Deadlock continues in India's relations with Pakistan : कश्मीर के जटिल मुद्दे को लेकर पाकिस्तान-भारत के द्विपक्षीय संबंधों में इस साल भी गतिरोध बना हुआ है। वहीं विश्लेषकों को उम्मीद है कि अगर नवाज शरीफ अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी इमरान खान की अनुपस्थिति में अगले साल फरवरी में होने वाले आम चुनाव में रिकॉर्ड चौथी बार प्रधानमंत्री बनते हैं तो दोनों देशों के संबंधों में सुधार हो सकता है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान कई मामलों में जेल में हैं। मौजूदा वर्ष का मुख्य आकर्षण मई में गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की भारत यात्रा थी।
यात्रा से पहले बिलावल और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच बैठक की अटकलें लगती रहीं। लेकिन दोनों पक्षों ने इस तरह की बैठक की कोई इच्छा नहीं जताई। इसके बजाय दोनों नेताओं ने मंत्रिस्तरीय बैठक में अपने आधिकारिक भाषणों में इशारों और तीखे शब्दों के माध्यम से एक-दूसरे के देशों पर निशाना साधा।
बिलावल के शब्दों के चयन (विशेषकर प्रतिभागियों से आतंकवाद को राजनीतिक संबंधों में बाधा न बनने देने का आग्रह) पर भारत में कई लोगों ने नाखुशी जताई। जयशंकर ने एससीओ बैठक में अपने संबोधन में सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को रोकने के महत्व को रेखांकित किया। इस प्रकार, बिलावल की यात्रा कश्मीर मुद्दे पर दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने में विफल रही, जो लगभग 12 वर्षों में किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली भारत यात्रा थी।
अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के भारत सरकार के फैसले से नाखुश पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय दूत को निष्कासित करके भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों में कमी की और व्यापार संबंधों को रोक दिया।
दिसंबर में पाकिस्तान की मौजूदा कार्यवाहक सरकार और पाकिस्तानी नेताओं ने भी भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले को बरकरार रखने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। अगले साल आठ फरवरी को पाकिस्तान में आम चुनाव होंगे और चार साल के स्व-निर्वासन के बाद ब्रिटेन से लौटे तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के रिकॉर्ड चौथी बार सत्ता में आने की संभावना है।
विश्लेषकों के मुताबिक, शरीफ को सभी पड़ोसियों, खासकर भारत के साथ अच्छे संबंध रखने का प्रबल समर्थक माना जाता है। उन्होंने सात दिसंबर को लाहौर में अपनी पार्टी के नेताओं को संबोधित करते हुए कहा था, भारत, अफगानिस्तान और ईरान सहित पड़ोसी देशों के साथ राजनयिक संबंधों को सुधारना पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के एजेंडे में है।
शरीफ ने कहा था, जब आपके पड़ोसी आपसे नाखुश हैं तो आप वैश्विक दर्जा कैसे हासिल कर सकते हैं? वर्ष 1999 के करगिल युद्ध का विरोध करने वाले शरीफ को बाद में तत्कालीन सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने हटा दिया था। (भाषा) Edited By : Chetan Gour