धोनी के धुरंधरों के सामने ऑस्ट्रेलियाई अग्निपरीक्षा

Webdunia
बुधवार, 25 मार्च 2015 (11:03 IST)
सिडनी। विश्व कप जीतने से दो जीत दूर खड़ी भारतीय क्रिकेट टीम के अश्वमेधी अभियान में गुरुवार को सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के रूप में अब तक की सबसे कठिन चुनौती होगी और उसे हर विभाग में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा।
 
छह सप्ताह पहले ही दोनों टीमें टेस्ट और त्रिकोणीय वनडे श्रृंखला में एक दूसरे से खेल चुकी है, जिसमें माइकल क्लार्क की टीम का पलड़ा भारी रहा था।
 
क्रिकेट के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच एशेज प्रतिद्वंद्विता और भारत-पाकिस्तान मुकाबलों के अलावा पिछले कुछ साल में भारत और ऑस्ट्रेलिया के मैच भी कम प्रतिस्पर्धी नहीं हुए हैं।
 
यह मुकाबला डेविड वार्नर की बल्लेबाजी और मोहम्मद शमी की गेंदबाजी का भी होगा, मिशेल स्टार्क की कहर बरपाती गेंदों और रनों के रूप में शरारे उगलते विराट कोहली के बल्ले का भी होगा, आर अश्विन की कैरम बाल और ग्लेन मैक्सवेल की आक्रामक बल्लेबाजी का भी होगा।
 
सभी की नजरें कोहली पर होंगी जो पहले मैच में पाकिस्तान के खिलाफ शतक बनाने के बाद से एक अर्धशतक भी नहीं बना सके है। कोहली हालांकि दबाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में माहिर हैं और उनके पास यह सबसे बड़ा मौका है।
 
सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर दोनों टीमें कल एक दूसरे के आमने-सामने होंगी तो यह मुकाबला कमोबेश बराबरी का होगा, जिसमें पिछले प्रदर्शन मायने नहीं रखेंगे।
 
मौजूदा फार्म के आधार पर देखें तो भारत ने टूर्नामेंट में लगातार सात जीत दर्ज की है लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों प्रारूपों में वह पिछले सात मैचों (दो टेस्ट, दो वनडे और एक अभ्यास मैच) में जीत दर्ज नहीं कर सका है।
 
ऑस्ट्रेलिया दौरे के उस शर्मनाक प्रदर्शन का गम भारत ने विश्व कप में शानदार खेल दिखाकर दूर कर दिया। विश्व कप से पहले दिशाहीन लग रही टीम इंडिया का अचानक मानो कायाकल्प हो गया और उसके प्रदर्शन ने विरोधियों को भी चकित कर डाला।
 
आम तौर पर भारत की कमजोर कड़ी मानी जाने वाली गेंदबाजी उसकी ताकत साबित हुई है। मोहम्मद शमी (17 विकेट), उमेश यादव (14) और मोहित शर्मा (11) मिलकर 70 में से 42 विकेट ले चुके हैं। भारतीय गेंदबाजों ने सात मैचों में पूरे 70 विकेट चटकाये हैं।
 
ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती सिडनी की पिच होगी जो उसे रास नहीं आती। इस धीमी पिच पर दक्षिण अफ्रीका ने क्वार्टर फाइनल में श्रीलंका को हराया था जिसमें इमरान ताहिर ने चार और जेपी डुमिनी ने तीन विकेट लिए थे।
 
ऐसे में भारत के अश्विन और रविंद्र जडेजा उन पर भारी पड़ सकते हैं। अश्विन 12 विकेट ले चुके हैं और अपनी गेंदों से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के लिये परेशानी का सबब बन सकते हैं। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया को टीम में एक अच्छे स्पिनर की कमी खलेगी। उसके पास धीमे गेंदबाज के रूप में सिर्फ स्टीवन स्मिथ हैं।
 
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान समेत अधिकांश विशेषज्ञों की राय है कि टॉस जीतने वाली टीम को पहले बल्लेबाजी चुननी चाहिए।
 
भारतीय बल्लेबाजों ने अभी तक उम्दा प्रदर्शन किया है। शिखर धवन 367 रन बना चुके हैं लेकिन उनके लिए यह पिच आसान नहीं होगी क्योंकि ऑफ स्टम्प पर पड़ती उछालभरी गेंदों ने उन्हें अक्सर परेशान किया है। स्टार्क और जानसन उनकी इस कमजोरी का पूरा फायदा उठाना चाहेंगे। (भाषा)
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