसे अभी भी कई क्षेत्रों में काफी मेहनत करने की जरूरत होगी। टीम के थिंक टैक को काफी होमवर्क करना होगा। यह भी याद रखना होगा कि हर बार युवराज 5 विकेट के साथ 50 रन नहीं बनाएँगे। पूरे साल भर बाद पहली बार युवराज का यह फॉर्म उनमें आत्मविश्वास जरूर जगाएगा, लेकिन दूसरे ‍खिलाड़ियों को भी अपनी छाप छोड़नी होगी।

इ स वक् त ती न देशो ं क ी संयुक् त मेजबान ी मे ं च ल रह े ' फ्लॉप विश्वकप' को 'सुपर विश्वकप' में तब्दील सिर्फ भारत ही कर सकता है और टीम को एक ऐसी जीत दर्ज करनी होगी, जो यादगार होँ, जो पूरे देश को थिरकने पर मजबूर कर दे।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

गंभीर दौर की शुरूआत, क्या कोच का था विराट और रोहित के इस्तीफे में हाथ?

सिर झुकाए कोहली ने रेल्वे के सांगवान पर बोल्ड होने के बाद ही बना लिया होगा संन्यास का मन (Video)

Fab Four में सबसे आगे थे विराट, जानें कैसे 5 साल में चले गए सबसे पीछे

टेस्ट क्रिकेट से रोहित शर्मा और विराट कोहली का संन्यास: भारतीय टीम पर कितना असर पड़ेगा?

टेस्ट टीम में रोहित शर्मा विराट कोहली की जगह भर सकते हैं यह 5 युवा चेहरे