ऑस्ट्रेलिया को चैंपियन बनाकर क्लार्क ने लिया संन्यास

Webdunia
रविवार, 29 मार्च 2015 (16:08 IST)
मेलबर्न। माइकल क्लार्क ने रविवार को ऑस्ट्रेलिया को पांचवां विश्व कप दिलाकर फाइनल मैच में 74 रन बनाने के बाद एक दिवसीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया और एमसीजी पर इस स्वप्न सरीखी विदाई के साक्षी बने करीब 93000 दर्शकों ने खड़े होकर इस महानायक का अभिवादन किया।
ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को सात विकेट से हराकर खिताब जीता। क्लार्क इसके साथ ही एलन बार्डर (1987), स्टीव वा (1999) और रिकी पोंटिंग (2003 और 2007) के साथ ऑस्ट्रेलिया के लिए विश्व कप जीतने वाले चौथे कप्तान हो गए।

तीन दिन बाद अपना 34वां जन्मदिन मनाने जा रहे क्लार्क ने 245 वनडे में 7981 रन बनाए जिसमें आठ शतक और 58 अर्धशतक शामिल हैं। वे ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलते रहेंगे।

वनडे टीम में अपनी उपयोगिता को लेकर सवालों का सामना कर रहे क्लार्क ने भारत के खिलाफ सिडनी में सेमीफाइनल जीतने के बाद ही विश्व कप के बाद संन्यास का ऐलान कर दिया था। उन्होंने कहा था कि यह वनडे क्रिकेट को अलविदा कहने का सही समय है।

उन्होंने कहा था, वनडे क्रिकेट को अलविदा कहने का यह सही समय है। मैं टेस्ट क्रिकेट खेलता रहूंगा। शेन वार्न से मिली अपनी 23 नंबर की जर्सी के बारे में उन्होंने कहा, मैं इसे वार्न को वापिस दे सकता हूं। अभी इस बारे में सोचा नहीं है। 

पिछले साल नवंबर में एससीजी पर एक घरेलू मैच के दौरान बाउंसर लगने से अपनी जान गंवा बैठे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिल ह्यूज को अपना छोटा भाई मानने वाले क्लार्क ने तभी से काली आर्मबैंड बांधी हुई है और उन्होंने विश्व कप जीत भी ह्यूज को ही समर्पित की। 

क्लार्क ने कहा, इस आर्मबैंड पर पीएच लिखा है। मैं जब भी ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलूंगा तब इसे पहनूंगा। पिछले कुछ महीने काफी कठिन रहे और हर कोई कहेगा कि हमने यह विश्व कप 16 खिलाड़ियों के साथ खेला। यह जीत हमारे छोटे भाई को समर्पित है।

उन्होंने कहा, ह्यूज होता तो जरूर जश्न मनाता। हमें इस जीत पर गर्व है। यह बेहतरीन उपलब्धि है कि हमने अपनी सरजमीं पर अपने परिवार और दोस्तों के सामने विश्व कप जीता। क्लार्क ने 74 वनडे में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी करके 50 जीते। वहीं 108 टेस्ट खेलकर 50.79 की औसत से 8432 रन बनाए, जिसमें 28 शतक और 27 अर्धशतक शामिल हैं।

पिछले कुछ अर्से से फिटनेस समस्याओं से जूझते आए क्लार्क ने पिछले साल दिसंबर में भारत के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला का पहला मैच खेलने के बाद सर्जरी कराई थी।

विश्व कप में भी उनका खेलना संदिग्ध था और चयनकर्ताओं ने उन्हें बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे ग्रुप मैच तक फिट होने का समय दिया था। वे न सिर्फ फिट हुए बल्कि मोर्चे से टीम की अगुवाई की। (भाषा)
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